Select Your Preferred Language

Please choose your language to continue.

भारत-फिलीपींस रणनीतिक साझेदारी (INDIA-PHILIPPINES STRATEGIC PARTNERSHIP) | Current Affairs | Vision IAS
Monthly Magazine Logo

Table of Content

संक्षिप्त समाचार

Posted 04 Sep 2025

Updated 09 Sep 2025

8 min read

भारत-फिलीपींस रणनीतिक साझेदारी (INDIA-PHILIPPINES STRATEGIC PARTNERSHIP)

भारत और फिलीपींस ने रणनीतिक साझेदारी कार्य योजना (2025-29) पर हस्ताक्षर किए।

अन्य संबंधित तथ्य

भारत और फिलीपींस ने राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष (1949 में स्थापित) पूरे होने पर अपने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया है। साथ ही, भारत ने अपनी लुक ईस्ट नीति (1992) और एक्ट ईस्ट नीति (2014) को और मजबूत किया है।

भारत-फिलीपींस संबंध के प्रमुख आयाम

  • रक्षा सहयोग: फिलीपींस ब्रह्मोस मिसाइल का पहला विदेशी खरीदार देश है।
    • भारत का हथियार निर्यात बढ़ते विश्वास और रक्षा सहयोग का उदाहरण है, जैसे फ़िलिपींस के साथ 375 मिलियन डॉलर का ब्रह्मोस मिसाइल समझौता
  • चीन के आक्रामक रुख से निपटना: दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती उपस्थिति फ़िलिपींस की संप्रभुता और भारत के समुद्री व्यापार मार्गों दोनों के लिए खतरा है, जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग और मजबूत हो रहा है।
    • 2016 के आर्बिट्रेशन के फैसले ने दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) की पुष्टि की थी और संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय (UNCLOS) के तहत चीन के "ऐतिहासिक अधिकारों" के दावे को खारिज कर दिया था।
    • भारत दक्षिण चीन सागर (SCS) क्षेत्र में नियम-आधारित व्यवस्था और आवागमन की स्वतंत्रता की मांग करता है।
  • इंडो-पेसिफिक विज़न: भारत की एक्ट ईस्ट नीति और इंडो-पैसिफिक संपर्क में फिलीपीन्स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

निष्कर्ष

भारत-फ़िलिपींस संबंध साइबर, आर्थिक, समुद्री और रक्षा सहयोग के माध्यम से और अधिक रणनीतिक रूप से गहरे हो रहे हैं। यह साझेदारी एक नियम-आधारित हिंद-प्रशांत को बढ़ावा देती है और भारत की एक्ट ईस्ट नीति को मज़बूती प्रदान करती है। साथ मिलकर काम करने से दोनों देश इस क्षेत्र में साझा समृद्धि, स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।

  • Tags :
  • South China Sea
  • India-Philippines Strategic Partnership

संयुक्त राष्ट्र-भारत वैश्विक क्षमता निर्माण पहल (UN-INDIA GLOBAL CAPACITY-BUILDING INITIATIVE)

भारत ने एशिया, अफ्रीका और कैरेबियाई देशों के लिए वैश्विक क्षमता निर्माण पहल के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र के साथ परियोजनाएं शुरू की।

वैश्विक क्षमता निर्माण पहल के बारे में

  • उत्पत्ति: भारत और संयुक्त राष्ट्र ने इसे संयुक्त रूप से सितंबर 2023 में शुरू किया था।
  • उद्देश्य: सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) पर प्रगति में तेजी लाने के लिए क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से ग्लोबल साउथ के देशों के साथ भारत के विकास अनुभवों, सर्वोत्तम प्रथाओं और विशेषज्ञता को साझा करना।
  • इसे नए संयुक्त राष्ट्र-भारत SDG देश कोष (UN India SDG Country Fund) के साथ-साथ भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (ITEC) के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है।
  • Tags :
  • UN-India Global Capacity-Building Initiative

यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EURASIAN ECONOMIC UNION: EAEU)

भारत और यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EAEU) ने व्यापार समझौते के लिए विचारार्थ विषयों (Terms of Reference) पर हस्ताक्षर किए। विचारार्थ विषयों पर हस्ताक्षर होने का अर्थ है कि अब मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर औपचारिक वार्ता शुरू हो गई है। इसका उद्देश्य भारत और यूरेशियाई देशों के बीच लंबे समय तक चलने वाले व्यापारिक सहयोग के लिए एक दीर्घकालिक रूपरेखा तैयार करना है।

EAEU के साथ FTA के संभावित लाभ

  • आर्थिक लाभ
    • इससे छुपी हुई व्यापारिक संभावनाएं उजागर होंगी, निवेश बढ़ेगा और भारत व EAEU के बीच मजबूत एवं सतत आर्थिक साझेदारी बनेगी।
      • दोनों के बीच 2024 में 69 बिलियन अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था। यह 2023 की तुलना में 7% अधिक है।
    • बाजार तक पहुंच: इससे भारतीय निर्यातकों को नए अवसर मिलेंगे, खासकर तब जब अमेरिका आयात पर अधिक प्रशुल्क लगा रहा है। यह भारत को नए क्षेत्रकों और नए देशों में विस्तार करने में मदद करेगा।
    • प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि: यह समझौता भारत की स्थिति को गैर-बाजार अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले मजबूत करेगा।
      • इससे भारतीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को विशेष रूप से लाभ होगा।
    • ऊर्जा साझेदारी: EAEU के पास प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन और ऊर्जा स्रोत उपलब्ध है, जो भारत की आर्थिक संवृद्धि के लिए बहुत जरूरी हैं।
      • उदाहरण के लिए- वर्तमान में भारत के कुल कच्चे तेल आयात का लगभग 35-40% हिस्सा अकेले रूस पूरा कर रहा है।
  •  रणनीतिक लाभ: रूस और उसके सहयोगी देशों के साथ मजबूत संबंधों से भारत की “मल्टी-अलाइन्मेंट” की नीति और भी मजबूत होगी।
    • मल्टी-अलाइन्मेंट नीति: विविध देशों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखने की नीति। 

यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EAEU) के बारे में

  • परिचय: यह एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसे क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग और एकीकरण के लिए स्थापित किया गया है।
  • स्थापना: इसे 2014 में "यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन ट्रीटी" के माध्यम से स्थापित किया गया था।
  • लाभ: यह सदस्य देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं, पूंजी और श्रमिकों आदि के स्वतंत्र आवागमन की सुविधा प्रदान करता है।
  • Tags :
  • Eurasian Economic Union

इंटरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज़ (INF) संधि {INTERMEDIATE-RANGE NUCLEAR FORCES (INF) TREATY}

रूस ने आधिकारिक तौर पर 1987 की इंटरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज़ (INF) संधि के प्रति अपनी प्रतिबद्धता समाप्त की। रूस ने इसके पीछे अमेरिका की हालिया सैन्य कार्रवाइयों का हवाला दिया है। इन कार्रवाइयों में रूसी तटों के करीब दो परमाणु पनडुब्बियों को तैनात करने का अमेरिकी आदेश और फिलीपींस में टाइफून मिसाइल प्रणाली की तैनाती शामिल है।

इंटरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज़ (INF) संधि के बारे में

  • यह संधि 1987 में संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच हस्ताक्षरित की गई थी। इस संधि के तहत 500-5,500 किमी की रेंज की सभी जमीन से प्रक्षेपित बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों को नष्ट करना आवश्यक था। 
  • यह परमाणु शस्त्रागार को कम करने, हथियारों की एक पूरी श्रेणी को हटाने तथा सत्यापन के लिए साइट पर निरीक्षण की अनुमति देने वाला पहला बड़ा समझौता था।
  • 2019 में अमेरिका के इस संधि से हटने के बाद यह पहले ही कमजोर हो गई थी।

परमाणु हथियार नियंत्रण पर प्रभाव

  • शस्त्र नियंत्रण फ़्रेमवर्क्स का खंडित होना: देशों के बीच विश्वास कमजोर हुआ है, जिससे भविष्य में परमाणु निरस्त्रीकरण के प्रयास कठिन हो जाएंगे। 
  • परमाणु निरस्त्रीकरण पर नकारात्मक प्रभाव: प्रमुख शक्तियां परमाणु हथियारों के आधुनिकीकरण में तेजी ला रही हैं, जबकि परमाणु हथियार विहीन देश अपनी परमाणु अप्रसार प्रतिबद्धताओं पर पुनर्विचार कर रहे हैं। इससे वैश्विक अस्थिरता बढ़ रही है।
  • शीत युद्ध की राजनीति की वापसी: संधि के प्रभावहीन होने से शीत युद्ध युग के यूरोपीय मिसाइल संकट के फिर से उभरने की आशंका उत्पन्न हो गई है।
  • सुरक्षा संबंधी जोखिम में वृद्धि: इस तरह की मिसाइलें बहुत तेजी से लक्ष्य तक पहुंच सकती हैं, जिससे प्रक्षेपण संबंधी भ्रामक अलर्ट के कारण वैश्विक परमाणु संघर्ष की संभावना बढ़ सकती है।
  • Tags :
  • Intermediate-Range Nuclear Forces (INF) Treaty
  • Nuclear arms treaty

संयुक्त राज्य अमेरिका की मध्यस्थता से आर्मेनिया-अज़रबैजान शांति समझौता संपन्न हुआ (ARMENIA-AZERBAIJAN PEACE AGREEMENT BROKERED BY THE UNITED STATES)

इस समझौते का उद्देश्य दक्षिण काकेशस क्षेत्र के दो देशों के बीच दशकों से चले आ रहे संघर्ष को समाप्त करना है।

इस समझौते के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र 

  • संघर्ष की समाप्ति: दोनों देशों ने सशस्त्र संघर्ष खत्म करने और राजनयिक संबंध स्थापित करने पर सहमति जताई।
  • ट्रम्प रूट फॉर इंटरनेशनल पीस एंड प्रोस्पेरिटी" (TRIPP) मार्ग: आर्मेनियाई क्षेत्र से होकर अज़रबैजान को उसके एक्स्क्लेव नखचिवन से जोड़ने वाला नया ट्रांजिट मार्ग बनाया जाएगा।
    • इस मार्ग के विकास का अनन्य अधिकार संयुक्त राज्य अमेरिका के पास होगा।
  • अमेरिकी सहयोग समझौते: दोनों देशों ने ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और अर्थव्यवस्था में सहयोग बढ़ाने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अलग-अलग समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए।

संघर्ष की पृष्ठभूमि

आर्मेनिया-अज़रबैजान संघर्ष मुख्य रूप से नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र को लेकर है। यह क्षेत्र अज़रबैजान में मुख्य रूप से नृजातीय आर्मेनियाई लोगों की आबादी वाला एक पहाड़ी क्षेत्र है।

  • 1980 का दशक: आर्मेनिया के समर्थन से नागोर्नो-काराबाख अज़रबैजान से अलग हो गया।
  • 1991: दोनों देशों को सोवियत संघ से स्वतंत्रता मिली, लेकिन विवाद जारी रहा।    
  • 2023: अज़रबैजान ने पूरे क्षेत्र पर पूर्ण नियंत्रण हासिल कर लिया, जिसके कारण लगभग 100,000 आर्मेनियाई लोग आर्मेनिया पलायन कर गए।

भारत के हित

भारत इस शांति समझौते का समर्थन करता है और इसे वार्ता और कूटनीति के लिए एक "महत्वपूर्ण उपलब्धि" मानता है। यह समझौता भारत के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि:

  • आर्मेनिया इस क्षेत्र का एकमात्र देश है, जिसके साथ भारत की मैत्री और सहयोग संधि (1995 में हस्ताक्षरित) है।
  • अज़रबैजान भारत को मध्य एशिया के माध्यम से रूस से जोड़ने वाले अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा मार्ग पर स्थित है।
  • Tags :
  • Armenia-Azerbaijan

अलास्का शिखर सम्मेलन (ALASKA SUMMIT)

संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के राष्ट्रपति ने रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध-विराम की संभावनाओं पर विचार करने के लिए अलास्का में बैठक की।

अलास्का के बारे में:

  • अलास्का संयुक्त राज्य अमेरिका का भौगोलिक रूप से असंबद्ध (non-contiguous) राज्य है। यह उत्तरी अमेरिका महाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी सिरे पर अवस्थित है ।
  • अलास्का संधि 1867 के तहत इसे संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूस से खरीदा था।
  • समुद्री सीमाएं: इसके उत्तर में ब्यूफोर्ट सागर और आर्कटिक महासागर, दक्षिण में अलास्का की खाड़ी और प्रशांत महासागर, पश्चिम में बेरिंग सागर, उत्तर-पश्चिम में चुकची सागर हैं।
  • नॉर्दर्न लाइट्स या ऑरोरा बोरेलिस अलास्का के अधिकांश हिस्सों से दिखाई देती हैं।
  • लगभग एक-तिहाई अलास्का राज्य आर्कटिक सर्कल के भीतर स्थित है और लगभग 85% अलास्का परमाफ़्रॉस्ट से ढका हुआ है। 
  • Tags :
  • Alaska Summit
  • Ukraine-Russia War

एशिया-प्रशांत प्रसारण विकास संस्थान (ASIA-PACIFIC INSTITUTE FOR BROADCASTING DEVELOPMENT: AIBD)

भारत को AIBD के कार्यकारी बोर्ड का अध्यक्ष चुना गया। यह निर्णय थाईलैंड में आयोजित 23वें AIBD-महा-सम्मेलन में लिया गया।

एशिया-प्रशांत प्रसारण विकास संस्थान (AIBD) के बारे में

  • स्थापना: AIBD की स्थापना 1977 में यूनेस्को के तत्वाधान में की गई थी। यह एक विशेष क्षेत्रीय अंतर-सरकारी संगठन है।
  • सचिवालय: कुआलालंपुर (मलेशिया)।
  • कार्य: एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक जीवंत और समन्वित इलेक्ट्रॉनिक मीडिया परिवेश सुनिश्चित करना।
  • सदस्य: वर्तमान में 45 देशों के 92  संगठन इसके सदस्य हैं।
    • भारत AIBD का संस्थापक सदस्य है। इसमें भारत का पब्लिक सर्विस ब्रॉडकास्टर ‘प्रसार भारती’ सूचना और प्रसारण मंत्रालय का प्रतिनिधित्व करता है।
  • Tags :
  • Asia-Pacific Institute For Broadcasting Development (Aibd)

सुर्ख़ियों में रहे विवादित क्षेत्र (AREAS IN CONFLICT IN NEWS)

विवादित क्षेत्र

कारण 

प्रमुख भौगोलिक

विशेषताएं

मानचित्र

गाजा (खान

यूनिस, राफा,

जबालिया, दीर

अल-बलाह)।

 

संयुक्त राष्ट्र (UN) ने अगस्त 2025 में आधिकारिक रूप से अकाल घोषित किया, जहाँ लगभग 5 लाख लोग लोग भुखमरी के खतरे में हैं। इसका कारण है इजरायल की लंबी चली आ रही नाकेबंदी और हमास के हमले के बाद सहायता सामग्री की सीमित एंट्री

  • पूर्वी भूमध्यसागर के किनारे स्थित एक छोटी तटीय पट्टी
  • इसके उत्तर और पूर्व में इजरायल, तथा दक्षिण-पश्चिम में मिस्र की सीमा लगती है।
  • लगभग 22 लाख की आबादी के साथ यह दुनिया के सबसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में से एक है।

 

 

सूडान

(दारफुर,

खार्तूम,

दक्षिणी

कोर्डोफन, ब्लू नील स्टेट)

 

अप्रैल 2023 में सेना और शक्तिशाली अर्धसैनिक समूह रैपिड सपोर्ट फ़ोर्स (RSF) के बीच भयंकर सत्ता संघर्ष शुरू होने के बाद सूडान एक गृह-युद्ध में उलझ गया

 

  • उत्तर-पूर्व अफ्रीका में स्थित, जिसके उत्तर में मिस्र और उत्तर-पूर्व में लाल सागर है।
  • अफ्रीका का तीसरा सबसे बड़ा देश
  • नील नदी तंत्र (व्हाईट नील और ब्लू नील नदी) सूडान से होकर बहती है।

यूक्रेन

(कीव,

डोनेट्स्क,

ज़ापोरिज्जिया,

चेर्कासी

और

चेर्निहाइव,

और खार्किव)।

 

रूस के लगातार मिसाइल और ड्रोन हमलों के बीच यूक्रेन में मानवीय हालात और बिगड़ रहे हैं

 

  • पूर्व में रूस, और दक्षिण में काला सागर व आज़ोव सागर की सीमा लगती है।
  • नीपर  नदी (Dnieper River) कीव से होकर बहती है और काला सागर में मिलती है। 
  • पश्चिम में कार्पेथियन पर्वत और दक्षिण में क्रीमियन पर्वत स्थित हैं।

डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (उत्तर किवु, इतुरी प्रांत)

कांगो पूर्वी हिस्से में लंबे समय से युद्धों का सामना कर रहा है, जो नृजातीय तनाव, कमजोर शासन और खनिज संपदा के लिए संघर्ष की वजह से है।

  • मध्य अफ्रीका में स्थित और महाद्वीप का दूसरा सबसे बड़ा देश
  • कांगो नदी बेसिन – अफ्रीका की दूसरी सबसे लंबी नदी
  • कांगो वर्षावन – दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उष्णकटिबंधीय वर्षावन
  • खनिज संपदा से भरपूर – कोबाल्ट, तांबा, सोना आदि।
  • Tags :
  • Areas in Conflict in News
Download Current Article
Subscribe for Premium Features

Quick Start

Use our Quick Start guide to learn about everything this platform can do for you.
Get Started