सागरमाला कार्यक्रम के 10 वर्ष (10 YEARS OF SAGARMALA PROGRAMME) | Current Affairs | Vision IAS
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सागरमाला कार्यक्रम के 10 वर्ष (10 YEARS OF SAGARMALA PROGRAMME)

04 Sep 2025
1 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

सागरमाला कार्यक्रम ने पिछले दशक में तटीय पोत परिवहन में 118% की वृद्धि हासिल की है। इससे लॉजिस्टिक्स लागत और प्रदूषण (उत्सर्जन) दोनों कम हुए हैं।

सागरमाला कार्यक्रम के बारे में

  • मंत्रालय: इसे 2015 में शुरू किया गया था। यह केंद्रीय पत्तन, पोत-परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय की एक प्रमुख पहल है।
  • उद्देश्य: भारत की 11,098 किमी लंबी तटरेखा और 14,500 किमी नौपरिवहन योग्य जलमार्गों की क्षमता का उपयोग करके देश के आर्थिक विकास को तेज करना।
  • मुख्य लक्ष्य:
    • अवसंरचना में कम-से-कम निवेश के साथ घरेलू परिवहन तथा आयात-निर्यात की लॉजिस्टिक्स लागत को भी कम करना है।
    • मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट में घरेलू जलमार्गों (आंतरिक व तटीय) को मजबूत करना।
    • बंदरगाहों और समुद्री क्षेत्रक में रोजगार सृजन एवं कौशल विकास करना
  • फंडिंग संरचना:
    • पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP),
    • आंतरिक और बजट से इतर संसाधन (MoPSW द्वारा),
    • उच्च सामाजिक प्रभाव वाली परियोजना के लिए अनुदान सहायता,
    • स्पेशल पर्पस व्हीकल (SPVs) के जरिये इक्विटी निवेश।
  • सागरमाला 2.0 (2025): इसके तहत मुख्य ध्यान जहाज निर्माण, मरम्मत, उसे तोड़ने और पुनर्चक्रण तथा बंदरगाहों के आधुनिकीकरण पर दिया गया है।

सागरमाला कार्यक्रम के कार्यान्वयन हेतु संस्थागत फ्रेमवर्क:

  • शीर्ष निकाय: राष्ट्रीय सागरमाला शीर्ष समिति (NSAC) की अध्यक्षता पोत परिवहन मंत्री करते हैं। यह समिति कार्यक्रम की नीतिगत दिशा तय करती है और उसकी निगरानी का काम करती है।
  • सागरमाला समन्वय और संचालन समिति (SCSC): इसकी अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करते हैं। यह समिति परियोजनाओं को लागू करने हेतु मंत्रालयों, राज्य सरकारों और एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित करती है।
  • राज्य सागरमाला समिति: इसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री/ बंदरगाह मामलों के प्रभारी मंत्री करते हैं। यह समिति सागरमाला से जुड़ी परियोजनाओं का समन्वय और सुविधा प्रदान करती है तथा NSAC द्वारा तय प्राथमिकता वाले मामलों को आगे बढ़ाती है।
  • राज्य समुद्री बोर्ड/राज्य पोर्ट विभाग: यह राज्य सागरमाला समिति को सेवाएं प्रदान करेंगें तथा परियोजनाओं के समन्वय व क्रियान्वयन के लिए उत्तरदायी होंगें।
  • सागरमाला डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड: इसे कंपनी अधिनियम 2013 के तहत स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य राज्य/क्षेत्र स्तर के स्पेशल पर्पस व्हीकल्स (SPVs) की मदद करना है।
    • अब इसका नाम बदलकर सागरमाला फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SMFCL) कर दिया गया है, और यह भारत की समुद्री क्षेत्रक की पहली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) है।

सागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत शुरू की गई विभिन्न पहलें

  • सागरमाला स्टार्टअप इनोवेशन इनिशिएटिव (S2I2): इसे मार्च 2025 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य समुद्री तकनीक में अनुसंधान, नवाचार, स्टार्टअप और उद्यमिता (Research, Innovation, Startups, and Entrepreneurship: RISE) को बढ़ावा देना है।
  • सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन मैरीटाइम एंड शिप बिल्डिंग (CEMS): इसे 2017 में पोत परिवहन मंत्रालय ने सीमेंस और इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग (IRS) के सहयोग से सागरमाला कार्यक्रम के तहत स्थापित किया था।
  • कोस्टल बर्थ योजना: इसका उद्देश्य बंदरगाहों या राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता देना है ताकि कार्गो और यात्रियों की आवाजाही के लिए समुद्री मार्ग या राष्ट्रीय जलमार्गों पर आवश्यक अवसंरचना का विकास किया जा सके।

 

निष्कर्ष

सागरमाला 2.0 भारत को समुद्री नवाचार और संधारणीय विकास का केंद्र बनाएगा, जिससे देश में एक वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी समुद्री क्षेत्रक इकोसिस्टम का विकास होगा जो आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और ब्लू इकोनॉमी को आगे बढ़ाएगा।

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