भारतीय और फ्रांसीसी राजनीतिक प्रणालियां (INDIAN AND FRENCH POLITICAL SYSTEMS) | Current Affairs | Vision IAS
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संक्षिप्त समाचार

04 Oct 2025
3 min

In Summary

लेख में उनके गणतांत्रिक, लोकतांत्रिक ढांचे की तुलना की गई है, तथा भारत के संसदीय मॉडल और फ्रांस की अर्द्ध-राष्ट्रपति प्रणाली पर प्रकाश डाला गया है, तथा नेतृत्व चयन और धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण में अंतर को दर्शाया गया है।

In Summary

हाल ही में फ्रांस की संसद ने प्रधान मंत्री के साथ-साथ वहां की सरकार को हटाने के लिए मतदान किया है, जिससे देश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो गई है।

भारतीय और फ्रांसीसी राजनीतिक प्रणालियों के बीच तुलना

  • समानताएं: निर्वाचित राष्ट्राध्यक्षों वाली गणतांत्रिक शासन प्रणाली, द्विसदनीय विधायिकाएं, लोकतंत्र के सिद्धांतों पर आधारित, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व पर बल आदि।
  • भिन्नताएं: (तालिका देखें)
पहलू भारतफ्रांस
संवैधानिक मॉडल

संसदीय गणतंत्र; 

एकल कार्यपालिका जिसका नेतृत्व प्रधान मंत्री करता है तथा राष्ट्रपति केवल औपचारिक भूमिका निभाता है।

अर्ध-राष्ट्राध्यक्ष प्रणाली, जिसमें दो कार्यपालिका होती है (यानी राष्ट्रपति + प्रधान मंत्री)।
राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रियाएकल संक्रमणीय मत और गुप्त मतदान के जरिये निर्वाचक मंडल द्वारा अप्रत्यक्ष चुनाव।प्रत्यक्ष चुनाव – सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार द्वारा।
प्रधान मंत्री का चयन/ हटानाप्रधान मंत्री का चुनाव लोक सभा द्वारा किया जाता है और उसे लोक सभा का विश्वास बनाए रखना होता है।प्रधान मंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है, लेकिन उसे नेशनल असेंबली का विश्वास बनाए रखना होता है।
संघीय ढांचा

अर्ध-संघीय; 

संघीय और एकात्मक दोनों विशेषताओं का मिश्रण।

एकात्मक; 

केंद्रीकृत सत्ता, स्थानीय सरकारें केंद्रीय एजेंसियों के रूप में कार्य करती हैं।

पंथनिरपेक्षता के प्रति दृष्टिकोणसकारात्मक दृष्टिकोण: राज्य तटस्थ रहता है, लेकिन सुधार के लिए हस्तक्षेप कर सकता है (जैसे – अस्पृश्यता समाप्त करना)।फ्रांस में लैसिटे (Laïcité) का सख्ती से पालन किया जाता है, जो धर्म और राज्य को पूरी तरह अलग रखता है (जैसे – धार्मिक प्रतीकों पर पाबंदी)।

इस घोषणा-पत्र को 28वें राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सम्मेलन में अपनाया गया है। इसमें सरकारी तंत्र द्वारा मिलकर कार्य करने की मांग की गई, ताकि सार्वजनिक सेवाओं को डिजिटल कौशल के साथ मजबूत किया जा सके और डेटा-आधारित प्रणाली का तेजी से विकास किया जा सके।

विशाखापत्तनम घोषणा-पत्र के मुख्य प्रस्तावों पर एक नजर

  • राष्ट्रीय दृष्टिकोण: समावेशी, नागरिक-केंद्रित और पारदर्शी शासन को बढ़ावा देना, जिसमें न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन पर बल दिया गया हो। 
  • प्रौद्योगिकी-आधारित शासन: AI, ML, ब्लॉकचेन, GIS, IoT और डेटा एनालिटिक्स को अपनाकर बहुभाषी, वास्तविक समय आधारित एवं क्षेत्रक-विशिष्ट नागरिक सेवाएं प्रदान करना। इसमें नैतिकता और पारदर्शिता अपनाने की जरूरत पर बल दिया गया है।
    • उदाहरण: डिजिटल इंडिया भाषिणी, डिजी यात्रा, NADRES V2 आदि।
  • सफल मॉडल्स का विस्तार: SAMPADA/संपदा 2.0 (मध्य प्रदेश), ई-खाता (बेंगलुरु), रोहिणी ग्राम पंचायत (महाराष्ट्र), NHAI का ड्रोन एनालिटिक्स मॉनिटरिंग सिस्टम (DAMS) आदि जैसे मॉडल्स के राष्ट्रव्यापी विस्तार पर ध्यान केंद्रित करना।
  • जमीनी स्तर और समावेशी विकास:
    • भौगोलिक पहुंच: नेशनल ई-गवर्नेंस सर्विस डिलीवरी असेसमेंट (NeSDA) ढांचे के तहत कनेक्टिविटी की समस्या वाले क्षेत्रों जैसे उत्तर-पूर्व और लद्दाख तक पहुंच बढ़ाना।
    • सफल पंचायत डिजिटल मॉडल्स का पूरे देश में विस्तार; महिलाओं, युवाओं आदि को लक्षित कर डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम शुरू करना इत्यादि।
  • साइबर सुरक्षा और क्षमता निर्माण: जीरो ट्रस्ट आर्किटेक्चर, पोस्ट-क्वांटम सुरक्षा तथा AI आधारित निगरानी जैसी तकनीकों को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रकों जैसे परिवहन, रक्षा एवं नागरिक सेवा प्लेटफॉर्म में लागू करना।
  • कृषि और संधारणीयता: नेशनल एग्री स्टैक के माध्यम से किसानों को बेहतर क्रेडिट, सलाह और बाजार तक पहुंच प्रदान करना।
  • अन्य पहलें: सरकार, उद्योग एवं अन्य साझेदारों के सहयोग से बड़े पैमाने पर डिजिटल समाधान विकसित करना; उदाहरण के लिए- विशाखापत्तनम को आई.टी. और नवाचार केंद्र बनाना।

संबंधित घटना

अल्बानिया में दुनिया का पहला AI मंत्री नियुक्त किया गया 

यह एक AI-जनित बॉट है। इसे डायला नाम दिया गया है। यह सभी सरकारी परियोजनाओं के सार्वजनिक टेंडर का प्रबंधन और आवंटन करेगा। इसका उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना एवं भ्रष्टाचार को कम करना है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आप्रवास और विदेशी विषयक अधिनियम, 2025 के तहत आप्रवास और विदेशी विषयक आदेश, 2025 को अधिसूचित किया।

आदेश के मुख्य प्रावधान

  • निम्नलिखित को पासपोर्ट/वीजा से उन्मुक्ति प्रदान की गई है: 
    • ड्यूटी पर तैनात भारतीय सशस्त्र बल को; 
    • निर्धारित सीमाओं पर भारतीय, नेपाली और भूटानी नागरिक को ;
    • वैध पंजीकरण और विशेष परमिट धारक तिब्बतियों को;
    • अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से 31 दिसंबर, 2024 तक भारत में आए निर्धारित धार्मिक अल्पसंख्यक (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई), भले ही उनके पास वैध दस्तावेज़ न हों; 
    • पंजीकृत श्रीलंकाई तमिल नागरिक जिन्होंने 9 जनवरी, 2015 तक भारत में शरण ली थी।
  • वीजा संबंधी उन्मुक्ति निम्नलिखित पर भी लागू होती है:
    • राजनयिक/आधिकारिक पासपोर्ट धारक विदेशियों पर (जहां समझौते के तहत छूट दी गई हो)
    • वीजा-ऑन-अराइवल के लिए पात्र विदेशियों पर;
    • नौसेना के युद्धपोत पर आने वाले कुछ विदेशी सैन्य कर्मियों पर।

 

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