सुर्खियों में क्यों?
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने हरित ऋण (ग्रीन क्रेडिट) नियम, 2023 के अंतर्गत वृक्षारोपण के लिए ग्रीन क्रेडिट की गणना की नई कार्यप्रणाली जारी की है।
इससे जुड़ी अधिक जानकारी:
- ग्रीन क्रेडिट नियम, 2023 को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत अधिनियमित किया गया है।
- यह सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के वन विभागों के लिए अपने नियंत्रणाधीन क्षतिग्रस्त भूमि क्षेत्रों की पहचान करने और उन पर हरित आवरण बढ़ाने का प्रावधान करता है।
वृक्षारोपण से संबंधित संशोधित ग्रीन क्रेडिट गणना कार्यप्रणाली:
- ग्रीन क्रेडिट का दावा: क्षतिग्रस्त वन भूमि पर 5 वर्षों तक पुनर्स्थापन करने के बाद और न्यूनतम 40% वृक्षावरण घनत्व प्राप्त होने पर किया जा सकता है।
- 1 ग्रीन क्रेडिट = 1 नया वृक्ष (जो 5 वर्ष से अधिक पुराना हो)।
- क्रेडिट अंतरण: क्रेडिट गैर-व्यापारिक और गैर-अंतरणीय होते हैं और इनका एक बार के लिए विनिमय किया जा सकता है, किंतु इनका पुनः उपयोग नहीं किया जा सकता।
ग्रीन क्रेडिट के बारे में:
- ग्रीन क्रेडिट का अर्थ है — किसी विशिष्ट गतिविधि के लिए प्रदान की गई प्रोत्साहन की एकल इकाई और जिसका पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- इन ऋणों (क्रेडिट) का व्यापार एक समर्पित एक्सचेंज पर किया जा सकता है, ठीक उसी तरह जैसे कार्बन क्रेडिट का व्यापार किया जाता है।
ग्रीन क्रेडिट | कार्बन क्रेडिट |
ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम (GCP), पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत संचालित होता है। | कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना, ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत संचालित होती है। |
यह कार्यक्रम व्यक्तियों और समुदायों को लाभ प्रदान करता है। | यह योजना मुख्य रूप से उद्योगों और निगमों को लाभ पहुंचाती है। |
ग्रीन क्रेडिट गतिविधियां कार्बन क्रेडिट के लिए पात्र हो सकती हैं, जिससे कार्बन उत्सर्जन में कटौती जैसे जलवायु सह-लाभ मिल सकते हैं, किंतु इसका विपरीत संभव नहीं है। |
हरित ऋण (क्रेडिट) कार्यक्रम के बारे में:
- यह देश भर में वनीकरण और जल संरक्षण के लिए स्वैच्छिक वृक्षारोपण गतिविधियों को प्रोत्साहित करने हेतु एक नवोन्मेषी, बाजार-आधारित तंत्र है।
- यह "पर्यावरण के लिए जीवनशैली" या LiFE आंदोलन के अंतर्गत एक पहल है।
- मिशन LiFE (2021) भारत के नेतृत्व में वैश्विक जन आंदोलन है, जिसका उद्देश्य व्यक्तियों और समुदायों को पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण हेतु प्रेरित करना है।
- स्थापना: पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत स्थापित है, जिसमें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) नोडल एजेंसी है।
- उद्देश्य:
- भूमि बैंक निर्माण: वन विभागों द्वारा क्षतिग्रस्त वन भूमि के पंजीकरण के माध्यम से।
- भागीदारी को बढ़ावा देना: सरकारी संस्थाएं, निजी कंपनियां, गैर-सरकारी संगठन (NGO), व्यक्ति/व्यक्तियों के समूह (जो सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत हैं) इसमें भाग ले सकते हैं।
- शासन संरचना:
- ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम (GCP) की शासन व्यवस्था एक अंतर-मंत्रालयी संचालन समिति द्वारा समर्थित है।
- भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (ICFRE) इस कार्यक्रम की प्रशासक है, जो कार्यक्रम के क्रियान्वयन, प्रबंधन, निगरानी और संचालन के लिए जिम्मेदार है।
- GCP ने एक उपयोगकर्ता-मित्र डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित किया है, जिससे परियोजनाओं का पंजीकरण, सत्यापन और ग्रीन क्रेडिट जारी करने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है।

वनीकरण के लिए अन्य पहलें:
- तटरेखा आवास और मूर्त आय के लिए मैंग्रोव पहल (MISHTI-2023): तटीय क्षेत्रों में मैंग्रोव वनों को पुनर्स्थापित करने और उन्हें एक अनूठे, प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र के रूप में बढ़ावा देने के लिए यह पहल शुरू की गई है।
- प्रतिपूरक वनीकरण कोष अधिनियम, 2016: वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के प्रावधानों के अनुसार, वन भूमि के परिवर्तन से होने वाले वन और पारिस्थितिक तंत्र के नुकसान की भरपाई हेतु यह अधिनियम कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
- राष्ट्रीय हरित भारत मिशन (2014): इस योजना का उद्देश्य लोगों की भागीदारी के साथ क्षतिग्रस्त वन क्षेत्रों में वनीकरण गतिविधियां संचालित करना है।
- राष्ट्रीय बांस मिशन (2006): यह योजना बांस क्षेत्रक के समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्र-विशिष्ट रणनीतियों के माध्यम से बांस की खेती और विपणन को प्रोत्साहित करती है।