प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना (PRADHAN MANTRI GRAM SADAK YOJANA: PMGSY) | Current Affairs | Vision IAS
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प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना (PRADHAN MANTRI GRAM SADAK YOJANA: PMGSY)

04 Sep 2025
1 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

संसद की स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में वामपंथी उग्रवाद (LWE) से प्रभावित क्षेत्रों में PMGSY के तहत कार्य की धीमी प्रगति पर चिंता जताई है।

PMGSY के बारे में:

  • संबंधित मंत्रालय: केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय
  • योजना का प्रकार: दिसंबर 2000 में शुरू की गई केंद्र प्रायोजित योजना
  • उद्देश्य:
    • गरीबी उन्मूलन की रणनीति के रूप में पात्र 'बिना सड़क वाली ग्रामीण बस्तियों' को बारहमासी सड़क संपर्क प्रदान करना।
    • 62,500 किलोमीटर बारहमासी सड़कों का निर्माण किया जाएगा।
    • इन सड़कों के साथ पुलों का निर्माण या आधुनिकीकरण किया जाएगा।
  • PMGSY के तहत पात्रता के लिए ग्रामीण आबादी मानदंड:
    • मैदानी क्षेत्र: 500 या उससे अधिक आबादी,
    • पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्य: 250 या उससे अधिक आबादी
    • LWE प्रभावित जिले: 100 या उससे अधिक आबादी (जनगणना 2011 के अनुसार)

PMGSY की मुख्य विशेषताएँ

  • संस्थागत व्यवस्थाएँ:
    • राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना विकास एजेंसी (National Rural Infrastructure Development Agency: NRIDA) तकनीकी और प्रबंधकीय सहायता प्रदान करती है।
    • राज्य ग्रामीण सड़क विकास एजेंसियां (State Rural Roads Development Agencies: SRRDAs) राज्य स्तर पर योजना का क्रियान्वयन करती हैं।
  • विकेंद्रीकृत योजना: इसमें पंचायती राज संस्थाओं, विधायकों (MLAs) और सांसदों (MPs) की पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित की जाती है।
  • निगरानी और शिकायत निवारण प्रणाली:
    • OMMAS (ऑनलाइन मैनेजमेंट, मॉनिटरिंग और अकाउंटिंग सिस्टम): यह C-DAC द्वारा विकसित वेब-आधारित सिस्टम है, जो सड़क निर्माण परियोजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाता है।
    • eMARG प्लेटफ़ॉर्म: यह मोबाइल ऐप का उपयोग करता है जिसमें जिओ-टैग किये गए फोटो होते हैं, जो सड़क रखरखाव के कार्य की जांच और भुगतान के लिए उपयोग होते हैं। इसके द्वारा ठेकेदारों के प्रदर्शन की निगरानी भी की जाती है।
    • शिकायत निवारण: "मेरी सड़क" ऐप के जरिए धीमी प्रगति, अधूरे काम या खराब गुणवत्ता जैसी समस्याओं को दूर करने की सुविधा दी गई है।
  • नए मटेरियल/ ग्रीन तकनीकों का उपयोग
    • मिट्टी को मजबूत (स्टेबलाइज) करने के लिए फ्लाई ऐश, चूना, पॉलिमर आदि का उपयोग।
    • सड़क पर व्हाइट टॉपिंग के लिए पोर्टलैंड सीमेंट कंक्रीट का उपयोग।
    • कोल्ड मिक्स डामर (एस्फाल्ट): हॉट मिक्स डामर की तुलना में कम PM10 उत्सर्जन और कम ऊर्जा खपत के लिए।
    • अपशिष्ट से बनी प्लास्टिक का इस्तेमाल बिटुमिनस हॉट मिक्स में मॉडिफायर के रूप में।
    • नारियल के रेशों से बने जियो-टेक्सटाइल्स का उपयोग सड़क की नींव (सब-ग्रेड मृदा) की मजबूती और किनारों (साइड स्लोप्स) की स्थिरता के लिए।
    • लोहा, तांबा और स्टील के स्लैग का उपयोग सड़कों को ज्यादा टिकाऊ और घिसाव-रोधी बनाने में।
    • बायो-इंजीनियरिंग, जैसे- जूट और बांस का उपयोग ढलानों (slopes) को स्थिर करने के लिए।

योजना के बारे में समिति की टिप्पणियां:

समस्या

टिप्पणियां

सिफारिश

टेंडर में कम बोली लगाना

  • ठेकेदार अक्सर न्यूनतम बोली से 25–30% कम बोली लगाते हैं, जिससे सड़क गुणवत्ता को लेकर चिंता बढ़ जाती है।
  • सड़क की गुणवत्ता पर कम बोली के प्रभाव का आकलन करने के लिए समिति का गठन किया जाना चाहिए।
  • न्यूनतम बोली और वास्तविक बोली के अंतर को सिक्योरिटी (जमानत) के रूप में अलग रखा जाए, जिसे केवल गुणवत्ता की पुष्टि होने के बाद ही जारी किया जाए।

सड़कों के निर्माण की खराब गुणवत्ता और खराब रखरखाव

  • मानकों का पालन न करना, घटिया सामग्री का उपयोग करना; और सड़क का प्रतिकूल मौसम, अधिक ट्रैफिक व मानसून में टिक न पाना।
  • ग्रामीण विकास विभाग (DoRD) को गुणवत्ता मानदंडों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना चाहिए।
  • कड़ी निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी, साथ ही गलती करने वाले ठेकेदारों की शॉर्टलिस्टिंग और ब्लैकलिस्टिंग की व्यवस्था करनी होगी।

गांव के अंदर की

बस्तियों तक कनेक्टिविटी न होना

  • कई छोटी-छोटी बस्तियां (जैसे- देसम, धनीस, टोला, मजरा, गांव के छोटे हिस्से) मुख्य सड़क से 2-3 किलोमीटर अंदर हैं, इसलिए वे सड़क कनेक्टिविटी के लाभ से वंचित रह जाती हैं।
  • ग्रामीण विकास विभाग (DoRD) को सड़क संपर्क नीति की समीक्षा करनी चाहिए ताकि सड़कें वास्तव में बिना जुड़ी बस्तियों तक पहुँचें, सिर्फ गाँव की सीमा तक नहीं।

केंद्र और राज्य के बीच समन्वय की समस्या

  • लॉजिस्टिक संबंधी समस्याओं या केंद्र/ राज्यों द्वारा देर से फंड जारी करने के कारण परियोजनाओं में अक्सर देरी होती है।
  • DoRD को बेहतर समन्वय और प्रभावी निगरानी व्यवस्था बनानी चाहिए।

LWE क्षेत्रों (वामपंथी उग्रवाद प्रभावित इलाकों) में धीमी प्रगति

  • समय-सीमा मार्च 2025 तक बढ़ाने के बावजूद वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सड़क संपर्क परियोजना के तहत कार्य अभी भी लंबित (Pending work under Road Connectivity Project for Left Wing Extremism Areas: RCPLWEA) है।

 

  • उग्रवाद, दुर्गम भौगोलिक क्षेत्र, कानून-व्यवस्था की स्थिति, और जंगल कटाई की चुनौतियों को बेहतर योजना-निर्माण, हितधारकों के बीच समन्वय और BRO जैसी विशेष एजेंसियों की मदद से हल किया जा सकता है।
  • क्षेत्र विशेष के लिए नवाचारपूर्ण समाधान अपनाकर परियोजना में देरी से बचा जाए और समय पर काम पूरा हो।

 

 

निष्कर्ष

ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी तथा सामाजिक-आर्थिक पहलुओं, जैसे आर्थिक विकास, रोज़गार, शिक्षा और स्वास्थ्य-देखभाल सेवा, के बीच घनिष्ठ संबंध है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के प्रभावी कार्यान्वयन से ग्रामीण भारत में तीव्र सतत विकास और सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन संभव होगा।

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