परिचय
हाल के दिनों में, भारत के कई सार्वजनिक संस्थानों, जैसे- भारतीय चुनाव आयोग, प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय जांच ब्यूरो आदि के राजनीतिक दुरुपयोग के आरोप लगाए गए। इसने देश के सार्वजनिक संस्थानों में लोगों के विश्वास के क्षरण को लेकर चिंताएं उत्पन्न हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र की विश्व सामाजिक रिपोर्ट 2025 यह दर्शाती है कि 21वीं सदी की शुरुआत से ही संस्थागत विश्वास में वैश्विक स्तर पर भारी गिरावट आई है। संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में 1995 और 2022 के बीच एकत्र किए गए सर्वेक्षण आधारित डेटा का हवाला दिया गया है। इसके आधार पर रिपोर्ट में कहा गया है कि आज, वैश्विक आबादी के आधे से अधिक लोगों का अपनी सरकार पर बहुत कम या बिल्कुल भी विश्वास नहीं है।
विश्वास का क्या अर्थ है?

- OECD विश्वास को इस प्रकार परिभाषित करता है: "किसी व्यक्ति का यह विश्वास कि कोई अन्य व्यक्ति या संस्था उनके अपेक्षित सकारात्मक व्यवहार के अनुरूप कार्य करेगी।"
- विश्वास सामाजिक अनुबंध का एक प्रमुख घटक है, जो शासन के लिए आवश्यक है। यह स्पष्ट समझ पर आधारित होना चाहिए कि विश्वास का स्वभाव क्या है, इसके कारक क्या हैं, और इसके परिणाम क्या हो सकते हैं।
- विश्वास के प्रकार:
- क्षैतिज विश्वास: यह विश्वास कि समुदाय के सदस्य एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं।
- ऊर्ध्वाधर विश्वास: यह विश्वास कि समुदाय के सदस्य उन संस्थानों पर भरोसा करते हैं जो उस समुदाय पर शासन कर रहे हैं।
- सामाजिक विश्वास: यह एक सामान्यीकृत विश्वास है, जो किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए विशिष्ट लोगों पर केंद्रित नहीं होता है। यह अजनबियों में विश्वास, आत्मविश्वास या आस्था है और दीर्घकालिक आशावाद को दर्शाता है।
- राजनीतिक विश्वास: यह संस्थानों और उनके कार्यकर्ताओं (जैसे- कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका, नौकरशाही, पुलिस, मीडिया, निजी क्षेत्रक या व्यवसाय, गैर-सरकारी संगठन आदि) के प्रति विश्वास है।
सार्वजनिक संस्थानों में विश्वास बनाए रखने से जुड़े हितधारक और उनके हित
हितधारक | हित |
नागरिक | सार्वजनिक सेवाओं की कुशल डिलीवरी, सार्वजनिक भागीदारी, उच्च स्तर का आत्मिक कल्याण (खुशहाली में वृद्धि और दीर्घायु), लोकतांत्रिक जीवन, शासन की स्थिरता। |
सरकारी संस्थान और अधिकारी | उचित नीति निर्माण और कार्यान्वयन, वैधता सुनिश्चित करना, नीति अनुपालन, प्रभावी कानून प्रवर्तन, अत्यधिक दबाव के बिना सुगम शासन। |
नागरिक समाज और मीडिया | अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में रुचि, लोगों के अधिकारों की मांग। |
निजी क्षेत्रक | अनुमान योग्य नियमन, अनुबंधों का प्रवर्तन, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा, कम भ्रष्टाचार, व्यवसाय-अनुकूल वातावरण, उद्यमशीलता को प्रोत्साहन। |
सार्वजनिक संस्थानों में विश्वास के क्षरण के कारण
- प्रशासनिक संरचनाओं का खराब प्रदर्शन: द्वितीय ARC रिपोर्ट के अनुसार, सेवाओं की खराब गुणवत्ता, जवाबदेही की कमी, अधिकारों का व्यक्तिपरक और नकारात्मक रूप से दुरुपयोग।
- व्यापक आर्थिक असुरक्षा: आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना राज्य और उसके संस्थानों का एक प्रमुख दायित्व है और यह सामाजिक अनुबंध की नींव है।
- UNDESA के अनुसार, आर्थिक रूप से असुरक्षित व्यक्ति (जैसे- कम आय वाले, कम-शिक्षित समूह) अधिक सुरक्षित समूहों की तुलना में काफी कम संस्थागत विश्वास प्रदर्शित करते हैं।
- राजनीतिक बहिष्करण: हाशिए पर रहने वाले वर्गों के बीच सीमित राजनीतिक प्रभाव, पुनर्वितरण नीतियों या बेहतर सेवाओं की मांग करने की उनकी क्षमता में बाधा डालता है।
- घोटाले और भ्रष्टाचार: यह इस बात का संकेत देता है कि सार्वजनिक संस्थान लोगों या देश के सर्वोत्तम हित में काम नहीं कर रहे हैं, जिससे जनता का विश्वास कमजोर होता है।
- भ्रामक सूचना और सोशल मीडिया: सोशल मीडिया संस्थागत विफलताओं (वास्तविक या काल्पनिक) पर जोर दे सकता है, सूचना अभियानों को लक्षित कर सकता है, विचारों में हेरफेर कर सकता है, और चुनाव परिणामों की वैधता में विश्वास को प्रभावित कर सकता है।
- अकुशल न्यायिक प्रणाली: यह विधि के शासन को बाधित करती है और सार्वजनिक संस्थानों को लेकर शिकायतों के मामले में उपचार उपलब्ध कराने में बाधा डालती है।
सार्वजनिक संस्थानों में विश्वास के प्रमुख चालक
क्षमताएं (Competencies) | |
विश्वसनीयता (Reliability) |
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जवाबदेही (Responsiveness) |
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मूल्य (Values) | |
पारदर्शिता (Transparency) |
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अखंडता (Integrity) |
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निष्पक्षता (Fairness) |
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सार्वजनिक संस्थानों में विश्वास को मजबूत करने/ सुधारने के उपाय
- नागरिक जुड़ाव और भागीदारी को बढ़ावा देना: उदाहरण के लिए, सामाजिक लेखा परीक्षा जैसे उपायों के माध्यम से खुले और समावेशी नीति निर्माण को बढ़ावा देना।

- सुसंगत कार्यान्वयन और परिणाम: सार्वजनिक सेवाओं के वितरण में दिन-प्रतिदिन के संवाद के माध्यम से नागरिकों के अनुभवों में सुधार करना, जैसे- प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण।
- पारदर्शिता और संवाद को बढ़ावा देना: यह सुनिश्चित करना कि नीति निर्माण के लिए उपयोग किया जाने वाला डेटा सुलभ और सत्यापन योग्य हो, जैसे- सरकारी डैशबोर्ड के माध्यम से।
- नैतिक शासन सुनिश्चित करना: कार्रवाई की सत्यनिष्ठा, समानता पर ध्यान और हाशिए पर रहने वाले समूहों पर ध्यान नैतिक व्यवहार तथा सार्वजनिक विश्वास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- स्वतंत्र भ्रष्टाचार-विरोधी तंत्र: जैसे- लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 में कुछ लोक पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायतों से निपटने के लिए संघ स्तर पर लोकपाल और राज्य स्तर पर लोकायुक्त की स्थापना को अनिवार्य किया गया।
- संस्थागत फ्रेमवर्क को मजबूत करना: संसद और कार्यपालिका के बीच सामंजस्यपूर्ण और सहयोगात्मक संबंध, साथ ही स्वतंत्र न्यायपालिका का होना, विश्वास निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है।
- भ्रामक सूचनाओं का समाधान करना और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना: सरकारों को नए शासन मॉडल को अपनाकर भ्रामक सूचनाओं और दुष्प्रचार से सक्रिय रूप से निपटना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सूचना इकोसिस्टम लोकतांत्रिक बहस और चर्चा का समर्थन करें। जैसे, तथ्य-जांच इकाइयों (Fact Checking Units) की स्थापना।
निष्कर्ष
विश्वास किसी भी समाज के काम-काज का अभिन्न हिस्सा है। सरकार और उसके संस्थानों में विश्वास प्रतिनिधात्मक लोकतंत्र के लिए एक आवश्यक शर्त है। सरकार में विश्वास का ह्रास "लोकतंत्र का संकट" माना जाता है, जिसके प्रत्यक्ष और गंभीर परिणाम प्रतिनिधिक लोकतंत्र, उसकी संस्थाओं और उसके कारकों की गुणवत्ता और क्षमता पर पड़ते हैं।
अपनी नैतिक अभिक्षमता का परीक्षण कीजिएआप एक ईमानदार IAS अधिकारी हैं, जिन्हें हाल ही में एक तीव्र शहरीकरण वाले शहर के एक नगर आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया है, जो असमानता और कमजोर अवसंरचना से जूझ रहा है। नगर निकाय में जनता का विश्वास पहले से ही कम है, क्योंकि आपके पूर्ववर्ती अधिकारी को भ्रष्टाचार के आरोपों पर हटा दिया गया था। आपकी नियुक्ति के कुछ ही दिनों बाद, भारी वर्षा के दौरान एक नया बना फ्लाईओवर एक निम्न-आय क्षेत्र में ढह जाता है, जिससे मौतें, चोटें, और घरों व दुकानों का नाश होता है। यह त्रासदी जनता के गहरे आक्रोश और संस्थानों में अविश्वास को बढ़ावा देती है। सोशल मीडिया पर गलत सूचना के प्रसार से संकट और बढ़ जाता है। ईमानदार कर्मचारी हतोत्साहित और अनुचित रूप से दोषी महसूस करते हैं, जिससे राहत कार्य धीमा हो जाता है। इस बीच, सोशल मीडिया के किस्से नगरपालिका प्रशासन के विश्वसनीयता संकट को बढ़ा देते हैं। राज्य के मुख्य सचिव आपको संवेदनशील लेकिन दृढ़ता के साथ कार्य करने का निर्देश देते हैं, जिससे राहत और जनता के विश्वास दोनों की बहाली सुनिश्चित हो सके। उपर्युक्त केस स्टडी के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
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