सुर्खियों में क्यों?
प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम के मामलों में 94% दोषसिद्धि दर दर्ज की है और पीड़ितों के लिए 34,000 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली में मदद की है।
धन शोधन से क्या तात्पर्य है?
- धन शोधन का अर्थ अपराध से अर्जित धन को इस प्रकार संसाधित करना है कि उसके अवैध स्रोत को छिपाया जा सके। इस प्रक्रिया के माध्यम से अपराधी स्रोत को उजागर किए बिना अपने अवैध लाभों का उपयोग कर सकता है।
- धन शोधन के 3 चरण:
- प्लेसमेंट: धन को अपराध से प्रत्यक्ष जुड़ाव वाले स्रोत से पृथक करना।
- लेयरिंग: धन के स्रोत और उसकी पहचान को छिपाने के लिए कई जटिल लेन-देन करना।
- इंटीग्रेशन: धन को वैध स्रोतों से प्राप्त प्रतीत कराने के लिए अर्थव्यवस्था में पुनः शामिल करना, ताकि अपराधी उसे वैध आय के रूप में उपयोग कर सके।
प्रवर्तन निदेशालय के बारे में: (मुख्यालय: नई दिल्ली)
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आर्थिक अपराधों से निपटने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, प्रवर्तन निदेशालय (ED) को कई संचालनात्मक और संरचनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो इसकी प्रभावशीलता और विश्वसनीयता को प्रभावित करती हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) के समक्ष चुनौतियां:
संचालनात्मक चुनौतियां:-
- अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण और संघीय तनाव: उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाइयों की आलोचना की गई है, क्योंकि कभी-कभी यह अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कार्य करती है तथा जिससे संभावित रूप से "संघीय ढांचे का उल्लंघन" हो सकता है।
- राजनीतिक लक्षीकरण और स्वतंत्रता का ह्रास: राजनीतिक प्रभाव और पक्षपातपूर्ण प्रेरणाओं के आरोपों के कारण ED की संचालनात्मक स्वतंत्रता के संबंध में प्रायः प्रश्न उठाए जाते हैं।
- संसाधन और जनशक्ति की कमी: भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (Fugitive Economic Offenders Act:FEOA), 2018 को लागू करने जैसी अतिरिक्त जिम्मेदारियां संभालने के बावजूद, 2011 से अब तक ED की स्वीकृत कार्मिक संख्या में वृद्धि नहीं हुई है।
संरचनात्मक और विधिक चुनौतियां:

- व्यापक विवेकाधीन शक्तियां: PMLA के तहत प्रवर्तन निदेशालय को दी गई व्यापक शक्तियों, जिनमें गिरफ्तारी, सम्पत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क करने, तथा साक्ष्य का भार उलटने का अधिकार शामिल है, ने उचित प्रक्रिया और नागरिक स्वतंत्रता पर उनके संभावित नकारात्मक प्रभाव के बारे में बहस को जन्म दिया है।
- न्यायिक लंबित मामले और संवैधानिक बाधाएँ: PMLA से संबंधित कई संवैधानिक चुनौतियां उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं, जिससे कई मुकदमे विलंबित हुए हैं। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे FATF ने भी चिह्नित किया है।
- अंतर-एजेंसी मुकदमेबाजी और संसाधन की कमी: अभियुक्त व्यक्ति अक्सर एक जटिल मुकदमेबाजी का जाल खड़ा करते हैं, जिससे ED के संसाधनों पर दबाव पड़ता है और मामलों के निपटारे में देरी होती है।
उभरती तकनीकों से जुड़ी चुनौतियां:
- डिजिटल और क्रिप्टो धोखाधड़ी में वृद्धि: ED को तेजी से विकसित हो रहे वित्तीय अपराधों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें साइबर और क्रिप्टो-संबंधित धोखाधड़ी जैसे कि पिग बुचरिंग (Pig Butchering) और फैंटम हैकिंग (Phantom Hacking) में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है।
- कार्यान्वयन अंतराल: FATF के मूल्यांकन में छोटी वित्तीय संस्थाओं, वर्चुअल एसेट सर्विस प्रोवाइडर्स (VASPs) के बीच AML/CFT कार्यान्वयन में अंतराल और घरेलू राजनीतिक रूप से उजागर व्यक्तियों के लिए कमजोर परिश्रम और कीमती धातु/रत्न व्यापारियों द्वारा खराब नकदी निगरानी को चिह्नित किया गया है।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) से संबंधित प्रमुख न्यायिक निर्णय:
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प्रवर्तन निदेशालय को सशक्त बनाने हेतु आगे की राह
- न्यायिक प्रक्रिया का कड़ाई से पालन: सुव्यवस्थित मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOPs) के माध्यम से न्यायिक प्रक्रिया का सख्ती से पालन करने से राजनीतिक पक्षपात और उत्पीड़न के आरोपों को कम किया जा सकता है।
- साक्ष्य-आधारित जांच: प्रवर्तन निदेशालय को आसूचना आधारित अन्वेषण की ओर पुनः उन्मुख करने तथा साक्ष्य-समर्थित अभियोजन पर ध्यान केन्द्रित करने से दोषसिद्धि दर में सुधार हो सकता है तथा संस्थागत विश्वसनीयता मजबूत हो सकती है।
- मानव संसाधन और विशेषज्ञता को बढ़ाना: FATF की सिफारिश के अनुसार, देश के आकार, जोखिम और धन शोधन जांचों की मात्रा व जटिलता के आधार पर ED की जनशक्ति बढ़ाने की आवश्यकता है।
- नवीनतम तकनीक का उपयोग: उदाहरण के लिए, ED संदिग्ध मौद्रिक पैटर्न का पता लगाने के लिए वित्तीय खुफिया इकाई (FIU) के उन्नत विश्लेषणात्मक ए.आई./एम.एल. उपकरणों का उपयोग करता है।
- विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय: उदाहरण: दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड और ED ने तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के समाधान में दिवाला कानून और PMLA के बीच इंटरफेस से संबंधित समस्या का समाधान करने के लिए एक समाधान निकाला है।