परिचय

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने टिप्पणी की है कि नैतिक सत्यनिष्ठा एक मार्गदर्शक शक्ति है, जो रास्तों को समाप्त नहीं करती, बल्कि उन्हें परिभाषित करती है। यह कथन इस बात पर बल देता है कि सत्यनिष्ठा कोई सीमित करने वाला कारक नहीं है; बल्कि, यह नैतिक दिशा को निर्धारित करती है, जिससे न्याय, निष्पक्षता और जवाबदेही पर आधारित निर्णय संभव हो पाते हैं।
नैतिक सत्यनिष्ठा क्या है?

- परिभाषा: नैतिक सत्यनिष्ठा का अर्थ है- कठिन परिस्थितियों में भी नैतिक सिद्धांतों और मूल्यों का दृढ़तापूर्वक पालन करना।
- यह व्यक्ति के विश्वास, अभिव्यक्ति और कर्म के बीच आंतरिक एकरूपता को दर्शाती है। यह सुनिश्चित करती है कि निर्णय और व्यवहार बाहरी दबावों या प्रलोभनों की परवाह किए बिना नैतिक मानकों के अनुरूप हों।
प्रमुख हितधारक और उनके हित
हितधारक | हित/ चिंताएं |
सामान्य व्यक्ति |
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लोक सेवक |
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न्यायपालिका |
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कॉर्पोरेट लीडर |
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राजनीतिक नेतृत्व |
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समग्र समाज |
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नैतिक सत्यनिष्ठा को बाधित करने वाले कारक
- हितों का टकराव: व्यक्तिगत लाभ बनाम सार्वजनिक कर्तव्य निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं।
- उदाहरण के लिए, 2G स्पेक्ट्रम मामले में लाइसेंस आवंटन ने निजी हितों को प्राथमिकता दी थी, जिससे जनता का विश्वास कमजोर हुआ।
- संस्थागत और प्रणालीगत दबाव: अवास्तविक लक्ष्य, नौकरशाही की लालफीताशाही और राजनीतिक हस्तक्षेप व्यक्तियों को नैतिक विकल्पों से समझौता करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
- उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाले जैसे मामले दिखाते हैं कि कैसे संस्थागत कमज़ोरी ईमानदारी को कमज़ोर करती है।
- लोभ-लालच और भौतिकवाद: बढ़ता हुआ उपभोक्तावाद और धन एवं शक्ति की लालसा अनैतिक व्यवहार को बढ़ावा देती है।
- उदाहरण के लिए, सत्यम घोटाले जैसे कॉर्पोरेट घोटाले लोभ पर आधारित थे, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी हुई।
- पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव: अपारदर्शी प्रणाली और धीमी एवं अक्षम न्यायिक तंत्र के कारण हेर-फेर और नैतिक समझौते के अवसर पैदा होते हैं।
- उदाहरण के लिए, सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 से पहले सरकारी सूचनाओं तक पहुँच की कमी ने कल्याणकारी योजनाओं में अनियंत्रित भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया।
- सहकर्मी और सामाजिक दबाव: समूह व्यवहार के अनुरूप होना, परिणामों का भय (जैसे- स्थानांतरण) या स्वीकृति की इच्छा अक्सर नैतिक सिद्धांतों पर भारी पड़ जाती है।
- उदाहरण के लिए, एडवर्ड स्नोडेन को निगरानी प्रणालियों को उजागर करने के लिए कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा, जिससे समूह के खिलाफ जाने के परिणाम का पता चलता है।
- अनैतिक व्यवहार और दंड से मुक्ति की संस्कृति: जब भ्रष्टाचार या अनैतिक आचरण को दंडित नहीं किया जाता है, तो इससे सत्यनिष्ठा हतोत्साहित होती है।
- उदाहरण के लिए, चुनावी राजनीति में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार अक्सर जीत जाते हैं, जिससे यह धारणा मजबूत होती है कि अनैतिक आचरण पुरस्कृत होता है।
मौजूदा दौर में नैतिक सत्यनिष्ठा का महत्व
- व्यक्तियों के लिए
- व्यक्तिगत विश्वसनीयता और भरोसेमंदता: किसी नेता की नैतिक सत्यनिष्ठा विश्वास को प्रेरित करती है।
- उदाहरण के लिए, रतन टाटा ने नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं, परोपकार और विनम्रता के माध्यम से नैतिक सत्यनिष्ठा का उदाहरण प्रस्तुत किया।
- जटिल परिस्थितियों में नैतिक मार्गदर्शक: बढ़ती नैतिक दुविधाओं (जलवायु न्याय, निगरानी के लिए AI का उपयोग) के साथ, नैतिक सत्यनिष्ठा निष्पक्ष निर्णय लेने में मदद करती है।
- उदाहरण के लिए, एडवर्ड स्नोडेन जैसे व्हिसलब्लोअर ने सुरक्षा और स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाने में सत्यनिष्ठा की भूमिका को दर्शाया।
- उदाहरण के लिए, NHAI (National Highways Authority of India) के एक इंजीनियर सत्येंद्र दुबे ने स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना में भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया।
- व्यक्तिगत विश्वसनीयता और भरोसेमंदता: किसी नेता की नैतिक सत्यनिष्ठा विश्वास को प्रेरित करती है।
- लोक प्रशासन एवं शासन
- भ्रष्टाचार की रोकथाम: सत्यनिष्ठा व्यक्तिगत लाभ के लिए पद के दुरुपयोग को रोकती है।
- उदाहरण के लिए, आई.ए.एस. अधिकारी अशोक खेमका ने बार-बार तबादलों के बावजूद सत्यनिष्ठा को बनाए रखा।
- उदाहरण के लिए, भारत में सूचना का अधिकार अधिनियम नागरिकों को अधिकारियों से सत्यनिष्ठा की मांग करने का अधिकार देता है।
- नागरिक-केंद्रित शासन: नैतिक प्रशासक सत्ता के बजाय कल्याण पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- उदाहरण के लिए, मेट्रो मैन ई. श्रीधरन ने पारदर्शी कॉन्ट्रैक्ट और परियोजनाओं का समय पर पूरा करना सुनिश्चित किया।
- उदाहरण के लिए, सिंगापुर की लोक सेवा संहिता निष्पक्षता और सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करती है, जिससे यह एक वैश्विक मानक बन गया है।
- जनता का विश्वास बहाल करना: उदाहरण के लिए, भारत के निर्वाचन आयोग ने मॉडल आचार संहिता के सख्त पालन के माध्यम से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों में विश्वास पैदा किया है।
- भ्रष्टाचार की रोकथाम: सत्यनिष्ठा व्यक्तिगत लाभ के लिए पद के दुरुपयोग को रोकती है।
- न्यायपालिका में संवैधानिक नैतिकता को कायम रखती है: न्यायाधीशों को निष्पक्षता के साथ कार्य करना चाहिए और राजनीतिक या सामाजिक दबावों का विरोध करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए, सुप्रीम कोर्ट ने नवतेज जौहर मामले (2018) में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा।
- कॉर्पोरेट क्षेत्र और व्यावसायिक नैतिकता
- नैतिक व्यावसायिक व्यवहार: सत्यनिष्ठा अनैतिक शॉर्टकट, जैसे- कर चोरी, श्रम शोषण या पर्यावरणीय क्षति को रोकती है।
- उदाहरण के लिए, नारायण मूर्ति के नेतृत्व में इंफोसिस ने पारदर्शिता, कॉर्पोरेट गवर्नेंस और कर्मचारियों के साथ उचित व्यवहार के लिए प्रतिष्ठा हासिल की।
- पर्यावरण, सामाजिक, शासन (ESG) मानदंड: यह आधुनिक समय की चुनौतियों से निपटने के लिए नैतिक रूप से जिम्मेदार कॉर्पोरेशन के लिए फ्रेमवर्क है।
- उदाहरण के लिए, ऑटोमोटिव दिग्गज टोयोटा ने 2050 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन प्राप्त करने की प्रतिबद्धता जताई है।
- नैतिक व्यावसायिक व्यवहार: सत्यनिष्ठा अनैतिक शॉर्टकट, जैसे- कर चोरी, श्रम शोषण या पर्यावरणीय क्षति को रोकती है।
- नागरिक समाज की सक्रियता और पत्रकारिता: सत्यनिष्ठा खबरों को सनसनीखेज बनाने की बजाय तथ्यों को प्राथमिकता देती है और फेक न्यूज़ को रोकने का प्रयास करती है।
- उदाहरण के लिए, कोविड-19 के दौरान नैतिक पत्रकारिता ने गलत सूचनाओं के प्रसार को रोककर लोगों की जान बचाने के लिए महत्वपूर्ण हो गई।
- उदाहरण के लिए, अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन।
- प्रौद्योगिकी और डिजिटल युग: निगरानी, गोपनीयता और एल्गोरिथम संबंधी पूर्वाग्रहों से संबंधित निर्णयों के लिए नैतिक सत्यनिष्ठा आवश्यक है।
- उदाहरण के लिए, वर्ल्ड वाइड वेब के निर्माता टिम बर्नर्स-ली एक मुक्त, विकेन्द्रीकृत और गोपनीयता का सम्मान करने वाले इंटरनेट के पक्षधर हैं।
निष्कर्ष
नैतिक सत्यनिष्ठा एक न्यायपूर्ण और विश्वसनीय समाज का आधार है। यह व्यक्तियों और संस्थाओं को दबाव के बावजूद नैतिक रूप से कार्य करने के लिए प्रेरित करती है, जिससे जीवन के सभी क्षेत्रों में निष्पक्षता, जवाबदेही और करुणा सुनिश्चित होती है। सत्यनिष्ठा बनाए रखना केवल एक विकल्प नहीं है, बल्कि यह सतत शासन, नैतिक नेतृत्व और मजबूत लोकतंत्र के लिए आधार स्तंभ है। जैसा कि महात्मा गांधी ने कहा था, "नैतिकता ही सभी चीजों का आधार है और सत्य ही सभी नैतिकताओं का सार है।"