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संक्षिप्त समाचार

04 Sep 2025
8 min

स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (S&P) ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को 'BBB-' से बढ़ाकर 'BBB' किया। S&P ने भारत की लंबी अवधि की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को 'BBB-' से 'BBB' और छोटी अवधि की रेटिंग को 'A-3' से 'A-2' कर दिया है, जिसमें आउटलुक स्थिर (Stable) है।

  • यह 2007 के बाद भारत के लिए S&P द्वारा पहला सॉवरेन अपग्रेड है। 2007 में, भारत को BBB- के इन्वेस्टमेंट-ग्रेड में अपग्रेड किया गया था।
  • यह अपग्रेड भारत की अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के प्रति प्रतिबद्धता; सार्वजनिक व्यय की बेहतर गुणवत्ता और मजबूत कॉर्पोरेट, वित्तीय और बाहरी बैलेंस शीट को दर्शाता है।

सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग (SCR) के बारे में

  • यह क्या है: यह दरअसल किसी देश या संप्रभु संस्था के ऋण और उस पर ब्याज चुकाने के दायित्व को समय पर पूरा करने का आकलन है। इसमें संबंधित देश या संस्था की ऋण चुकाने की क्षमता और इच्छाशक्ति, दोनों को महत्त्व दिया जाता है।
  • प्रमुख SCR एजेंसियां: S&P, Fitch और Moody’s. 
  • रेटिंग ग्रेड: SCR में मोटे तौर पर देशों को इन्वेस्टमेंट-ग्रेड या स्पेक्युलेटिव-ग्रेड में रेट किया जाता है। स्पेक्युलेटिव-ग्रेड वाले देशों पर कर्ज चुकाने में चूक (Default) का जोखिम ज़्यादा होता है।
    • इन्वेस्टमेंट-ग्रेड रेटिंग: S&P और Fitch के लिए यह BBB- से AAA तक होती है, जबकि Moody's के लिए यह Baa3 से Aaa तक होती है।
  • महत्त्व: उच्च रेटिंग से वैश्विक पूंजी बाजारों से उधार लेने में मदद मिलती है; उच्च रेटिंग से विदेशी निवेश आकर्षित होता है, और कर्ज लेने की लागत कम होती है।
  • मुद्दे: रेटिंग प्रक्रियाओं में पक्षपात, हितों का टकराव और रेटिंग सीलिंग को लेकर चिंताएं हैं।
    • रेटिंग सीलिंग: यह इस विचार से संबंधित है कि किसी कॉर्पोरेट संस्था को उस देश की तुलना में उच्चतर रेटिंग नहीं दी जाती जिसमें वह स्थित है। इससे उस देश के घरेलू बाजार के विकास में बाधा आ सकती है।

वित्त संबंधी संसदीय स्थायी समिति के अनुसार, प्रमुख महानगरों में गिफ्ट सिटी जैसे वित्तीय केंद्र विकसित करने चाहिए।

  • यह टिप्पणी वित्त संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने की है। भारत का पहला और एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंशियल टेक सिटी (GIFT/ गिफ्ट सिटी) में स्थापित किया गया है।

गिफ्ट सिटी IFSC (गांधीनगर, गुजरात) के बारे में

  • इसे 2015 में एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) के रूप में स्थापित किया गया था। इसे विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के तहत नॉन-रेसिडेंट जोन के रूप में नामित किया गया है।
    • IFSC एक ऐसा विशेष क्षेत्र होता है, जहां निवासियों (रेजिडेंट) और गैर-निवासियों (नॉन-रेजिडेंट) को विदेशी मुद्रा में वित्तीय सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
  • IFSC के मुख्य कार्य:
  • अनुकूल कर संरचना: IFSC प्रतिस्पर्धी कर परिवेश में सीमा-पार वित्तीय उत्पाद और सेवाएं प्रदान करता है।
  • विश्वसनीय विनियामक व्यवस्था: यह ऑनशोर प्रतिभा को ऑफशोर तकनीकी और विनियामकीय ढांचे के साथ विविध सुविधाएं प्रदान करता है।
  • व्यापार करने में सुगमता: वैश्विक मानकों के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवाओं के सुगम संचालन को संभव बनाता है, तथा भारत में आने वाले और बाहर जाने वाले निवेश को बढ़ावा देता है।
  • विनियामक निकाय: अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA), भारत में IFSCs के अंतर्गत वित्तीय उत्पादों, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों को विनियमित करता है।
    • IFSCA को IFSCA अधिनियम, 2019 के तहत 2020 में स्थापित किया गया है।
  • वर्तमान स्थिति: GIFT-IFSC को वैश्विक वित्तीय केंद्र सूचकांक में 46वां स्थान मिला है (5 रैंक का सुधार); तथा फिनटेक रैंकिंग में 45वां स्थान मिला है (4 रैंक का सुधार)।

RBI की एक समिति ने “फ्रेमवर्क फॉर रिस्पॉन्सिबल एंड एथिकल एनेबलमेंट ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (FREE-AI)” का अनावरण किया है। इसका उद्देश्य वित्तीय सेवाओं में नवाचार और जोखिम प्रबंधन के बीच संतुलन स्थापित करना है। 

FREE-AI विजन के बारे में

  • उद्देश्य: भारत के वित्तीय क्षेत्रक में AI को सुरक्षित, निष्पक्ष और जवाबदेह तरीके से अपनाने को सुनिश्चित करना।
  • 7 सूत्र: AI को अपनाने के लिए मूलभूत सिद्धांत (इन्फोग्राफिक्स देखें)।
  • द्वि-आयामी दृष्टिकोण:
    • नवाचार को बढ़ावा देना:
      • डेटा और कंप्यूट तक समान पहुंच के लिए साझा अवसंरचना। इसे इंडियाAI मिशन के तहत स्थापित किए गए AI कोष के साथ एकीकृत किया जा सकता है।
      • परीक्षण के लिए AI इनोवेशन सैंडबॉक्स और स्वदेशी वित्तीय AI मॉडल्स। 
      • विनियामक मार्गदर्शन के लिए AI नीति बनाना।
      • संस्थागत क्षमता निर्माण (बोर्ड और कार्यबल)।
      • समावेशन और अन्य प्राथमिकताओं को सुविधाजनक बनाने के लिए कम जोखिम वाले AI समाधानों हेतु नम्य अनुपालन आवश्यकताएं।
    • जोखिम को कम करना:
      • विनियमित संस्थाओं द्वारा बोर्ड-अनुमोदित AI नीतियां।
      • उत्पाद अनुमोदन प्रक्रियाओं, उपभोक्ता संरक्षण ढांचों और ऑडिट में AI-संबंधी पहलुओं को शामिल करना।
      • मजबूत साइबर सुरक्षा और घटना रिपोर्टिंग।
      • मजबूत AI लाइफसाइकल गवर्नेंस।
      • उपभोक्ताओं को AI के साथ अंतर्क्रिया करते समय जागरूक करना।

FREE-AI विज़न क्यों महत्वपूर्ण है?

  • AI का बढ़ता प्रभाव: वित्तीय क्षेत्रक में AI संबंधी निवेश से संबंधित अनुमान- 
    • बैंकिंग, बीमा, पूंजी बाजार और भुगतान क्षेत्रक में 2027 तक AI संबंधी निवेश 8 लाख करोड़ रुपये (97 बिलियन डॉलर) तक पहुंच सकता है।
    • केवल जनरेटिव AI (GenAI) के लिए 2033 तक 1.02 लाख करोड़ रुपये (12 बिलियन डॉलर) तक निवेश होने की संभावना है, जो सालाना 28-34% की दर से बढ़ेगा।
  • उभरते जटिल जोखिम: AI से डेटा गोपनीयता, एल्गोरिदम पक्षपात, बाजार में हेरफेर, साइबर सुरक्षा सुभेद्यताएं और गवर्नेंस संबंधी विफलताएं जैसे नए खतरे पैदा होते हैं। इन खतरों का सामना पारंपरिक ढांचा नही कर सकता।
    • उचित प्रबंधन के बिना, ये जोखिम बाजार की अखंडता को कमजोर कर सकते हैं; उपभोक्ता विश्वास को कम कर सकते हैं और प्रणालीगत सुभेद्यताएं पैदा कर सकते हैं।
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हाल ही में, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के बीच को-लेंडिंग व्यवस्था (CLA) के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये दिशा-निर्देश बैंकिंग विनियमन अधिनियम (1949), भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम (1934) और राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम (1987) के अंतर्गत जारी किए गए हैं। 

को-लेंडिंग क्या है?

  • को-लेंडिंग व्यवस्था (CLA) के तहत, विनियमित संस्थाएं (REs) आपस में साझेदारी कर उधारकर्ताओं को ऋण प्रदान कर सकती हैं, बशर्ते कि वे वर्तमान विनियामक नियमों का पालन करें।

संशोधित दिशा-निर्देशों की मुख्य विशेषताएं 

  • न्यूनतम हिस्सा: प्रत्येक विनियमित संस्था को ऋण का न्यूनतम 10% हिस्सा अपने पास रखना होगा।
  • प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रक को ऋण (PSL) का दर्जा: यदि ऋण PSL मानदंडों में आता है, तो हर ऋणदाता को-लेंडिंग (CL) के तहत अपने हिस्से के लिए PSL दर्जे का दावा कर सकता है। 
  • एकसमान परिसंपत्ति वर्गीकरण प्रणाली: यदि एक ऋणदाता किसी ऋण को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) के रूप में वर्गीकृत करता है, तो सभी अन्य साझेदार ऋणदाताओं को भी उस ऋण को NPA वर्गीकृत करना होगा।
  • मिश्रित ब्याज दर: उधारकर्ताओं से ली जाने वाली ब्याज दर सभी विनियमित संस्थाओं की आंतरिक ब्याज दरों के भारित औसत के आधार पर तय की जाएगी, जो उनके वित्त-पोषण योगदान के अनुपात में होगी। 

एक संसदीय स्थायी समिति ने नागर विमानन क्षेत्रक में सुरक्षा की समीक्षा पर रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट भारत में नागर विमानन क्षेत्रक की बढ़ती संवृद्धि के बीच नागर विमानन सुरक्षा परिवेश और नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) की प्रभावशीलता की जांच करती है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र 

व्यवस्थागत सुधार के लिए प्रमुख क्षेत्र

                  मुद्दे

          सिफारिशें

विनियामक स्वायत्तता और क्षमता बढ़ाना

  • DGCA में लगभग 50% स्टाफ की कमी है। UPSC के माध्यम से भर्ती प्रक्रिया धीमी और कठोर है।
  • DGCA को पूर्ण प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता देने के लिए समयबद्ध योजना बनानी चाहिए।
  • UPSC से अलग एक विशेष भर्ती तंत्र/ संस्था स्थापित करनी चाहिए। 

एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (ATCO) की थकान और स्टाफ की कमी दूर करना

  • ATCO की लगातार कमी और अत्यधिक कार्यभार।
  • थकान जोखिम प्रबंधन प्रणाली का तत्काल विकास, एक व्यापक स्टाफिंग ऑडिट और प्रशिक्षण क्षमता का विस्तार करना चाहिए।

निगरानी और प्रवर्तन तंत्र मजबूत करना

  • विशेष रूप से विमान की उड़ान योग्यता और एयरपोर्ट मानकों में कई सुरक्षा खामियों का लंबित समाधान।
  • कमियों को दूर करने के लिए एक समयबद्ध तंत्र और वित्तीय दंड सहित सख्त प्रवर्तन कार्रवाई की जरूरत है।

बार-बार होने वाले परिचालन जोखिमों को सुलझाना

  • एक समर्पित ऑकरेंस रिव्यू बोर्ड होने के बावजूद घटनाओं का गहन मूल-कारण विश्लेषण नहीं।
  • प्रत्येक घटना के लिए विस्तृत मूल-कारण विश्लेषण और केंद्रित उपचारात्मक कार्यक्रम

घरेलू रखरखाव, मरम्मत और कायापलट (MRO) क्षमताओं का विकास

  • आयातित पुर्जों पर उच्च कराधान और अवसंरचनात्मक सीमाओं सहित घरेलू MRO कंपनियों के समक्ष चुनौतियां।
  • घरेलू MRO क्षेत्रक को बढ़ावा देना: कर संरचना को युक्तिसंगत बनाना, वित्तीय और अवसंरचनात्मक प्रोत्साहन प्रदान करना, राष्ट्रीय विमानन कौशल विकास मिशन की स्थापना करना आदि।

न्यायोचित कार्य संस्कृति और व्हिसलब्लोअर सुरक्षा की स्थापना 

  • दंड का भय गलतियों की रिपोर्टिंग को हतोत्साहित कर सकता है। इससे सुरक्षा संबंधी निगरानी प्रभावित हो सकती है। 
  • एक व्यापक व्हिसलब्लोअर सुरक्षा ढांचे की स्थापना करना।

कोयला, खान और इस्पात संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने ‘स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति’ (SSRP) पर रिपोर्ट जारी की। इस्पात मंत्रालय ने SSRP को 2019 में अधिसूचित किया था, जिसके मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं:

  • सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देना: 6Rs {कम करना (Reduce), पुन: उपयोग करना, (Reuse) पुनर्चक्रण करना (Recycle), पुनर्प्राप्त करना (Recover), पुनः डिजाइन करना (Redesign) और पुनः निर्माण करना (Remanufacture)} रणनीति को अपनाना। 
  • उपयोग अवधि पूरी कर चुके उत्पादों के लिए औपचारिक एवं वैज्ञानिक संग्रह, डिस्मेंटल और प्रसंस्करण गतिविधियों को प्रोत्साहन देना। ऐसे उत्पाद पुनर्चक्रण योग्य लौह, अलौह एवं धात्विक कबाड़ के स्रोत होते हैं। 
  • विघटन एवं कतरन (Shredding) इकाइयों से उत्पन्न कचरे और अवशेषों के निपटान हेतु तंत्र का निर्माण करना।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र

प्रकट किए गए मुद्दे

संबंधित सिफारिशें

  • इस्पात स्क्रैप क्षेत्रक पर व्यापक डेटा बेस का अभाव 
  • स्टील स्क्रैप का एक मजबूत डेटाबेस विकसित करना चाहिए।
  • उत्पादन, उपयोग, नीतियों, कार्यक्रमों और लाभों पर अपडेटेड डेटा के साथ एक समर्पित पोर्टल बनाना चाहिए और उसका रखरखाव करना चाहिए। 
  • अन्य देशों के साथ तुलनात्मक आंकड़े भी शामिल करने चाहिए। 
  • स्टील स्क्रैप मामलों के लिए नामित नोडल मंत्रालय का अभाव 
  • इस्पात मंत्रालय को नोडल एजेंसी बनाना चाहिए।  
  • इसके द्वारा स्टील स्क्रैप से संबंधित सभी डेटा (राज्यवार, क्षेत्रवार, आयात व निर्यात) एकत्रित, संकलित, अपडेट और साझा किए जाने चाहिए।  
  • औपचारिक स्क्रैप बाजारों का अभाव
  • अनौपचारिक स्क्रैप क्षेत्रक को औपचारिक बनाने के लिए रोडमैप को लागू करना चाहिए।
  • आर्थिक और सामाजिक लाभ के लिए कबाड़ियों और डिस्मेंटल करने वालों को सहकारी समितियों में संगठित करना चाहिए। 
  • स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग क्षेत्रक को उद्योग का दर्जा न मिलना
  • घरेलू/ विदेशी निवेश को आकर्षित करने, रोजगार सृजन करने तथा कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए स्क्रैप रीसाइक्लिंग क्षेत्रक को 'उद्योग का दर्जा' प्रदान करना चाहिए।
  • स्क्रैप कार्यबल के लिए कौशल विकास और प्रमाणन का अभाव
  • राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) द्वारा कबाड़ प्रबंधन पर प्रमाणन कोर्स शुरू किया जाना चाहिए।  
  • औपचारिक क्षेत्रक की भविष्य की आवश्यकताओं के लिए कार्यबल और उद्यमियों को प्रशिक्षित करना चाहिए। 
  • स्क्रैप प्रसंस्करण केंद्रों में अप्रचलित प्रौद्योगिकी का उपयोग 
  • इन केंद्रों को (गैर-राजकोषीय) प्रोत्साहन देकर आधुनिक तकनीकों को अपनाने हेतु प्रेरित किया जाना चाहिए, जैसे:
    • AI-संचालित ऑप्टिकल सेंसर;
    • कबाड़ ट्रेसेब्लिटी के लिए ब्लॉकचेन; 
    • इस्पात मिलों को कबाड़ संग्राहकों से जोड़ने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म आदि। 

जुलाई 2025 में, भारत की खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 1.55% हो गई, जो पिछले 8 साल में सबसे निचला स्तर है। अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) द्वारा मापी गई यह मुद्रास्फीति जून 2017 के बाद सबसे कम वर्ष-दर-वर्ष मुद्रास्फीति दर दर्शाती है।

  • इसके अलावा, अखिल भारतीय उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI) या खाद्य मुद्रास्फीति पर आधारित वर्ष-दर-वर्ष मुद्रास्फीति दर जुलाई 2025 में -1.76% रही। यह जनवरी 2019 के बाद सबसे कम है।

गिरावट के कारण

  • अनुकूल आधार प्रभाव: इसका अर्थ किसी संदर्भित वर्ष के आंकड़ों का मौजूदा संवृद्धि दर पर पड़ने वाला प्रभाव है। 
  • मुद्रास्फीति में गिरावट: दालें और उत्पाद, परिवहन व संचार, सब्जियां, अनाज एवं उत्पाद, शिक्षा जैसी मदों की कीमतों में कमी आई है।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के बारे में

  • अर्थ: यह कुछ निश्चित वस्तुओं और सेवाओं के समूह के लिए समय के साथ उपभोक्ता द्वारा भुगतान की गई कीमतों में औसत परिवर्तन को मापता है।
  • महत्त्व: यह मुद्रास्फीति का एक व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला मैक्रोइकॉनॉमिक (समष्टि अर्थशास्त्रीय) संकेतक है। इसका उपयोग सरकार और केंद्रीय बैंकों द्वारा मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने, राष्ट्रीय खातों में अपस्फीतिकारकों (Deflator) के रूप में, और कर्मचारियों के महंगाई भत्ते तय करने के लिए किया जाता है।
  • प्रकाशक: इसे प्रत्येक महीने की 12 तारीख को केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
  • घटक: राष्ट्रीय स्तर पर चार प्रकार के CPI हैं:
    • औद्योगिक श्रमिकों (IW) के लिए CPI;
    • कृषि मजदूरों (AL) के लिए CPI;
    • ग्रामीण मजदूरों (RL) के लिए CPI; तथा  
    • शहरी गैर-मैनुअल कर्मचारियों (UNME) के लिए CPI  
  • CPI का आधार वर्ष: 2012 
  • थोक मूल्य सूचकांक (WPI) से तुलना: WPI थोक स्तर पर मुद्रास्फीति को मापता है और इसकी भारांश पद्धति CPI से अलग होती है।
    • CPI में खाद्य पदार्थों का भारांश अधिक होता है, जबकि WPI में ईंधन समूह का भारांश अधिक होता है।

RBI ने एक दशक में पहली बार किसी बैंक को यूनिवर्सल लाइसेंस प्रदान किया। यह लाइसेंस AU स्मॉल फाइनेंस बैंक को दिया गया है। RBI ने AU स्मॉल फाइनेंस बैंक को एक लघु वित्त बैंक (SFB) से यूनिवर्सल बैंक में बदलने के लिए 'सैद्धांतिक' मंजूरी दी है।

  • यह एक ऐसा लाइसेंस है, जो किसी बैंक को व्यावसायिक और निवेश बैंकिंग सहित सभी प्रकार की बैंकिंग सेवाएं एक ही मंच पर उपलब्ध कराने की अनुमति देता है।
  • इससे पहले 2014 में बंधन बैंक और IDFC बैंक (जो बाद में IDFC फर्स्ट बैंक बना) को यह लाइसेंस मिला था।

स्मॉल फाइनेंस बैंक से यूनिवर्सल बैंक में बदलने के लिए पात्रता मानदंड:

  • स्थिति: कम-से-कम 5 वर्षों से अनुसूचित बैंक का दर्जा होना चाहिए।
  • स्टॉक लिस्टिंग: बैंक के शेयर किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होने चाहिए।
  • नेट वर्थ: बैंक की न्यूनतम नेट वर्थ 1,000 करोड़ रुपये होनी चाहिए।
  • वित्तीय स्थिति:
    • लाभप्रदता: पिछले दो वित्त वर्षों में बैंक को निवल लाभ हुआ होना चाहिए।
    • परिसंपत्ति गुणवत्ता: पिछले दो वित्त वर्षों में सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (G-NPA) और निवल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (N-NPA) क्रमशः 3% व 1% से कम या बराबर होनी चाहिए।
  • प्रमोटर संबंधी शर्तें: इस बदलाव के दौरान किसी भी नए प्रमोटर को जोड़ा नहीं जाएगा और न ही मौजूदा प्रमोटर्स में कोई बदलाव किया जाएगा।
  • प्राथमिकता: विविध ऋण पोर्टफोलियो वाले स्मॉल फाइनेंस बैंक को प्राथमिकता दी जाएगी।

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