सुर्ख़ियों में क्यों?
नीति आयोग ने पहले इंडिया इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इंडेक्स के साथ "अनलॉकिंग ए 200 बिलियन डॉलर अपॉर्चुनिटी: इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs)" नामक रिपोर्ट जारी की है।
इंडिया इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इंडेक्स के बारे में
- नीति आयोग ने वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट इंडिया के साथ मिलकर इंडिया इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इंडेक्स (IEMI) लॉन्च किया है। यह राज्यों के लिए अपनी तरह का पहला बेंचमार्क टूल, जो उन्हें अन्य राज्यों की तुलना में अपनी प्रगति का आकलन करने की सुविधा प्रदान करता है।
- यह इंडेक्स 3 प्रमुख श्रेणियों के तहत 16 प्रदर्शन संकेतकों का आकलन करता है:
- परिवहन प्रणाली के विद्युतीकरण में प्रगति: इसके तहत मांग पक्ष के मामले में EVs को अपनाने की दर को ट्रैक किया जाता है।
- चार्जिंग अवसंरचना की मौजूदगी: इसमें चार्जिंग नेटवर्क के विकास का आकलन किया जाता है।
- EV संबंधी अनुसंधान एवं नवाचार: इसमें आपूर्ति पक्ष के मामले में अनुसंधान एवं विकास संबंधी प्रयासों का मूल्यांकन किया जाता है।
- यह सूचकांक राज्यों को चार श्रेणियों में वर्गीकृत करता है: अचीवर्स (100), फ्रंट रनर्स (65-99), परफॉर्मर्स (50-64) और एस्पिरेंट्स (0-49)।
- वर्ष 2024 के लिए, दिल्ली 77 अंकों के साथ इस इंडेक्स में शीर्ष स्थान पर है, उसके बाद महाराष्ट्र (68), चंडीगढ़ और कर्नाटक का स्थान आता है।
इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) के बारे में
- प्रकार:
- बैटरी EVs (BEV): ये पूरी तरह बैटरी से चलते हैं।
- हाइब्रिड EVs (HEV): इनमें इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर दोनों होते हैं।
- फ्यूल सेल EVs (FCEV): इसमें फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी से बिजली बनती है, जिसका उपयोग वाहन को चलाने के लिए किया जाता है।
- प्लग-इन हाइब्रिड EVs (PHEV): इनमें इंजन और रिचार्जेबल बैटरी दोनों का उपयोग किया जाता है।
- भारत में ई-मोबिलिटी की स्थिति (अनलॉकिंग ए 200 बिलियन डॉलर अपॉर्चुनिटी: इलेक्ट्रिक व्हीकल्स)
- 2024 में 2.08 मिलियन EVs की बिक्री हुई, जो 2016 में 50,000 की तुलना में काफी अधिक है।
- 2024 में EVs की पैठ 7.6% थी, जो 2030 तक 30% के लक्ष्य को हासिल करने में धीमी प्रगति को दर्शाता है।

रिपोर्ट में उजागर की गई प्रमुख चुनौतियां
चुनौती वाले क्षेत्र | संबंधित मुद्दे |
वित्तीय चुनौतियां (ई-बसें और ई-ट्रक) |
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वाहन-केंद्रित चुनौतियां |
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चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी चुनौतियां |
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जागरूकता और धारणा संबंधी चुनौतियां |
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अपर्याप्त डेटा और विनियामकीय अंतराल |
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भारत द्वारा इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम
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आगे की राह: रिपोर्ट में की गयी सिफारिशें
- प्रोत्साहन से अनिवार्यता की ओर: शून्य उत्सर्जन वाहनों (ZEVs) के उत्पादन के लिए लक्ष्य निर्धारित करना; आंतरिक दहन इंजन (ICE) वाले वाहनों पर उच्च पंजीकरण शुल्क/कर लगाना चाहिए।
- सैचुरेशन दृष्टिकोण: 5 साल के भीतर 5 चुने हुए भारतीय शहरों में 100% इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को अपनाना। इसके लिए संबंधित अवसंरचना का विकास करना, परिवहन व्यवस्था को पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने के लिए अनिवार्य नियम बनाना और लक्षित वित्त-पोषण जैसे कदम उठाने चाहिए।
- ई-बसों और ई-ट्रकों के लिए वित्त-पोषण: इन वाहनों की खरीद के लिए कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराने हेतु सार्वजनिक और बहुपक्षीय स्रोतों से एक समेकित निधि का गठन करना चाहिए।
- बैटरी संबंधी अनुसंधान: इसमें उपयोग होने वाले पदार्थों को और बेहतर बनाने के लिए अकादमिक-उद्योग-सरकार साझेदारी का निर्माण करना चाहिए।
- रणनीतिक चार्जिंग अवसंरचना: इसमें 20 प्रमुख गलियारे विकसित करना, नोडल एजेंसियां स्थापित करना, हब स्थलों का मानचित्रण करना तथा कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए समय के अनुसार कीमत निर्धारण का उपयोग करना जैसे उपाय शामिल हैं।
- एकीकृत राष्ट्रीय EV ऐप: यह चार्जिंग स्टेशनों का पता लगाने, स्लॉट बुक करने, भुगतान करने और समर्पित EV पावर लाइनों का पता लगाने के लिए सेवाएं प्रदान करेगा।
- अग्रिम लागत को कम करना: इसमें बसों और ट्रकों के लिए लीजिंग मॉडल को बढ़ावा देना शामिल है, ताकि छोटे ऑपरेटर आसानी से इलेक्ट्रिक वाहन को अपना सकें। साथ ही बैटरी-एज-ए-सर्विस (BaaS) की सुविधा शुरू करनी चाहिए, जिससे बैटरी खरीदने का भारी खर्च कम हो जाए। बैटरी के कंडीशन को ट्रैक करने के लिए बैटरी पासपोर्ट सिस्टम लागू करना चाहिए।
- इलेक्ट्रिक वाहन की कुल कीमत का करीब 40% हिस्सा सिर्फ बैटरी की लागत होती है।
- जागरूकता और सूचना: इसके लिए एक राष्ट्रीय EV जागरूकता कार्यक्रम शुरू करना चाहिए, हितधारकों की डेटा संबंधी आवश्यकताओं का आकलन करना, और निर्णय लेने में मार्गदर्शन के लिए एक व्यापक सूचना प्रणाली विकसित करनी चाहिए।
इलेक्ट्रिक वाहन (EV) को अपनाने से संबंधित सर्वोत्तम उदाहरण
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