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राष्ट्रीय स्पोर्ट्स गवर्नेंस अधिनियम, 2025 (NATIONAL SPORTS GOVERNANCE ACT, 2025) | Current Affairs | Vision IAS
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राष्ट्रीय स्पोर्ट्स गवर्नेंस अधिनियम, 2025 (NATIONAL SPORTS GOVERNANCE ACT, 2025)

Posted 04 Sep 2025

Updated 12 Sep 2025

1 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में, राष्ट्रीय स्पोर्ट्स गवर्नेंस विधेयक, 2025 को राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई।

भारत में खेलों का गवर्नेंस

  • संविधान की सातवीं अनुसूची की राज्य सूची के प्रविष्टि 33 के अनुसार, खेलों का विनियमन राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है।
  • मौजूदा नीतियों में राष्ट्रीय खेल नीति (NSP) तथा खेल प्रसारण सिग्नल (प्रसार भारती के साथ अनिवार्य हिस्सेदारी) अधिनियम, 2007 शामिल हैं।
    • राष्ट्रीय खेल नीति 1984 में बनी थी और 2001 में संशोधित की गई थी। 
  • हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2001 की नीति को प्रतिस्थापित करते हुए राष्ट्रीय खेल नीति 2025 (NSP, 2025) को मंजूरी दी है।
    • नई नीति पांच मुख्य स्तंभों पर आधारित है। ये स्तंभ हैं- वैश्विक स्तर पर उत्कृष्टता; आर्थिक विकास; सामाजिक विकास; एक जन आंदोलन के रूप में खेल तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के साथ एकीकरण। 

अधिनियम के मुख्य प्रावधानों पर एक नज़र

  • राष्ट्रीय खेल शासी निकायों (NSBs) की स्थापना: निम्नलिखित निकायों को उनके संबंधित मान्यता प्राप्त खेल संगठनों के लिए राष्ट्रीय खेल शासी निकाय के रूप में स्थापित किया जाएगा: 
    • राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (NOC): यह भारत में ओलंपिक खेलों के लिए एकमात्र शासी निकाय है।
    • राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति (NPC): यह पैरालंपिक खेलों के लिए एकमात्र शासी निकाय है।
    • अन्य निकाय: राष्ट्रीय खेल संघ (NSF), क्षेत्रीय खेल संघ (RSF) आदि।
      • ये निकाय संबंधित अंतर्राष्ट्रीय निकायों से संबद्ध होंगे तथा राज्य और जिला स्तर पर इनकी संबद्ध इकाइयां होंगी।
      • इन निकायों का संचालन अंतर्राष्ट्रीय चार्टर और नियमों के अनुसार होगा।
  • राष्ट्रीय खेल बोर्ड (National Sports Board: NSB): इसे किसी भी खेल संगठन को राष्ट्रीय खेल शासी निकाय के रूप में मान्यता देने का अधिकार होगा। साथ ही, यह उनकी संबद्ध इकाइयों का पंजीकरण भी करेगा। केवल मान्यता प्राप्त संस्थाएं ही केंद्र सरकार से वित्त-पोषण प्राप्त करेंगी।
    • राष्ट्रीय खेल शासी निकाय (NSBs) को अपने हितधारकों के लिए एक आचार संहिता तैयार करनी होगी। इसमें नैतिक और उचित आचरण के लिए न्यूनतम मानक निर्धारित किए जाएंगे। राष्ट्रीय खेल शासी निकाय (NSBs) राष्ट्रीय खेल बोर्ड के दिशा-निर्देशानुसार यह संहिता तैयार करेंगे।   
    • मान्यता प्राप्त संगठन को RTI अधिनियम, 2005 के तहत 'सार्वजनिक प्राधिकरण' माना जाएगा। 
    • केंद्र सरकार बोर्ड की संरचना तय करेगी और खोज-सह-चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर सदस्यों की नियुक्ति करेगी।
    • बोर्ड में नियुक्त होने के लिए व्यक्ति को लोक प्रशासन, खेल प्रशासन, खेल कानून और अन्य संबंधित क्षेत्रों में विशेष ज्ञान या अनुभव होना चाहिए।
  • राष्ट्रीय खेल अधिकरण (National Sports Tribunal): 
    • इसका कार्य खेल-संबंधी विवादों का शीघ्र समाधान सुनिश्चित करना होगा।
    • हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय निकायों द्वारा आयोजित खेलों और राष्ट्रीय खेल शासी निकायों के आंतरिक विवादों पर इसका अधिकार क्षेत्र नहीं होगा। 
    • चुनावों की निगरानी: केंद्र सरकार राष्ट्रीय खेल शासी निकायों के चुनावों की निगरानी के लिए निर्वाचन अधिकारियों का एक राष्ट्रीय पैनल गठित करेगी।
    • प्रत्येक राष्ट्रीय खेल शासी निकाय को भी अपने संबद्ध संगठनों के चुनाव की निगरानी के लिए एक निर्वाचन पैनल का गठन करना होगा।
    • केन्द्र सरकार की शक्तियां: यदि किसी खेल के प्रचार के लिए लोक हित में आवश्यक हो, तो केंद्र सरकार किसी भी राष्ट्रीय निकाय या उसके संबद्ध संगठनों को इस कानून के किसी भी प्रावधान से छूट दे सकती है।

भारत में एक व्यापक खेल कानून की आवश्यकता

  • एक व्यापक और एक समान खेल कानून का अभाव: देश में खेलों के लिए कोई एक-समान व समग्र कानून नहीं है। इसकी वजह से नियम अलग-अलग और कई बार पुराने हो जाते हैं।
    • उदाहरण के लिए- राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक, 2013 पारित ही नहीं हो पाया।
  • राष्ट्रीय खेल महासंघों (NSFs) में राजनेताओं का वर्चस्व: न्यूनतम खेल विशेषज्ञता वाले राजनेता अक्सर NSFs में प्रमुख पदों पर आसीन होते हैं।
    • ज्ञातव्य है कि फीफा ने तीसरे पक्ष के अनुचित प्रभाव के कारण अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) को निलंबित कर दिया था।
  • प्रमुख संगठनों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों में टकराव: जैसे कि भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI), भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) और NSFs जैसी संस्थाओं की भूमिकाएं एवं जिम्मेदारियां आपस में टकराती हैं, जिससे भ्रम उत्पन्न होता है व देरी होती है।
  • अपर्याप्त वित्त-पोषण और उसका सही उपयोग न होना: 2022-2023 के लिए आवंटित बजट का 40% से भी कम हिस्सा एथलीट विकास हेतु उपयोग किया गया था।
  • नीतियों का कमजोर क्रियान्वयन: राष्ट्रीय खेल नीति (1984 में लागू, 2001 में संशोधित) को सफलतापूर्वक व्यवहार में नहीं लाया गया था। 
  • ओलंपिक 2036 की तैयारी: यह कानून ओलंपिक चार्टर और विश्व की सर्वोत्तम प्रथाओं का अनुपालन सुनिश्चित करके 2036 ओलंपिक के लिए भारत की दावेदारी का समर्थन करता है।

निष्कर्ष

राष्ट्रीय स्पोर्ट्स गवर्नेंस अधिनियम, 2025 का उद्देश्य एक ऐसा खेल तंत्र बनाना है जो पारदर्शी, जवाबदेह और खिलाड़ी-केंद्रित हो। यह अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप होगा और भारतीय खेलों में लगातार उत्कृष्टता सुनिश्चित करने के लिए मजबूत निगरानी व्यवस्था स्थापित करेगा।

संबंधित सुर्ख़ियां

राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक, 2025 को भी राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय डोपिंग रोधी अधिनियम, 2022 में संशोधन करना है। इस प्रकार यह विधेयक अब अधिनियम बन गया है।

अधिनियम की मुख्य विशेषताओं पर एक नज़र

  • उद्देश्य- यह खेलों में डोपिंग (प्रतिबंधित दवाओं के उपयोग) पर रोक लगाता है तथा जांच, प्रवर्तन और उल्लंघनों के निपटारे के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है।
  • यह खेलों में डोपिंग के खिलाफ यूनेस्को कन्वेंशन को प्रभावी बनाता है।
  • यह राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा/ NADA) को डोपिंग रोधी विनियमों को लागू करने के लिए सशक्त बनाता है। 
  • राष्ट्रीय खेल डोपिंग रोधी बोर्ड: यह NADA की गतिविधियों की निगरानी करेगा और डोपिंग रोधी विनियमों पर केंद्र सरकार को सलाह देगा।
  • पहले के अधिनियम में किए गए परिवर्तन
    • अपील पैनल: अपील पैनल का गठन करने और अपील प्रक्रिया निर्धारित करने की शक्ति राष्ट्रीय बोर्ड से केंद्र सरकार को स्थानांतरित कर दी गई है।
    • डोपिंग रोधी निकायों की स्वायत्तता: नाडा के किसी भी सदस्य को परिचालन स्वतंत्रता होगी। यह WADA के मानकों और UNESCO के नियमों के अनुरूप है।
    • निर्दिष्ट निकायों द्वारा CAS में अपील का अधिकार: पहले कोई भी व्यक्ति कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ऑफ स्पोर्ट्स (CAS), स्विट्जरलैंड में अपील कर सकता था। अब केवल निर्दिष्ट निकायों को ही यह अधिकार होगा।
    • परीक्षण प्रयोगशालाओं का अनिवार्य प्रत्यायन: अब WADA से मान्यता (Accreditation) लेना अनिवार्य होगा। पहले यह केवल स्वैच्छिक था।
    • डोपिंग रोधी नियमों का उल्लंघन: इसमें विश्व डोपिंग रोधी संहिता की परिभाषाओं और समय-सारिणी को अपनाया गया है तथा उन्हें भारत में कानून का दर्जा दिया गया है।
  • Tags :
  • National Sports Policy 2025
  • National Sports Governance Act, 2025
  • Sports governance in India
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