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भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (COMPETITION COMMISSION OF INDIA: CCI)

04 Sep 2025
1 min

सुर्खियों में क्यों?

हाल ही में, वित्त संबंधी स्थायी समिति ने संसद के समक्ष "अर्थव्यवस्था विशेषकर डिजिटल परिदृश्य में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की बदलती भूमिका (Evolving Role of Competition Commission of India in the Economy, particularly the Digital Landscape)" शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रस्तुत की।

CCI की भूमिका

  • प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली कार्य-प्रणालियों को समाप्त करना: उदाहरण के लिए, उमर जावेद बनाम गूगल मामले में, CCI ने गूगल को निर्देश दिया कि वह ऐप डेवलपर्स को केवल अपने ऐप स्टोर तक सीमित न करे और उन्हें साइड-लोडिंग की अनुमति दे।
    • साइड-लोडिंग का अर्थ है आधिकारिक ऐप स्टोर के अलावा डिवाइस पर बाहर से ऐप्स इंस्टॉल करना 
  • उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना: उदाहरण के लिए, CCI ने मेटा (Meta) पर जुर्माना लगाया क्योंकि उसने व्हाट्सएप का यूज़र डेटा अन्य मेटा कंपनियों के साथ साझा करके अपनी प्रभुत्व शक्ति का दुरुपयोग किया।
  • सरकार को प्रतिस्पर्धा के मुद्दों पर सलाह देना: उदाहरण के लिए, CCI द्वारा बनाया गया "प्रतिस्पर्धा मूल्यांकन टूलकिट" सरकार की मदद करता है, ताकि कानून और नीतियों के उन पहलुओं को पहचाना जा सके जो प्रतिस्पर्धा को सीमित करते हैं।
  • प्रतिस्पर्धा-रोधी कार्य-प्रणालियों  की जांच, पूछताछ, आदेश पारित करना और जुर्माना लगाना: उदाहरण के लिए, गूगल सर्च बायस केस में CCI ने 135 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया।
    • CCI के पास सिविल कोर्ट के समान शक्तियां भी हैं (समन जारी करना, सबूत इकट्ठा करना आदि)।
  • विलय को विनियमित करना: उदाहरण के लिए, वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट विलय को CCI ने मंजूरी दी, लेकिन पहले यह जांचा कि कहीं इसमें प्रीडेटरी प्राइसिंग (कम मूल्य पर बेचना), भारी डिस्काउंट और ऑफलाइन खुदरा विक्रेताओं पर नकारात्मक असर जैसी समस्याएं तो नहीं हैं।
  • बदलती चुनौतियों के अनुसार ढलना: CCI ने डिजिटल मार्केट्स डिवीजन (DMD) का गठन किया है, ताकि डिजिटलाइजेशन से उत्पन्न चुनौतियों का सामना किया जा सके।
    • यह विभाग तकनीक और उसके प्रतिस्पर्धा पर प्रभाव का अध्ययन करता है।
    • यह ड्राफ्ट डिजिटल कॉम्पिटिशन बिल (DCB) से संबंधित कार्यों में भी मदद करता है।

CCI के समक्ष उभरती हुई चुनौतियां

  • डिजिटलीकरण : इसने काम-काज को आसान बनाया है, लेकिन साथ ही कई चुनौतियां भी पैदा की हैं, जैसे-
    • टेक कंपनियां गेटकीपर के रूप में: वे उपभोक्ताओं और व्यवसायों के बीच पहुँच को नियंत्रित करती हैं।
      • उदाहरण: xAI ने Apple पर केस किया क्योंकि Apple ने iOS में केवल ChatGPT को इंटीग्रेट किया।
    • नेटवर्क इफेक्ट: उदाहरण के लिए, व्हाट्सएप की 2021 की 'टेक-इट-या-लीव-इट' नीति, जो सभी यूजर्स को नेटवर्किंग इफेक्ट का लाभ उठाने के लिए डेटा संग्रह की शर्तों को स्वीकार करने के लिए बाध्य किया। इस पर CCI ने जुर्माना लगाया।
    • डेटा पर प्रभुत्व: बड़ी टेक कंपनियां यूजर्स का विशाल डेटा कंट्रोल करती हैं, जिससे लघु कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाता है।
      • यूरोपीय संघ के विनियामकों ने अमेजन पर खुदरा क्षेत्र में अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए अपने प्लेटफॉर्म पर थर्ड पार्टी विक्रेताओं के डेटा का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया।
  • इकोसिस्टम में दबदबा: उदाहरण के लिए– Apple का इकोसिस्टम जिसमें एप्पल पे, सफारी ब्राउजर, iCloud, एप्पल म्यूजिक शामिल हैं।
  • अन्य चुनौतियां:
    • स्व-प्राथमिकता/ Self-Preferencing- प्लेटफ़ॉर्म पर अपने ही उत्पादों को प्राथमिकता देना,
    • प्रीडेटरी प्राइसिंग और भारी छूट
    • टाईइंग और बंडलिंग- विभिन्न सेवाओं को जबरन जोड़कर बेचना। 
  • व्यापक नीतिगत फ्रेमवर्क का अभाव: राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा नीति, 2011 में तैयार की गई थी लेकिन अब तक लागू नहीं हुई है।
  • डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक (DCB) की चिंताएं: इसमें बहुत व्यापक सीमा तय की गई है, जवाब देने का कोई प्रावधान नहीं है और इसका डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDP Act) से टकराव हो सकता है।
  • सीमा-पार न्याय-क्षेत्र से संबंधित मुद्दे: डिजिटल बाजार और कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करती हैं, इसलिए CCI को वैश्विक विनियामकों के साथ सहयोग करना जरूरी है।
  • संसाधन और क्षमता की कमी: CCI में मानव संसाधन की भारी कमी है (195 स्वीकृत पदों में से सिर्फ़ 113 भरे गए हैं) और AI जैसी तकनीकी विशेषज्ञता का भी अभाव है।
  • कार्यान्वयन की प्रभावशीलता: CCI द्वारा लगाए गए जुर्माने (20,350.46 करोड़ रुपये में से 18,512.28 करोड़ रुपये) को प्रायः अपीलीय न्यायालयों द्वारा रोक दिया जाता है या खारिज कर दिया जाता है।
  • MSMEs के लिए खतरा: 2,000 करोड़ रुपये की डील वैल्यू थ्रेशहोल्ड (DVT) के कारण बड़ी कंपनियां लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को बिना विनियामकीय जांच के अधिग्रहित कर सकती हैं। 

प्रतिस्पर्धा को सुव्यवस्थित करने के लिए हालिया पहलें

  • प्रतिस्पर्धा (संशोधन) अधिनियम, 2023
    • डील वैल्यू थ्रेशहोल्ड (DVT): विलय और अधिग्रहण (M&A) को विशेष रूप से डिजिटल बाजार में नियंत्रित करने के लिए।
      • 2000 करोड़ रुपये से अधिक वैल्यू वाले विलय और अधिग्रहण से संबंधित सभी सौदे को CCI को सूचित करना अनिवार्य है।
    • निपटान और प्रतिबद्धता तंत्र: CCI को यह अधिकार दिया गया है कि वह कुछ प्रतिस्पर्धा-रोधी मामलों में संबंधित पक्षों से स्वैच्छिक प्रतिबद्धताएं स्वीकार करे।
    • आनुपातिक दंड: CCI के आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए अब लगाए गए जुर्माने का 25% अनिवार्य रूप से जमा करना होगा।
  • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023: यह अधिनियम व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा और डिजिटल कंपनियों की डेटा-आधारित गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए एक कानूनी फ्रेमवर्क प्रदान करता है।

आगे की राह (समिति की सिफारिशें)

  • डिजिटल प्रतिस्पर्धा विनियमन: बाजार अध्ययन (जैसे AI) का उपयोग करना चाहिए, राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा नीति को लागू करना चाहिए आदि।
  • सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणालियों से सीखना: जैसे कि यूरोपीय संघ का डिजिटल मार्केट अधिनियम, जो एक प्रत्याशित प्रतिस्पर्धा फ्रेमवर्क है, यह सुनिश्चित करता है कि गेटकीपर ऑनलाइन निष्पक्ष व्यवहार करें।
  • MSMEs के लिए कम डील वैल्यू थ्रेशहोल्ड: इस पर MSME से जुड़े अधिग्रहण के मामलों पर विचार किया जाता है, और प्रमुख ऑनलाइन प्लेटफार्मों द्वारा की जाने वाली प्रीडेटरी प्राइसिंग की CCI द्वारा सक्रिय जांच की जानी चाहिए।
    • बड़ी डिजिटल कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए MSMEs को डेटा तक पहुंच सुगम बनाना चाहिए।
  • संस्थागत क्षमता और संसाधनों की कमी को दूर करना: CCI में स्वीकृत पदों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए, निरंतर प्रशिक्षण में निवेश किया जाए और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  • डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक में सुधार करना: ताकि व्यापक थ्रेशहोल्ड जैसी मौजूदा चिंताओं को दूर किया जा सके।
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