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राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RASHTRIYA GOKUL MISSION)

02 May 2025
24 min

सुर्ख़ियों में क्यों? 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पशुधन क्षेत्रक के विकास को बढ़ावा देने के लिए संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM) को मंजूरी दी। इस मिशन के लिए 15वें वित्त आयोग की सिफारिश अवधि (वित्त-वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक) के लिए 1,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट निर्धारित किया गया है। 

उद्देश्य 

मुख्य विशेषताएं 

  • एडवांस प्रौद्योगिकी का उपयोग करके गोजातीय पशुओं के दुग्ध उत्पादन एवं उत्पादकता में निरंतर वृद्धि करना।
  • प्रजनन के लिए उच्च अनुवांशिक गुणों वाले बैलों/ सांडों का उपयोग कर आनुवंशिक सुधार को बढ़ावा देना।
  • ब्रीडिंग नेटवर्क को मजबूत करके कृत्रिम गर्भाधान के दायरे का विस्तार करना। साथ ही, किसानों को पास में ही ये सेवाएं उपलब्ध कराना।
  • वैज्ञानिक और समग्र दृष्टिकोण का उपयोग करके देशी नस्ल की मवेशियों और भैंसों का पालन-पोषण एवं संरक्षण को प्रोत्साहित करके देशी नस्ल को बढ़ावा देना।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM) के बारे में 

  • यह मिशन 2014 में राष्ट्रीय गोजातीय प्रजनन एवं डेयरी विकास कार्यक्रम के तहत शुरू किया गया था।
  • मंत्रालय: यह केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय की योजना है।
  • कार्यान्वयन विभागपशुपालन एवं डेयरी विभाग।
  • वित्त पोषण: कुछ अपवादों को छोड़कर, केंद्र सरकार द्वारा 100% अनुदान के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
    • इसे एक केंद्रीय क्षेत्रक घटक के रूप में लागू किया जाएगा, जिसमें 1000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त परिव्यय (पहले 2400 करोड़ रुपये) निर्धारित किया गया है। इससे कुल परिव्यय बढ़कर 3400 करोड़ रुपये (2021-22 से 2025-26 तक) हो जाएगा।

संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन में जोड़े गए नए घटक: 

  • बछिया पालन केंद्र (HRCs): कुल 15000 बछियों के लिए 30 आश्रय केंद्रों के निर्माण को लेकर कार्यान्वयन एजेंसियों को बछिया पालन केंद्रों की स्थापना हेतु पूंजीगत लागत का 35% तक एकमुश्त सहायता प्रदान की जाएगी।
    • बछिया कोई भी युवा, मादा, घरेलू गोजातीय मवेशी है जिसने संतति पैदा नहीं की है।
  • उच्च-अनुवांशिक गुणों वाली इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) बछियों के लिए सहायता: सरकार उच्च-अनुवांशिक-विशेषताओं वाली इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) बछियों को खरीदने वाले किसानों को ऋण पर 3% ब्याज छूट देगी।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के पहले के घटक

  • वंश परीक्षण और वंशावली चयन के माध्यम से नंदी बैल उत्पादन कार्यक्रम के तहत उच्च-अनुवांशिक गुणों वाले जर्मप्लाज्म की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
    • इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) तकनीक का क्रियान्वयन किया जाएगा।
  • देश में मवेशियों के कृत्रिम गर्भाधान (AI) में प्रशिक्षित तकनीशियनों की कमी को पूरा करने के लिए ग्रामीण भारत में बहु-उद्देश्यीय कृत्रिम गर्भाधान (AI) तकनीशियनों (MAITRIs) की नियुक्ति करके कृत्रिम गर्भाधान (AI) नेटवर्क का विस्तार किया जाएगा।
    • राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन को लागू किया जाएगा, जो रोग और इसके प्रसार की रिपोर्टिंग सहित सभी प्रकार के इनपुट को प्राप्त करने में मदद करेगा।
  • उन गौशालाओं, गोसदनों और पिंजरापोलों को सहायता के माध्यम से देशी नस्लों का विकास एवं संरक्षण किया जाएगा, जो उत्कृष्ट देशी नस्लों के पशुओं का पालन-पोषण कर रहे हैं।
  • किसानों को उनके घर भी ही उनकी मवेशियों के लिए निःशुल्क कृत्रिम गर्भाधान सुविधा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम के माध्यम से जागरूकता बढ़ाया जायेगा।
    • किसान को गोपाल रत्न/ कामधेनु जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा।
  • कौशल विकास के अंतर्गत पेशेवरों और मौजूदा मवेशी कृत्रिम गर्भाधान से जुड़े कर्मियों का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
  • गोजातीय प्रजनन में अनुसंधान, विकास और इनोवेशन को प्रोत्साहित किया जाएगा।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत पहलें

  • देशी गोजातीय पशुओं के लिए: गोजातीय पशुओं की देशी नस्लों को पालने के लिए किसानों/ प्रजनक समितियों को प्रोत्साहित करने के लिए पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं, जैसे- गोपाल रत्न पुरस्कार, कामधेनु पुरस्कार।
    • गोकुल ग्राम की स्थापना।
    • राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केंद्रों की स्थापना: सभी देशी नस्लों की मवेशियों के देशी जर्मप्लाज्म संरक्षण हेतु इन केंद्रों को एक भंडारगृह के रूप में विकसित किया गया है। इसके केंद्र आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में स्थापित किए गए हैं। 
  • ई-पशु हाट - नकुल प्रजनन बाज़ार: यह एक ई-मार्केट पोर्टल है, जो ब्रीडर्स और किसानों को जोड़ता है। यह उच्च गुण वाले और रोग-मुक्त गोजातीय जर्मप्लाज्म उपलब्ध कराएगा।
  • एडवांस्ड प्रजनन तकनीक: रोग-मुक्त मादा गोजातीय पशुओं की उपलब्धता में सुधार करना।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन का प्रभाव:

  • पिछले दस वर्षों में दूध उत्पादन में 63.55% की वृद्धि दर्ज की गई है, साथ ही प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता जो 2013-14 में 307 ग्राम प्रतिदिन थी, वह 2023-24 में बढ़कर 471 ग्राम प्रतिदिन हो गई है।
  • पिछले दस वर्षों में डेयरी उत्पादकता में भी 26.34% की वृद्धि दर्ज की गई है।

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