भारतीय पत्तन अधिनियम 2025 (INDIAN PORTS ACT 2025) | Current Affairs | Vision IAS
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भारतीय पत्तन अधिनियम 2025 (INDIAN PORTS ACT 2025)

04 Sep 2025
1 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

भारत के राष्ट्रपति ने भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 को मंजूरी प्रदान की है। यह औपनिवेशिक युग के भारतीय पत्तन अधिनियम, 1908 की जगह लेगा।

भारतीय पत्तन अधिनियम, 2025 के बारे में

इसका उद्देश्य पत्तन/ बंदरगाहों (Ports) से संबंधित कानूनों को एकीकृत करना, बंदरगाहों का समग्र विकास सुनिश्चित करना, व्यापार को सुगम बनाना और भारत की समुद्री तटरेखा का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना है।

भारतीय पत्तन अधिनियम, 2025 की मुख्य विशेषताएं:

  • राज्य समुद्रीय विकास परिषद (Maritime State Development Council: MSDC) को वैधानिक मान्यता: यह केंद्र सरकार द्वारा गठित एक परिषद है। इसका काम कानूनी फ्रेमवर्क, बंदरगाह क्षेत्रक के विकास, प्रतिस्पर्धा, दक्षता और बंदरगाह कनेक्टिविटी पर केंद्र सरकार को सुझाव देना है।
    • संरचना:
      • केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री इस परिषद के पदेन अध्यक्ष होंगे।
      • प्रत्येक तटीय राज्य के प्रभारी मंत्री,
      • तटीय सुरक्षा से जुड़े भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के सचिव, और 
      • केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के सचिव।
  • राज्य समुद्रीय बोर्ड (State Maritime Boards: SMB) को वैधानिक मान्यता: यह अपने-अपने राज्यों के प्रमुख बंदरगाहों के अतिरिक्त अन्य बन्दरगाहों (Non-Major Ports) का संचालन और प्रबंधन करेंगे।
  • विवाद निपटान तंत्र: प्रत्येक राज्य सरकार को बंदरगाहों (प्रमुख बंदरगाहों के अलावा) के बीच विवादों का निपटारा करने के लिए एक विवाद समाधान समिति का गठन करना होगा।
    • समितियों के अंतर्गत आने वाले मामलों पर किसी भी सिविल कोर्ट का क्षेत्राधिकार नहीं होगा।
    • विवाद समाधान समिति के आदेशों के खिलाफ 60 दिनों के भीतर हाई कोर्ट में अपील की जा सकती है।
  • बंदरगाह शुल्क और दरें:
    • प्रमुख (Major) बंदरगाहों या महापत्तन के लिए शुल्क बोर्ड ऑफ मेजर पोर्ट अथॉरिटी या कंपनी होने पर उसके निदेशक मंडल द्वारा तय किया जाएगा।
    • प्रमुख बंदरगाहों के अलावा अन्य बंदरगाहों के लिए शुल्क संबंधित राज्य समुद्रीय बोर्ड या अधिकृत एजेंसियां तय करेंगी।
  • बंदरगाह अधिकारी (Port officer): अधिनियम के अनुसार, राज्य सरकार प्रत्येक बंदरगाह या बंदरगाह समूह के लिए एक बंदरगाह अधिकारी (संरक्षक/ Conservator) नियुक्त करेगी।
    • इसके पास जहाज की बर्थिंग, मूरिंग, लंगर डालने, मूवमेंट और अवरोधों को हटाने के संबंध में निर्देश जारी करने की शक्तियां हैं।
  • मेगा पोर्ट्स: केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के परामर्श से, बंदरगाहों को "मेगा पोर्ट्स" के रूप में वर्गीकृत करने के मानदंड अधिसूचित करेगी। मेगा पोर्ट अपनी मूल स्थिति (प्रमुख बंदरगाह या अन्य बंदरगाह) को बनाए रखेगा और उस बंदरगाह पर लागू संबंधित कानूनों द्वारा संचालित होता रहेगा।
  • आपातकालीन तैयारी और प्रतिक्रिया योजना: बंदरगाहों की सुरक्षा, संरक्षा, आपदा प्रबंधन, और प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक आपातकालीन तैयारी और प्रतिक्रिया योजना बनायी जाएगी, जिसे केंद्र सरकार की मंजूरी लेनी होगी और इसकी नियमित जांच भी होगी।
  • पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण: यह अधिनियम जहाज़ों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन (International Convention for the Prevention of Pollution from Ships: MARPOL) और ब्लास्ट वाटर मैनेजमेंट (BWM) कन्वेंशन का अनुपालन अनिवार्य करता है।
  • दंड: 1908 के अधिनियम में कुछ अपराधों को अपराध की श्रेणी से हटाकर केवल उनके लिए आर्थिक दंड (जुर्माना) निर्धारित किया गया है।
    • डिजिटल एकीकरण और डेटा प्रबंधनबंदरगाह से जुड़ी जानकारी को इलेक्ट्रॉनिक रूप में पोर्ट कम्युनिटी सिस्टम या किसी केंद्रीकृत प्रणाली से जोड़ने के नियम लागू होंगे।
    • स्वामित्व परिवर्तन के लिए पूर्व मंजूरी: किसी भी बंदरगाह के स्वामित्व या प्रभावी नियंत्रण में बड़े पैमाने पर परिवर्तन के लिए केंद्र सरकार से पूर्व मंजूरी प्राप्त करने की एक नई अनिवार्यता लागू की गई है।
    • अपवाद: यह अधिनियम कुछ विशेष बंदरगाहों, नौगम्य नदियों, केवल सैन्य उपयोग के लिए काम करने वाले हवाई जहाजों, गैर-व्यावसायिक सरकारी जहाजों, भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल और विदेशी युद्धपोतों पर लागू नहीं होगा।

MARPOL और BWM कन्वेंशन

  • MARPOL कन्वेंशन एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन है, जो जहाजों द्वारा ऑपरेशनल या आकस्मिक वजहों से होने वाले समुद्री पर्यावरण के प्रदूषण को रोकने के लिए बनाया गया है। 
    • भारत इस कन्वेंशन का हस्ताक्षरकर्ता राष्ट्र है।
  • ब्लास्ट वाटर मैनेज़मेंट (BWM) कन्वेंशन एक प्रकार की संधि है जो जहाजों के ब्लास्ट वाटर में मौजूद हानिकारक जीवों और रोगजनकों के प्रसार को रोकने में मदद करता है। 
    • भारत इस कन्वेंशन का पक्षकार नहीं है।
  • दोनों कन्वेंशन को अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (International Maritime Organisation: IMO) द्वारा अपनाया गया है।

 

 

निष्कर्ष

भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 2025 एक ऐतिहासिक सुधार है जिसका उद्देश्य भारत में बंदरगाह प्रशासन का आधुनिकीकरण, दक्षता को बढ़ावा देना और  वैश्विक समुद्री मानकों के अनुरूप बनाना है। हालांकि, मेगा पोर्ट्स के वर्गीकरण की आवश्यकता और संरक्षक (कंजर्वेटर) द्वारा लगाए गए दंड के खिलाफ अपील का प्रावधान न होना जैसी चिंताओं का समाधान किया जाना आवश्यक है। सही निगरानी और संतुलन के साथ यह अधिनियम भारत को 2047 तक एक अग्रणी समुद्री राष्ट्र बनाने की दिशा में आगे बढ़ा सकता है।

 

भारत में बंदरगाह

  • वर्तमान में भारत में 12 प्रमुख (Major) पत्तन/ बंदरगाह हैं। 13वां प्रमुख बंदरगाह महाराष्ट्र के पालघर जिले के वधावन में निर्माणाधीन है। साथ ही प्रमुख बंदरगाहों के अलावा लगभग 200 अन्य बंदरगाह हैं।
    • प्रमुख बंदरगाह: पूरी तरह से केंद्र सरकार के स्वामित्व में।
    • प्रमुख बंदरगाहों के अलावा अन्य बंदरगाह: ये संबंधित राज्य समुद्रीय बोर्ड/ राज्य सरकार द्वारा प्रबंधित और उनके नियंत्रण में होते हैं।
  • भारत के कुल व्यापार का लगभग 95% मात्रा (Volume) के हिसाब से और 70% मूल्य (Value) के हिसाब से समुद्री मार्गों के माध्यम से संचालित होता है।
    • प्रमुख बंदरगाहों से 53% समुद्री कार्गों का संचालन होता है, जबकि अन्य बंदरगाहों (मुंद्रा और सिक्का जैसे निजी बंदरगाहों सहित) से 47% का संचालन किया जाता है।
  • पिछले एक दशक (वित्तीय वर्ष 2014-15 से 2024-25) में बंदरगाहों की उत्पादकता से जुड़े प्रमुख मानकों में बड़ी प्रगति हुई है।
    • आउटपुट प्रति शिप बर्थ डे (OSBD) उत्पादन 12,458 टन से बढ़कर 18,304 टन हो गया है।
    • औसत टर्नअराउंड समय (TRT) में 48% का सुधार हुआ, जो 96 घंटे से घटकर 49.5 घंटे रह गया।
    • खाली समय (Idle Time) लगभग 29% घटकर 23.1% से 16.3% पर आ गया।

भारत में बंदरगाहों के विकास के लिए शुरू की गई प्रमुख पहलें

  • सागरमाला (2015): यह योजना भारत के समुद्री क्षेत्रक में बंदरगाह-आधारित विकास के लिए शुरू की गई थी।
  • मैरिटाइम इंडिया विज़न 2030: इसका लक्ष्य बंदरगाहों, शिपिंग और जलमार्गों के माध्यम से समुद्री क्षेत्रक के प्रदर्शन और उत्पादकता को बढ़ाना है।
  • मेजर पोर्ट्स अथॉरिटी अधिनियम, 2021: यह भारत में प्रमुख बंदरगाहों के विनियमन, संचालन और नियोजन का प्रावधान करता है।
  • FDI नीति: बंदरगाहों और हार्बर के निर्माण एवं रखरखाव में ऑटोमैटिक रूट के तहत 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति है।

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