भारत के साथ आर्थिक सहयोग के लिए ऑस्ट्रेलिया का नया रोडमैप (AUSTRALIA’S NEW ROADMAP FOR ECONOMIC ENGAGEMENT WITH INDIA) | Current Affairs | Vision IAS
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संक्षिप्त समाचार

02 May 2025
30 min

ऑस्ट्रेलिया का यह महत्वाकांक्षी रोडमैप भारत के साथ अपने व्यापार और निवेश संबंधों को और अधिक गहरा करने तथा उन्हें विविध बनाने पर केंद्रित है। इस रोडमैप में “विकास के चार अहम मार्गों” की पहचान की गई है - स्वच्छ ऊर्जा, शिक्षा व कौशल, कृषि व्यवसाय तथा पर्यटन।

आर्थिक सहयोग के लिए जारी रोडमैप के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र: 

  • विशेष अवसरों की पहचान: इस रोडमैप में भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंधों को प्रोत्साहित करने के लिए रक्षा उद्योग, खेल, संस्कृति, अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 50 विशेष अवसरों को चिन्हित किया गया है।
  • ‘ऑस्ट्रेलिया-भारत व्यापार और निवेश प्रोत्साहन निधि’: इससे ऑस्ट्रेलियाई व्यवसायों को भारत में नए वाणिज्यिक अवसर प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
  • ऑस्ट्रेलिया-इंडिया बिजनेस एक्सचेंज (AIBX): यह दोनों देशों के बीच व्यापारिक यानी बिजनेस-टू-बिजनेस (B2B) भागीदारी में तेजी लाएगा।
  • ऑस्ट्रेलिया-भारत CEO फोरम का नवीनीकरण: इसका प्रमुख उद्देश्य वाणिज्यिक सहयोग को गति देने के लिए एक प्रभावी बिजनेस-टू-बिजनेस मंच प्रदान करना है।
  • मैत्री अनुदान कार्यक्रम: आस्ट्रेलिया ने दोनों देशों के बीच जन संपर्क, व्यवसायों के बीच आपसी संबंधों और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए मैत्री अनुदान कार्यक्रम में निवेश बढ़ाने की घोषणा की है।

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच विकसित होते संबंध

  • व्यापार: आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता (ECTA) 2021 ने ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार को प्रोत्साहित किया है। इस समझौते का उद्देश्य 2035 तक भारत को ऑस्ट्रेलिया के तीन अग्रणी निर्यात बाजारों में शामिल करना है।
  • परमाणु सहयोग: 2014 में भारत और ऑस्ट्रेलिया ने असैन्य परमाणु सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए।
  • रणनीतिक साझेदारी: ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने अपनी नेशनल डिफेंस स्ट्रैटेजी (NDS) 2024 में भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में “शीर्ष स्तरीय सुरक्षा साझेदार” के रूप में मान्यता प्रदान की है।
  • रक्षा सहयोग: म्यूचुअल लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रीमेंट तथा रक्षा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कार्यान्वयन व्यवस्था पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
    • दोनों देशों के बीच आयोजित होने वाले प्रमुख संयुक्त सैन्य अभ्यास हैं- ऑस्ट्राहिंद (AUSTRAHIND), ऑसिन्डेक्स (AUSINDEX) और पिच ब्लैक।

हाल ही में, कई देशों के खुफिया अधिकारी दिल्ली में एकत्रित हुए जिनमें फाइव आइज (FVEY) एलायंस के प्रतिनिधि भी शामिल थे। 

फाइव आइज इंटेलिजेंस (FVEY) एलायंस के बारे में

  • इसकी नींव 1946 में हस्ताक्षरित ब्रिटिश-अमेरिकी संचार खुफिया समझौते (British-U.S. Communication Intelligence Agreement: BRUSA) के साथ रखी गई थी, जो सिग्नल्स इंटेलिजेंस (SIGINT) पर केंद्रित था।
    • SIGNIT में ट्रैफिक विश्लेषण, डिक्रिप्शन और संचार दस्तावेजों की प्राप्ति जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
  • प्रमुख सदस्य: संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और कनाडा (1948 में शामिल) तथा  ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड (दोनों 1956 में शामिल हुए)।
  • फाइव आइज इंटेलिजेंस ओवरसाइट एंड रिव्यू काउंसिल (FIORC): इसका गठन 2016 में किया गया था, ताकि सदस्य देशों की “गैर-राजनीतिक खुफिया निगरानी, ​​समीक्षा और सुरक्षा संस्थाओं” के रूप में कार्य किया जा सके।
  • दायरा और उद्देश्य: 
    • भू-राजनीतिक खुफिया जानकारी: आतंकवाद, चीनी प्रभाव और साइबर खतरों जैसे उभरते खतरों की निगरानी करना।
    • व्यापक खुफिया जानकारी: चिकित्सा खुफिया जानकारी, आतंकवाद-विरोध, भू-स्थानिक खुफिया जानकारी, आदि। 
    • निरंतर सहयोग: खुफिया जानकारी को लगातार गुप्त डेटाबेस के माध्यम से साझा किया जाता है।

फिलीपींस ने भारत से 'स्क्वाड' एलायंस में शामिल होने का आग्रह किया।

स्क्वाड एलायंस के बारे में

  • यह एक अनौपचारिक मिनिलैटरल (लघुपक्षीय) गठबंधन है। इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस शामिल हैं।
  • उद्देश्य: हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में आक्रामकता से निपटना, स्थिरता को बनाए रखना आदि।
  • यह क्वाड से अलग है जिसमें भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।

 

 

उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सदस्य पोलैंड, लिथुआनिया, लातविया और एस्टोनिया रूस से सैन्य खतरे के कारण ओटावा कन्वेंशन से अलग होने की योजना बना रहे हैं।

ओटावा कन्वेंशन के बारे में

  • इस कन्वेंशन का आधिकारिक नाम ‘कन्वेंशन ऑन द प्रोहिबिशन ऑफ द यूज, स्टॉकपिलिंग, प्रोडक्शन एंड ट्रांसफर ऑफ एंटी-पर्सनल माइंस एंड ऑन देयर डिस्ट्रक्शन’ है। 
  • उद्देश्य: यह पक्षकार देशों को किसी भी परिस्थिति में एंटी-पर्सनल माइंस का उपयोग, विकास या भंडारण न करने हेतु बाध्य करता है।
    • इसके अलावा, उन्हें ऐसी माइंस को नष्ट करने के लिए भी बाध्य किया गया है।
  • इसे ओस्लो (1997) में अपनाया गया था। इसे 1997-1999 तक ओटावा में हस्ताक्षर के लिए प्रस्तुत किया गया था और यह 1999 में प्रभावी हुआ था।  
  • हस्ताक्षरकर्ता: 133 देश, भारत हस्ताक्षरकर्ता नहीं है।
  • डिपॉसिटरी: संयुक्त राष्ट्र के महासचिव।

 

नई दिल्ली में रायसीना डायलॉग का 10वां संस्करण आयोजित किया गया।

रायसीना डायलॉग के बारे में 

  • इसकी मेजबानी विदेश मंत्रालय के सहयोग से ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (एक स्वतंत्र थिंक टैंक) करता है।
  • यह समकालीन भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्र मुद्दों पर भारत के प्रमुख सम्मेलन के रूप में उभरा है। यह वैश्विक समुदाय के समक्ष विद्यमान सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने के प्रति प्रतिबद्ध है।
  • भागीदारी: 10वें संस्करण में लगभग 125 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। इनमें मंत्री, राष्ट्राध्यक्ष व सरकार प्रमुख, शिक्षाविद्, थिंक टैंक, युवा आदि शामिल हैं।
  • थीम (2025): "कालचक्र - पीपल, पीस एंड प्लैनेट"।  
    • इसमें चर्चा छह प्रमुख विषयों पर केंद्रित रही, जैसे ग्रीन ट्राइलेमा, डिजिटल प्लैनेट आदि।

 

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