ISRO ने त्सो कर वैली, लद्दाख में HOPE एनालॉग मिशन का उद्घाटन किया (ISRO INAUGURATES HOPE ANALOG MISSION IN TSO KAR VALLEY, LADAKH)
हिमालयन आउटपोस्ट फॉर प्लैनेटरी एक्सप्लोरेशन (HOPE) चालक दल के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया आवास मॉड्यूल और संचालन एवं समर्थन प्रणाली हेतु एक उपयोगिता मॉड्यूल है। ये मॉड्यूल्स निर्बाध कार्यप्रवाह के लिए आपस में जुड़े हुए हैं।
- इसरो द्वारा स्थापित HOPE स्टेशन पृथ्वी पर अंतरिक्ष जैसी स्थितियां निर्मित करेगा। इससे भविष्य के अंतरग्रहीय मिशनों के लिए अनुसंधान में सहायता मिलेगी।
HOPE मिशन के बारे में
- नेतृत्व: इसरो का मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (HSFC), भारतीय उद्योग और प्रमुख संस्थान संयुक्त रूप से इस मिशन का नेतृत्व कर रहे है।
- उद्देश्य:
- चंद्रमा और मंगल जैसे अन्य खगोलीय पिंडों के वातावरण का अनुकरण करना;
- अंतरिक्ष जैसे परिवेश में मानव के अस्तित्व, स्वास्थ्य प्रोटोकॉल और उपकरणों का परीक्षण करना आदि।
- किए जाने वाले अध्ययन:
- एपिजेनेटिक्स, जीनोमिक्स, फिजियोलॉजी और मनोविज्ञान जैसे विषयों पर शोध किए जाएंगे।
- नमूना संग्रह और सूक्ष्मजीव विश्लेषण तकनीकों का मूल्यांकन किया जाएगा।
- स्वास्थ्य निगरानी और ग्रहीय सतह परिचालन प्रोटोकॉल का सत्यापन किया जाएगा।
- त्सो कर वैली को क्यों चुना गया?
- मंगल जैसी परिस्थितियां: उच्च पराबैंगनी (UV) विकिरण, निम्न वायुमंडलीय दबाव, अत्यधिक ठंड और लवणीय पर्माफ्रॉस्ट जैसी स्थितियां मंगल ग्रह के समान हैं।
- यह स्थान तकनीकी परीक्षणों और खगोल-जीव विज्ञान अनुसंधान दोनों के लिए अनुकूल है।
- यह मिशन विश्व भर में चल रहे व्यापक अनुरूप मिशनों की प्रवृत्ति का हिस्सा है। इनका उद्देश्य लंबी अवधि के पृथ्वी से इतर अन्य खगोलीय पिंडों पर मानव मिशनों के लिए तैयारी करना है।
- वैश्विक संदर्भ: विश्व में इस तरह के अन्य स्टेशन निम्नलिखित हैं:
- संयुक्त राज्य अमेरिका का मार्स डेजर्ट रिसर्च स्टेशन;
- कनाडा का फ्लैशलाइन मार्स आर्कटिक स्टेशन;
- रूस का BIOS-3 आदि।
- वैश्विक संदर्भ: विश्व में इस तरह के अन्य स्टेशन निम्नलिखित हैं:

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- HOPE Analog Mission
- Tso Kar Valley
Articles Sources
इसरो का सबसे भारी रॉकेट ‘लूनर मॉड्यूल लॉन्च व्हीकल (LMLV)’ 2035 तक तैयार हो जाएगा (ISRO’S HEAVIEST ROCKET LUNAR MODULE LAUNCH VEHICLE (LMLV) TO BE READY BY 2035)
लूनर मॉड्यूल लॉन्च व्हीकल (LMLV) की मुख्य विशेषताएं
- डिजाइन: यह नेक्स्ट जनरेशन लॉन्च व्हीकल (NGLV) का उन्नत संस्करण होगा।
- इसकी ऊंचाई लगभग 40 मंजिला इमारत जितनी होगी।
- उद्देश्य: इसक चंद्र मिशन के लिए उपयोग किया जाएगा, जिसमें 2040 तक भारत का पहला मानव चंद्र मिशन भी शामिल है।
- पेलोड: यह निम्न भू-कक्षा (LEO) तक 80 टन या चंद्रमा तक लगभग 27 टन भार ले जा सकता है।
- यह 3 चरण वाला यान होगा। इसके पहले दो चरणों के लिए द्रव प्रणोदक और तीसरे चरण के लिए क्रायोजेनिक प्रणोदक का इस्तेमाल किया जायेगा।
इसरो के प्रमुख प्रक्षेपण यान और उनकी विशेषताएं
- ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV): यह इसरो का द्रव चरणों वाला तीसरी पीढ़ी का प्रक्षेपण यान है। यह सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा, LEO और भू-तुल्यकालिक अंतरण कक्षा (GTO) में उपग्रहों को स्थापित करने में सक्षम है। उदाहरण के लिए- चंद्रयान-1, मंगल ऑर्बिटर मिशन आदि।
- भू-तुल्यकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV): यह चौथी पीढ़ी का और तीन-चरणों वाला प्रक्षेपण यान है। इसे 2.0 टन श्रेणी के उपग्रहों को GTO में स्थापित करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसका उपयोग समायातः संचार उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिए किया जाता है।
- LVM 3: यह हेवी लिफ्ट-ऑफ क्षमता से युक्त तीन-चरणों वाला प्रक्षेपण यान है। यह 4 टन की श्रेणी वाले उपग्रहों को GTO तक या लगभग 10 टन वजन वाले उपग्रहों को LEO में स्थापित करने में सक्षम है (जैसे चंद्रयान-2 और 3)।
- इसे भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन को स्थापित करने के लिए उपयोग किया जाना प्रस्तावित है।
- लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV): यह पूर्णतः ठोस प्रणोदक से संचालित तीन-चरणों वाला प्रक्षेपण यान है। इसे मिनी, माइक्रो या नैनो उपग्रहों (10 से 500 किलोग्राम वजन) को प्रक्षेपित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
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- Lunar Module Launch Vehicle
ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BRAIN-COMPUTER INTERFACE: BCI)
स्टैनफोर्ड के वैज्ञानिकों ने ‘पासवर्ड-प्रोटेक्टेड माइंड रीडिंग ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI)’ विकसित किया। यह नवाचार यह सुनिश्चित करता है कि ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस उपयोगकर्ता की गोपनीयता का सम्मान करे। इसके लिए विचारों को टेक्स्ट या ऑडियो में बदलने से पहले एक मानसिक पासवर्ड (Mental password) डालना जरूरी होगा।
ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) क्या है?
- BCI एक ऐसी तकनीक है, जो सीधे मस्तिष्क और डिवाइस के बीच संचार (Communication) स्थापित करती है। यह तंत्रिका संकेतों (Neural signals) को कमांड में बदल देती है।
- इस तरह यह मांसपेशियों के नियंत्रण को बीच से हटा देती है। इससे उपयोगकर्ता केवल सोचकर ही ऐप्लिकेशन चला सकते हैं।
- BCI दिमाग की गतिविधि को रिकॉर्ड करता है (या तो सर्जरी से लगाए गए इम्प्लांट के जरिए या फिर बिना सर्जरी वाले धारण करने योग्य उपकरण से), फिर उन संकेतों को प्रोसेस करके कमांड में बदलती है। साथ ही, सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए उपयोगकर्ता को मिलने वाला फ़ीडबैक भी बहुत जरूरी होता है।
BCI के मुख्य उपयोग:
- चिकित्सा: लकवा, ALS या स्ट्रोक के मरीजों में दोबारा चलने-फिरने और बोलने की क्षमता लौटाने में मददगार।
- मानसिक स्वास्थ्य: मानसिक स्वास्थ्य के प्रबंधन और बेहतर करने के लिए फीडबैक प्रदान करना।
- गेमिंग/ उद्योग: और ज्यादा बेहतर गेमिंग अनुभव तथा फैसले लेने में मदद करने वाली प्रणालियों में।
- संज्ञानात्मक क्षमता बढ़ाना: याददाश्त, ध्यान एवं निर्णय लेने की क्षमता को और बेहतर बनाने की संभावना।
BCI से जुड़ी मुख्य चिंताएं:
- साइबर सुरक्षा: ब्रेन टैपिंग (निजी विचारों/ विश्वासों को रोकना), भ्रामक उत्तेजना हमले (मन पर नियंत्रण), और AI घटकों पर प्रतिकूल हमले जैसे जोखिम की संभावना बनी रहेगी।
- गोपनीयता: संवेदनशील तंत्रिका डेटा को अनधिकृत पहुंच से बचाना एक मुख्य समस्या होगी।
- मानसिक स्वतंत्रता: व्यक्ति की मानसिक आत्मनिर्णय क्षमता (अपनी सोच पर खुद का नियंत्रण) के लिए खतरा होगा।
- स्वास्थ्य पर असर: BCI के लंबे समय तक इस्तेमाल के परिणाम अभी स्पष्ट नहीं हैं।
- नियम और लागत: मानक विनियमों की कमी और अधिक लागत इसकी पहुंच को सीमित करेगी।
आगे की राह
- मजबूत विनियम: विशेष डेटा गोपनीयता कानूनों को लागू करना चाहिए, पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए और उपयोगकर्ताओं की सहमति लेना सुनिश्चित करना चाहिए आदि।
- बेहतर सुरक्षा: BCI के लिए अलग से सुरक्षा उपाय और एक्सेस कंट्रोल सिस्टम विकसित करने चाहिए।
- न्यूरोराइट्स की स्थापना: मानसिक गोपनीयता, सोच की स्वतंत्रता और मस्तिष्क पर आत्म-नियंत्रण की रक्षा करनी चाहिए, ताकि किसी भी तरह के शोषण या अनधिकृत हस्तक्षेप से बचा जा सके।
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- Brain-Computer Interface (BCI)
यूरोपीय आयोग के जनरल-पर्पज AI (GPAI) कोड ऑफ प्रैक्टिस {EU AI CODE OF PRACTICE ON GENERAL-PURPOSE (GPAI)}
26 तकनीकी कंपनियों ने यूरोपीय आयोग के ‘जनरल-पर्पज AI (GPAI) कोड ऑफ प्रैक्टिस’ पर हस्ताक्षर किए। अमेज़न, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और IBM सहित 26 प्रमुख तकनीकी कंपनियों ने स्वेच्छा से यूरोपीय आयोग के ‘जनरल-पर्पज AI (GPAI) कोड ऑफ प्रैक्टिस’ पर हस्ताक्षर किए हैं।
- यह संहिता स्वैच्छिक है, लेकिन इस पर हस्ताक्षर करने वालों को कानूनी स्पष्टता मिल सकती है और EU के आगामी AI अधिनियम के बाध्यकारी प्रावधानों के अनुसार अनुकूलन करना उनके लिए आसान हो सकता है। यह अधिनियम अगले दो वर्षों में लागू हो जाएगा।
- इस संहिता में तीन अध्याय हैं: पारदर्शिता, कॉपीराइट और बचाव एवं सुरक्षा।
यूरोपीय संघ AI अधिनियम के बारे में
- यूरोपीय संघ AI अधिनियम दुनिया का पहला व्यापक AI कानून है।
- इस अधिनियम में विनियमन के लिए जोखिम-आधारित दृष्टिकोण अपनाया गया है। साथ ही, यह AI से उत्पन्न जोखिम के अनुसार उस पर अलग-अलग नियम लागू करता है।
- यह AI प्रदाताओं के लिए स्पष्ट जवाबदेही सुनिश्चित करता है। इसका अपनी मूल्य श्रृंखलाओं और थर्ड पार्टी जोखिम प्रबंधन के माध्यम से जनरेटिव AI का उपयोग करने वाले व्यवसायों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।
- जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) की तरह, EU AI अधिनियम के भी एक वैश्विक मानक बनने की उम्मीद है। इसका उद्देश्य दुनिया भर में जीवन पर AI के नकारात्मक की बजाय सकारात्मक प्रभाव सुनिश्चित करना है।
- अनुपालन: नियमों का पालन न करने पर काफी जुर्माना लगाया जा सकता है, जो कंपनी के वैश्विक टर्नओवर का 7% तक हो सकता है।
कंपनियों द्वारा उठाई गई प्रमुख चिंताएं
- कंपनियों का मानना है कि यह कोड मॉडल डेवलपर्स के लिए कानूनी अस्पष्टताएं पैदा करता है और आगामी AI अधिनियम के दायरे से परे है।
- विनियामक जटिलता और प्रशासनिक बोझ से यूरोप की AI प्रतिस्पर्धात्मकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
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- GPAI
- EU AI Act
- EU Commission’s AI Code of Practice
फास्टैग वार्षिक पास (ANNUAL FASTAG PASSES)
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने फास्टैग वार्षिक पास सुविधा शुरू की।
- यह सुविधा FASTag को बार-बार रिचार्ज करने की जरूरत को समाप्त कर देती है। एक बार में भुगतान किया गया 3,000 रुपए का शुल्क एक साल या 200 टोल प्लाजा क्रॉसिंग्स तक मान्य होगा।
फास्टैग के बारे में
- यह एक ऐसा डिवाइस है जिसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक का उपयोग किया जाता है। इसमें फास्टैग (RFID टैग) वाहन की फ्रंट विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है और फास्टैग से जुड़े अकाउंट से सीधे टोल का भुगतान हो जाता है।
- RFID: इसमें टैग और रीडर्स होते हैं, जो रेडियो तरंगों का इस्तेमाल करके वस्तुओं या लोगों की जानकारी पास के रीडर को भेजते हैं।
- यह एक शार्ट-रेंज तकनीक है।
- इसका प्रबंधन भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा किया जाता है।
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- RFID
- FASTAG
- FASTag Annual Pass
महाराष्ट्र ने हाइपरलूप के निर्माण के लिए IIT मद्रास के स्टार्ट-अप (ट्यूटर हाइपरलूप प्राइवेट लिमिटेड) के साथ समझौता किया (MAHARASHTRA INKS DEAL WITH IIT MADRAS STARTUP(TUTR HYPERLOOP PVT LTD) TO BUILD HYPERLOOP)
यह नवी मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट को पालघर जिले के प्रस्तावित वधावन पोर्ट से जोड़ेगा। यह प्रस्तावित लीनियर इंडक्शन मोटर (LIM)-आधारित हाइपरलूप मोबिलिटी सिस्टम है।
हाइपरलूप मोबिलिटी सिस्टम के बारे में
- 2013 में, स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने हाइपरलूप नामक अल्ट्रा-हाई-स्पीड रेल (UHSR) की अवधारणा का प्रस्ताव प्रस्तुत किया था और इसे ओपन-सोर्स किया था।
- यह मूल रूप से मैग्नेटिक लेविटेशन (मैगलेव) प्रणाली है, जिसमें पॉड्स कम दबाव वाली ट्यूबों के जरिए अल्ट्रा-हाई स्पीड से यात्रा करते हैं।
- इसकी कार्यप्रणाली और प्रमुख घटक
- हाइपरलूप एक सीलबंद ट्यूब में काम करता है, जिसमें बहुत कम हवा का प्रतिरोध होता है। अतः निर्वात और मैग्नेटिक लेविटेशन की मदद से पॉड्स को ट्रैक से कुछ ऊपर (हॉवर) बनाए रखा जाता है।
- लीनियर इंडक्शन मोटर (LIM) पॉड्स को आगे बढ़ाते हुए 1,200 किमी/ घंटा की सैद्धांतिक गति प्रदान करती है।
- इसके प्रमुख घटकों में शामिल हैं:
- स्टील ट्यूब्स (100Pa दबाव से युक्त);
- प्रेशराइज्ड कैप्सूल्स;
- एयरफ्लो के लिए कंप्रेसर; तथा
- एयर बेयरिंग सस्पेंशन।
- लाभ:
- अति-उच्च गति (उदाहरण के लिए- 25 मिनट में मुंबई-पुणे),
- ऊर्जा दक्षता (संभावित रूप से कार्बन-मुक्त),
- शोर में कमी, और लॉजिस्टिक्स में सुधार (कार्गो को शीघ्रता और कुशलता से ले जाना)।
- प्रौद्योगिकी से संबंधित मुद्दे:
- यह अभी संकल्पना के चरण में हैं,
- इसके निर्माण में उच्च लागत आएगी (केवल प्रौद्योगिकी के लिए प्रति मिल लगभग 25-27 मिलियन डॉलर की आवश्यकता होगी),
- सुरक्षा संबंधी चिंताएं (पॉड्स में आग लगना और दुर्घटना की स्थिति में लोगों को बाहर निकालने में कठिनाई),
- ट्यूब में निर्वात को बनाए रखने संबंधी चुनौतियां,
- ट्यूब का निर्माण यथा संभव एक सीध में करना, जिसके लिए नए विनियमों की आवश्यकता होगी।
- हाइपरलूप प्रौद्योगिकी से जुड़ी तकनीकी और सुरक्षा संबंधी चुनौतियों को दूर करने के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता, निरंतर अनुसंधान और विकास तथा नए विनियामकीय फ्रेमवर्क अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
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