मानव संवर्धन (Human Enhancement) | Current Affairs | Vision IAS
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मानव संवर्धन (Human Enhancement)

02 May 2025
15 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में IMARC द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, मानव संवर्धन उद्योग का आकार 2024 में 125 बिलियन डॉलर था और इसके 2033 तक बढ़कर 348.5 बिलियन डॉलर तक हो जाने की  संभावना है। 

मानव संवर्धन क्या होता है?

  • मानव संवर्धन के अंतर्गत व्यक्ति के शरीर में प्राकृतिक, कृत्रिम तथा तकनीकी माध्यमों से ऐसे परिवर्तन किए जाते हैं, जो उसकी संज्ञानात्मक और शारीरिक क्षमताओं में वृद्धि करते हैं।
  • यह कार्य दवाइयों, हार्मोन, इम्प्लांट्स, जेनेटिक इंजीनियरिंग, आहार संबंधी सप्लीमेंट्स और कॉस्मेटिक सर्जरी जैसे तरीकों से पूरा किया जाता है।
    • पारंपरिक चिकित्सा में बीमारी का इलाज किया जाता है, जबकि मानव संवर्धन का उद्देश्य मानव की सामान्य क्षमता के दायरे को बढ़ाना होता है।
      • उदाहरण के लिए, मानव संवर्धन प्रौद्योगिकियां मलेरिया, टी.बी. और लाइम जैसी बीमारियों से लड़ने की क्षमता या उनके प्रति प्रतिरोध प्रदान करती हैं।
  • मानव संवर्धन के बारे में दो मुख्य विचारधाराओं पर चर्चा की जाती है:
    • ट्रांसह्यूमैनिस्ट (Transhumanists): यह विचारधारा मानव क्षमताओं में अत्यधिक वृद्धि करने और जीवनकाल को बढ़ाने वाली उन्नत प्रौद्योगिकियों का समर्थन करती है।
    • बायोकंजरवेटिव (Bioconservatives): यह विचारधारा मानव की प्राकृतिक स्थिति को बनाए रखने का समर्थन करती है और प्रौद्योगिकी की सहायता से मानव जीवन को आमूलचूल रूप से बदलने या उसे बढ़ाने का विरोध करती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस विचारधारा का मानना है कि इन सबसे मानवता की मौलिकता को खतरा हो सकता है।

मानव संवर्धन से जुड़ी चिंताएं

  • समानता: मनवा संवर्धन तक सभी की पहुँच समान नहीं हो सकती है, परिणामस्वरूप सामाजिक असमानता बढ़ सकती है।
  • पहचान: मानव के मूल गुणों में बदलाव करने से मानव के रूप में हमारी प्राकृतिक पहचान प्रभावित हो सकती है।
  • सहमति: बिना सहमति के या किसी प्रकार की मजबूरी में किया गया मानव संवर्धन, व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को खतरे में डाल सकता है।
  • सामाजिक दबाव: यदि संवर्धन का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है तो उन लोगों के खिलाफ भेदभाव हो सकता है जो स्वयं को इससे दूर रखना चाहते हैं।
  • स्वास्थ्य संबंधी जोखिम: मानव संवर्धन हेतु आनुवंशिक या तंत्रिका में किए गए बदलावों के दीर्घकालिक प्रभाव के बारे में अभी भी ज्यादा जानकारी नहीं है।
  • पर्यावरण: लंबे जीवनकाल से संसाधनों और पारिस्थितिकी तंत्र पर दबाव बढ़ सकता है।
  • आनुवंशिक विविधता: आनुवंशिक इंजीनियरिंग से विविधता में कमी आ सकती है, जिससे बीमारियों के प्रति सुभेद्यता बढ़ सकती है।
  • विनियमन: इन प्रौद्योगिकियों के सुरक्षित, न्यायपूर्ण और नैतिक उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी विनियमन की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

मानव संवर्धन प्रौद्योगिकियां मानव की क्षमताओं को बढ़ा सकती हैं व जीवनकाल को लंबा कर सकती हैं तथा प्रगति को संभव कर सकती हैं, लेकिन ये नैतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय चिंताएं भी उत्पन्न करती हैं। इस तकनीक से संबंधित उत्तरदायी विनियमन, समान पहुंच और दीर्घकालिक प्रभावों के प्रति जागरूकता सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है, ताकि मानव होने के मूल्यों को बनाए रखा जा सके।

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