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राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM) अधिनियम {FISCAL RESPONSIBILITY AND BUDGET MANAGEMENT (FRBM) ACT}

04 Sep 2025
1 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट ने राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM) अधिनियम के अनुपालन में कई राजकोषीय विसंगतियों और पारदर्शिता से जुड़े मुद्दों को रेखांकित किया है।

FRBM अधिनियम, 2003 के बारे में

  • उद्देश्य: FRBM अधिनियम, 2003 को राजकोषीय प्रबंधन में अंतर-पीढ़ीगत इक्विटी को बढ़ावा देने और दीर्घकालिक मैक्रो-इकोनॉमिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया। राजकोषीय प्रबंधन में अंतर-पीढ़ीगत इक्विटी से तात्पर्य है कर्ज का बोझ या संसाधनों में कमी का दबाव अगली पीढ़ी पर नहीं छोड़ना। 
    • इस अधिनियम का उद्देश्य आर्थिक स्थिरता और जिम्मेदार वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की राजकोषीय नीति को सतत मार्ग की ओर निर्देशित करना है।
    • इस अधिनियम का एक प्रमुख प्रावधान यह है कि CAG को हर वर्ष इसके प्रावधानों के अनुपालन की समीक्षा करनी होगी।
  • FRBM अधिनियम के तहत बजट के साथ संसद में निम्नलिखित विवरण प्रस्तुत करना अनिवार्य है:
    • वृहत आर्थिक रूपरेखा विवरण (Macro-economic Framework Statement),
    • मध्यावधिक राजकोषीय नीति-सह राजकोषीय कार्यनीति का विवरण (Medium Term Fiscal Policy Statement),
    • राजकोषीय समेकन का पथ/ विवरण (Fiscal Policy Strategy Statement)। 

FRBM अधिनियम के तहत मुख्य लक्ष्य

मापदंड 

लक्ष्यसमय-सीमा 2023-24 तक वर्तमान अनुपात (CAG रिपोर्ट)

राजकोषीय घाटा (मूल FRBM)

GDP का 3% तक31 मार्च, 2021 तक5.32%

ऋण सीमा

सामान्य सरकार (केंद्र + राज्य) ≤ GDP का 60%

केंद्र सरकार ≤ GDP का 40%

वित्त वर्ष 2024–25 के अंत तक

केंद्र सरकार: 57%

सामान्य सरकार: 81.3%

संशोधित राजकोषीय समेकन पथ

राजकोषीय घाटे को GDP के < 4.5% तक सीमित रखनावित्त वर्ष 2025–26 

अतिरिक्त गारंटी (भारत की संचित निधि पर)

किसी भी वर्ष में GDP का ≤ 0.5%वार्षिक सीमा

राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM) अधिनियम में 2018 के संशोधन द्वारा, राजस्व घाटा और प्रभावी राजस्व घाटा के लक्ष्यों को हटा दिया गया।

 

कैग की रिपोर्ट के मुख्य बिन्दुओं पर एक नज़र

  • केंद्र सरकार के ऋण की स्थितियां
    • ऋण-GDP अनुपात: महामारी के दौरान केंद्र सरकार का ऋण-GDP अनुपात वित्तीय वर्ष 2020-21 में 61.38% के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया था। 
      • हालांकि, मार्च 2024 तक यह पुनः घटकर 57% हो गया। 
      • उच्च ऋण-GDP अनुपात अच्छा नहीं माना जाता क्योंकि यह डिफ़ॉल्ट (ऋण चुकाने में विफलता) के जोखिम को दर्शाता है।
    • ऋण वहनीयता (सस्टेनेबिलिटी): इसके संबंध में एक सकारात्मक संकेत मिला है। इसमें 2022-23 और वित्तीय वर्ष 2024 में ऋण वहनीयता विश्लेषण संकेतक सकारात्मक था। यह स्थिरता का सूचक है।
  • राजस्व प्राप्तियां बनाम ब्याज भुगतान: यह अनुपात सरकार की राजकोषीय स्थिति और राजकोषीय संकट का एक अहम संकेतक माना जाता है। यह 2020-21 में 38.66% के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया था, हालांकि बाद में इसमें कमी दर्ज की गई। 2022-23 में मामूली रूप से बढ़कर यह 35.35% हो गया।
  • गारंटी सीमाओं का अनुपालन: यह 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद के 0.5% की कानूनी सीमा के भीतर रहा, जो एक्ट के अनुपालन को दर्शाता है।
  • अप्राप्त (Unrealized) कर राजस्व: रिपोर्ट में अधिक वसूली योग्य कर अनुमान होने के बावजूद अधिक अप्राप्त कर होने का उल्लेख किया गया है। 2022-23 के अंत तक अप्राप्त कर राजस्व 21.30 ट्रिलियन तक पहुंच गया।
    • इस अप्राप्त कर राशि का एक बड़ा हिस्सा विवादित नहीं था, जो कर व्यवस्था को लागू करने या वसूली प्रक्रियाओं में संभावित समस्याओं की तरफ इशारा करता है।
  • घाटे के आंकड़ों में विसंगतियां: राजकोषीय घाटा, राजस्व घाटा (वर्तमान में 2.54%), प्राथमिक घाटा (वर्तमान में 1.66%) अनुमानों, और विशेष रूप से गैर-कर राजस्व अनुमानों में भिन्नताएं देखी गई हैं।
    • केंद्रीय सरकार के वित्तीय लेखों (Union Government Finance Accounts: UGFA) में 2022-23 के लिए राजकोषीय घाटे का आंकड़ा 2024-25 के लिए बजट-एक नज़र में बताए गए आंकड़ों से भिन्न था
    • इस तरह की विसंगतियाँ सवाल खड़ा करती हैं कि क्या सरकार के महत्वपूर्ण वित्तीय संकेतक पूरी तरह सटीक और भरोसेमंद हैं।

निष्कर्ष

वर्तमान समय की आवश्यकता है कि पारदर्शिता, कर वसूली और राजकोषीय प्रबंधन पद्धतियों में सुधार को बढ़ावा दिया जाए। इस दिशा में कार्य करके सरकार अपनी राजकोषीय विश्वसनीयता बढ़ा सकती है, अधिक जवाबदेही सुनिश्चित कर सकती है, तथा सुदृढ़ राजकोषीय स्थिति एवं मैक्रोइकॉनॉमिक स्थिरता बनाए रखने हेतु FRBM अधिनियम के उद्देश्यों को प्राप्त कर सकती है।

प्रमुख शब्दावलियों को जानें

  • ऋण वहनीयता विश्लेषण (Debt Sustainability Analysis): यह एक निश्चित अवधि में सरकार के ऋण-संबंधी वित्तीय दायित्वों को पूरा करने की क्षमता का आकलन करने का एक माप है।
  • राजकोषीय घाटा: यह सरकार के कुल व्यय और कुल प्राप्तियों (कर्ज़ को छोड़कर) के बीच का अंतर है।
  • प्राथमिक घाटा: जहां राजकोषीय घाटा कुल अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता को दर्शाता है, वहीं इसका एक हिस्सा ब्याज भुगतानों को वित्त-पोषित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। ये ब्याज भुगतान पिछली देनदारियों का व्यय हैं और इनका वर्तमान आवंटन प्राथमिकताओं से कोई संबंध नहीं होता। दूसरे शब्दों में कहें तो प्राथमिक घाटा सरकार के राजकोषीय घाटे और पिछले उधारों पर ब्याज भुगतान के बीच का अंतर है।
  • राजस्व घाटा: राजस्व घाटा सरकार के राजस्व व्यय का उसकी राजस्व प्राप्तियों से अधिक होना है। यह वर्तमान उपभोग के लिए सरकार की निवल बचत की कमी को दर्शाता है। राजस्व घाटा वास्तव में पूंजी/ परिसंपत्ति निर्माण के बिना उधार में वृद्धि करता है।
  • प्रभावी राजस्व घाटा: इसका मतलब राजस्व घाटे और पूंजीगत परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए दिए गए अनुदान के बीच का अंतर है।

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