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आदि कर्मयोगी अभियान (ADI KARMAYOGI ABHIYAN)

04 Sep 2025
1 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में, केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय ने आधिकारिक रूप से 'आदि कर्मयोगी अभियान' की शुरुआत की। 

आदि कर्मयोगी अभियान के बारे में

  • यह जमीनी स्तर से जनजातीय नेतृत्व का एक कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाना; उत्तरदायी और जन-केंद्रित शासन को बढ़ावा देना तथा पूरे देश में स्थानीय नेतृत्व के अवसर पैदा करना है।
  • लक्ष्य: 30 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के 550 से अधिक जिलों और 3,000 प्रखंडों के 1 लाख से अधिक जनजातीय बहुल गाँवों में बदलाव लाने वाले 20 लाख नेतृत्वकर्ताओं का कैडर तैयार करना। 
    • इससे 10.5 करोड़ से अधिक जनजातीय नागरिकों तक पहुंचने और उन्हें सशक्त बनाने की उम्मीद है।
  • विज़न: आदि कर्मयोगी कैडर को "जनजातीय सेवा पथ" के रूप में स्थापित करना, जो सेवा, समर्पण, और संकल्प से प्रेरित हो, ताकि जनजातीय क्षेत्रों में उत्तरदायी शासन तथा अंतिम छोर तक सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
  • मुख्य उद्देश्य:
    • उत्तरदायी, पारदर्शी और जवाबदेह शासन को बढ़ावा देना;
    • बॉटम-अप विज़निंग और सहभागी योजना को सुगम बनाना;
    • अग्रसक्रिय शिकायत निवारण और फीडबैक प्रणालियों को संस्थागत बनाना;
    • प्रमुख जनजातीय पहलों के अभिसरण के माध्यम से अंतिम छोर तक सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करना। (इन्फोग्राफिक देखें)
  • यह भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित जनजातीय गौरव वर्ष का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • जनजातीय गौरव वर्ष 15 नवंबर 2024 से 15 नवंबर 2025 तक मनाया जाएगा। 

योजना की मुख्य विशेषताएं

  • निवास स्थान से लेकर राज्य स्तर तक एक बहु-स्तरीय नेतृत्व संरचना। (इन्फोग्राफिक देखें)
  • बहु-विभागीय अभिसरण: जनजातीय कल्याण, ग्रामीण विकास, महिला एवं बाल विकास, जल शक्ति, स्कूली शिक्षा और वन विभाग।
  • कार्यान्वयन रणनीति:
    • गवर्नेंस लर्निंग वर्कशॉप्स का संचालन: बेंगलुरु, भोपाल, भुवनेश्वर, गुवाहाटी, देहरादून, रांची आदि केंद्रों पर क्षेत्रीय प्रोसेस लैब्स (RPLs) संचालित की जाएंगी। 
    • विलेज विज़निंग और विकास कार्य योजनाएं: प्रत्येक गांव, अधिकारियों और ग्रामीणों के साथ मिलकर विलेज विज़न 2030 दस्तावेज़ एवं विकास कार्य योजना तैयार करेगा। 
    • मेंटरशिप इकोसिस्टम: सेवानिवृत्त सिविल सेवक, जनजातीय बुजुर्ग, पद्म पुरस्कार विजेता आदि मेंटर्स के रूप में कार्य करेंगे।
    • आदि कर्मयोगी डिजिटल प्लेटफॉर्म: सतत प्रशिक्षण, डेटा-संचालित उपकरण, ज्ञान साझाकरण और इम्पैक्ट डैशबोर्ड प्रदान किए जाएंगे। 

लाभ/ अपेक्षित परिणाम

  • सड़क संपर्क, पक्के आवास, नल का स्वच्छ पेयजल, घरेलू विद्युतीकरण, आयुष्मान भारत बीमा नामांकन सहित सरकारी सेवाओं की 100% पूर्ण उपलब्धता सुनिश्चित होगी। साथ ही, यह भी ध्यान रखा जाएगा कि कोई भी जनजातीय परिवार वंचित न रह जाए।
  • जनजातीय समुदायों के लिए वन-स्टॉप सर्विस सेंटर्स के रूप में 1 लाख आदि सेवा केंद्रों की स्थापना की जाएगी। 
  • 100 से अधिक आदि कर्मयोगी छात्र अध्याय प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे IITs, NITs और IIMs में शुरू किए जाएंगे। इससे जनजातीय युवाओं में नेतृत्व क्षमता विकसित होगी। 
  • सूचना प्रसार और शिकायत निवारण केंद्र के रूप में प्रत्येक जनजातीय गाँव में एक 'सिंगल विंडो रिस्पॉन्सिव गवर्नेंस सेंटर' की स्थापना की जाएगी। 

जनजातीय विकास हेतु जनजातीय कैडर विकसित करने का महत्त्व

  • सेवा वितरण अंतराल को कम करना: पिछले दशक में, अनुसूचित जनजाति कल्याण बजट (DAPST) में पांच गुना वृद्धि हुई है। यह बजट ₹25,000 करोड़ से बढ़कर ₹1,24,000 करोड़ हो गया है, लेकिन खराब वितरण के कारण परिणाम अभी भी कमजोर बने हुए हैं।
  • STs में गरीबी की सबसे अधिक दर और तीव्रता: जनजातीय स्वास्थ्य रिपोर्ट के अनुसार 40.6% जनजातीय आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करती है, जबकि गैर-जनजातीय जनसंख्या में यह आंकड़ा 20.5% है।
  • जीवंत सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों का संरक्षण: जनजातीय समुदायों की अपनी विशिष्ट भाषाएं, कला, नृत्य और त्यौहार होते हैं, जो आत्मसातीकरण के दबाव के कारण संकटग्रस्त हो रहे हैं।
    • उदाहरण के लिए- ट्राइफेड/ TRIFED विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के साथ मिलकर जनजातीय उत्पादों के लिए जीआई टैगिंग कर रहा है।
  • जनजातीय पारिस्थितिक ज्ञान का उपयोग: जनजातीय समुदायों की पारंपरिक प्रथाएं जैसे- झूम खेती, पवित्र उपवन, सामुदायिक वानिकी आदि जलवायु लचीलेपन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
    • उदाहरण के लिए- ओडिशा के डोंगरिया कोंध कृषि-जैव विविधता को संरक्षित करते हुए मिलेट्स आधारित खेती करते हैं।
  • विकास का लोकतंत्रीकरण: आदि कर्मयोगियों का चयन ग्राम सभाओं की परामर्श प्रक्रिया द्वारा किया जाएगा, ताकि विश्वास, स्वामित्व और सांस्कृतिक संवेदनशीलता को बढ़ावा मिल सके।

निष्कर्ष

एक समर्पित आदिवासी कैडर, संस्कृति और पारिस्थितिक ज्ञान को संरक्षित करते हुए सेवा वितरण के अंतराल को समाप्त कर सकता है, गरीबी कम कर सकता है और ग्राम सभाओं को सशक्त बना सकता है। यह केवल क्षमता का ही नहीं, बल्कि संकल्प का भी विषय है, जो जनजातीय विकास को समावेशी और सतत राष्ट्र-निर्माण में बदल सकता है।

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