राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के अवसर पर 23 सितंबर, 2025 को द्रव्य (DRAVYA) पोर्टल का शुभारंभ किया गया।
- DRAVYA से आशय है: डिजिटाइज्ड रिट्रीवल एप्लीकेशन फॉर वर्सेटाइल यार्डस्टिक ऑफ आयुष सब्सटेंसेस।
DRAVYA पोर्टल के बारे में:
- मंत्रालय: यह केंद्रीय आयुष मंत्रालय की पहल है।
- यह आयुर्वेदिक सामग्रियों और उत्पादों का सबसे बड़ा डेटा संग्रह है, जो सभी के लिए उपलब्ध है।
- इस डेटाबेस में लगातार वृद्धि हो रही है और यह विकसित हो रहा है। इस पर पारंपरिक आयुर्वेदिक ग्रंथों के साथ-साथ आधुनिक वैज्ञानिक साहित्य और क्षेत्रीय अध्ययन शामिल हैं।
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1 sourceभारत के सबसे बड़े लिथियम-आयन (Li-ion) बैटरी विनिर्माण संयंत्र का उद्घाटन हरियाणा में किया गया।
- यह संयंत्र जब पूरी तरह से तैयार होगा, तो यह हर साल लगभग 20 करोड़ बैटरी पैक्स का उत्पादन करेगा। यह भारत के 50 करोड़ पैक्स संबंधी वार्षिक आवश्यकता का लगभग 40% पूरा करेगा।
- इसकी स्थापना केंद्र की इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (EMC) योजना के तहत की जा रही है।
लिथियम-आयन (Li-ion) बैटरी के बारे में
- यह एक प्रकार की रिचार्जेबल बैटरी होती है, जिसमें लिथियम आयन ऋणात्मक इलेक्ट्रोड (ग्रेफाइट) और धनात्मक इलेक्ट्रोड (लिथियम ट्रांज़िशनल मेटल ऑक्साइड्स) के बीच चार्जिंग एवं डिस्चार्जिंग के दौरान गमन करते हैं।
लिथियम-आयन बैटरियों के लाभ
- उच्च ऊर्जा घनत्व: ये बैटरियां बहुत कम जगह और वजन में ज्यादा ऊर्जा (प्रति किलो 75 से 200 वाट‑घंटे) स्टोर कर सकती हैं। इसलिए इन्हें बार‑बार चार्ज करने की ज़रूरत कम पड़ती है।
- हल्की और कम विषाक्त भारी धातुएं: पुरानी लेड-एसिड बैटरियों की तुलना में इनमें कम विषाक्त पदार्थ होते हैं। साथ ही, हल्के लिथियम एवं कार्बन इलेक्ट्रोड के उपयोग के कारण इनका वजन भी तुलनात्मक रूप से बहुत कम होता है ।
- बेहतर प्रदर्शन: इन्हें बार-बार चार्ज और डिस्चार्ज करने पर भी इनके प्रदर्शन में ज्यादा कमी नहीं आती है। ये ऊर्जा को अच्छे से स्टोर और उपयोग करती हैं। ये लंबे समय तक सही ढंग से काम करती हैं। जब ये इस्तेमाल में नहीं होतीं, तो इनकी बैटरी अत्यंत मंद गति से ही सेल्फ डिस्चार्ज होती है। साथ ही, बार-बार चार्ज करने से इनकी क्षमता कम नहीं होती है।
चुनौतियां
- आपूर्ति श्रृंखला संबंधी सुभेद्यता: उदाहरण के लिए- चीन वैश्विक लिथियम उत्पादन का आधा और लिथियम-आयन बैटरी उत्पादन का 70% नियंत्रित करता है।
- भारत ने 2018-2022 के बीच 1.2 अरब डॉलर की लिथियम-आयन बैटरियां आयात की थीं।
- सुरक्षा संबंधी खतरे: इनमें ज्वलनशील पदार्थ जैसे इलेक्ट्रोलाइट होते हैं, जिन्हें गलत तरीके से संभालने पर विस्फोट हो सकता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव: उदाहरण के लिए- लिथियम खनन में जल की अधिक खपत होती है (प्रति टन लिथियम के लिए लगभग 2,000 टन जल)।
- पुनर्चक्रण इकाइयों की कमी से इन बैटरियों के सुरक्षित निपटान की समस्या और भी गंभीर हो जाती है।

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1 sourceसैपिएंट के वैज्ञानिकों ने मानव मस्तिष्क पर आधारित एक नया AI मॉडल विकसित किया है।
- गौरतलब है कि ChatGPT जैसे मौजूदा लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स (LLM) में चेन-ऑफ-थॉट (CoT) संबंधी रीजनिंग पर निर्भरता के कारण कुछ कमियां हैं।
हाइरार्किकल रीजनिंग मॉडल (HRM) के बारे में
- मॉडल: यह मानव मस्तिष्क की हाइरार्किकल और मल्टी-टाइम स्केल प्रोसेसिंग पर आधारित है।
- यह वैसे ही कार्य करता है जैसे मस्तिष्क के अलग-अलग हिस्से अलग-अलग समय अवधि की जानकारी को जोड़ते हैं।
खगोलविदों ने एक लघु क्वासी-मून ‘2025 PN7’ की पहचान की है जो लगभग 60 वर्षों से पृथ्वी के पास परिक्रमा कर रहा है।
क्वासी-मून के बारे में
- क्वासी-मून को क्वासी-सैटेलाइट भी कहते हैं। क्वासी-मून एक खगोलीय पिंड है।
- यह सूर्य की परिक्रमा करता है, लेकिन ग्रह की समानांतर कक्षा की वजह से ऐसा लगता है मानो वह उस ग्रह के साथ गति कर रहा हो।
- यह मुख्य रूप से सूर्य के गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित होता है, न कि ग्रह के गुरुत्वाकर्षण से।
- यह एक वास्तविक चंद्रमा (मून) नहीं है, क्योंकि यह चंद्रमा की तरह प्रत्यक्ष रूप से ग्रह की परिक्रमा नहीं करता है।
- खगोलविद अब तक पृथ्वी के 6 ज्ञात क्वासी-मून की खोज कर चुके है।
FSSAI और केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने हाल ही में 'आयुर्वेद आहार' उत्पादों की एक निश्चित सूची जारी की है।
आयुर्वेद आहार
- यह खाद्य सुरक्षा और मानक (आयुर्वेद आहार) विनियम, 2022 का हिस्सा है।
- यह आयुर्वेदिक खाद्य उत्पाद बनाने वाले खाद्य व्यवसाय संचालकों (FBOs) के लिए नियमों का प्रावधान करता है। इससे उपभोक्ताओं को यह जानने में मदद मिलेगी कि उत्पाद प्रामाणिक और सुरक्षित हैं।
- ये फॉर्मूलेशन शास्त्रीय आयुर्वेदिक ग्रंथों से लिए गए हैं।
- खाद्य उत्पादों में अंगारकरकटी (बेक्ड गेहूँ के गोले), कृशरा (खिचड़ी), पानक (फलों के पेय), दधि (दही-आधारित), और गुलकंद (गुलाब की पंखुड़ियों का जैम) जैसे उत्पाद निर्माण शामिल हैं।
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1 sourceखगोलविदों ने ‘एक्सट्रीम न्यूक्लियर ट्रांजिएंट्स (ENTs)’ नामक एक नई प्रकार की परिघटना की पहचान की है।
एक्सट्रीम न्यूक्लियर ट्रांजिएंट्स के बारे में:
- यह परिघटना तब घटित होती है जब सूर्य से कम से कम तीन गुना बड़े सितारे सुपरमैसिव ब्लैक होल द्वारा नष्ट कर दिए जाते हैं।
- जब कोई सितारा ब्लैक होल के इवेंट होराइज़न के पास पहुंचता है, तो उसकी प्रबल गुरुत्वीय शक्तियां (Tidal forces) उसे लंबा और पतला, स्पेगेटी जैसी आकृति में बदल देती हैं।
- इस प्रक्रिया में बहुत बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक ऊर्जा उत्पन्न है, और यही उत्सर्जन एक्सट्रीम न्यूक्लियर ट्रांजिएंट्स कहलाता है।
चीन में विश्व का सबसे बड़ा न्यूट्रिनो डिटेक्टर सक्रिय हो गया है। इसे जियांगमिन भूमिगत न्यूट्रिनो वेधशाला (JUNO) नाम दिया गया है।
- यह वेधशाला 700 मीटर की गहराई में स्थित है।
- अधिकांश न्यूट्रिनो वेधशालाएं इसलिए भूमिगत बनाई जाती हैं, ताकि पृथ्वी की सतह कणों को रोक सके। इससे म्यूऑन्स जैसे कणों से होने वाले हस्तक्षेप को कम किया जा सकता है। म्यूऑन्स एक प्रकार के प्राथमिक उप-परमाण्विक कण हैं, जो इलेक्ट्रॉन के समान होते हैं।
- JUNO के मुख्य उद्देश्य:
- द्रव्यमान क्रम (Mass Hierarchy) निर्धारित करना: इसका एक लक्ष्य तीन प्रकार के न्यूट्रिनो (इलेक्ट्रॉन न्यूट्रिनो, म्यूऑन न्यूट्रिनो और टाउ न्यूट्रिनो) के बीच द्रव्यमान के क्रम को निर्धारित करना है। ये सभी अपने-अपने संबंधित अणुओं से जुड़े रहते हैं।
- दोलन आवृत्ति (Oscillation Frequency) को मापना: इसका उद्देश्य न्यूट्रिनो के दोलन की आवृत्ति को मापना है, यानी यह पता लगाना कि न्यूट्रिनो कितनी बार एक प्रकार से दूसरे प्रकार में बदलते हैं।
न्यूट्रिनो के बारे में
- प्रकृति: ये उप-परमाण्विक कण हैं। इन्हें अक्सर 'घोस्ट पार्टिकल्स भी कहा जाता है। इनमें कोई विद्युत आवेश नहीं होता, इनका द्रव्यमान अत्यंत कम या शून्य भी हो सकता है।
- उपस्थिति: ये फोटॉन (प्रकाश के कण) के बाद दूसरे सबसे प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले कण हैं। साथ ही, ये ब्रह्मांड में सबसे प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले ऐसे कण हैं, जिनका द्रव्यमान होता है।
- पता लगाना: इनका पता लगाना मुश्किल होता है, क्योंकि ये केवल कमजोर परमाणु बल और गुरुत्वाकर्षण के माध्यम से ही पदार्थ के साथ अंतर्क्रिया करते हैं।
- विशेषताएं: ये सबसे शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र से भी अप्रभावित रहते हैं। ये अपने स्रोत से लगभग प्रकाश की गति से और सीधी रेखाओं में गमन करते हैं।

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1 sourceरूस कैंसर के इलाज के लिए ऑन्कोलिटिक वैक्सीन एंटेरोमिक्स और व्यक्तिगत mRNA कैंसर वैक्सीन विकसित कर रहा है।
एंटेरोमिक्स ऑन्कोलिटिक वैक्सीन के बारे में
- ऑन्कोलिटिक वैक्सीन एक प्रकार की कैंसर चिकित्सा है जो कैंसर कोशिकाओं को सीधे मारने और ट्यूमर-रोधी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को प्रेरित करने के लिए ऑन्कोलिटिक वायरस (OV) का उपयोग करती है।
- एंटेरोमिक्स चार गैर-रोगजनक वायरसों के संयोजन पर आधारित है, जिनमें घातक कोशिकाओं को नष्ट करने और साथ ही रोगी की ट्यूमर-रोधी प्रतिरक्षा को सक्रिय करने की क्षमता होती है।
- इस वैक्सीन को mRNA तकनीक का उपयोग करके बनाया गया है। इसे कैंसर के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया या इम्यून रिस्पॉन्स को सक्रिय करने के लिए निर्मित किया गया है।
- रूस की mRNA वैक्सीन "एंटेरोमिक्स" ने प्रीक्लिनिकल परीक्षणों में 100% सफलता दिखाई
- प्रारंभ में यह कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज के लिए बनाई जा रही थी। इसकी हर खुराक अलग-अलग मरीज के ट्यूमर की म्यूटेशन प्रोफाइलिंग (यानी ट्यूमर में मौजूद बदलावों की जांच) के आधार पर विशेष रूप से तैयार की जाती है।
व्यक्तिगत mRNA वैक्सीन के बारे में

- व्यक्तिगत वैक्सीन (Personalized Vaccine): प्रत्येक रोगी के ट्यूमर के आनुवंशिक विश्लेषण के आधार पर एक विशिष्ट वैक्सीन तैयार किया जाता है, जो प्रतिरक्षा तंत्र को कैंसर कोशिकाओं की पहचान करना “सिखाता” है।
- mRNA टीके एक प्रकार के टीके हैं, जो मैसेंजर आरएनए (mRNA) के एक छोटे टुकड़े का उपयोग करके हमारी कोशिकाओं को वायरस के लिए विशिष्ट प्रोटीन का उत्पादन करने का निर्देश देते हैं।
- यह वैक्सीन प्रोटीन उत्पादन को सक्रिय करने के लिए लिपिड नैनोकणों में संग्रहित आनुवंशिक सामग्री को शरीर में पहुंचाती है। इनसे शरीर को ऐसे प्रोटीन उत्पन्न करने के लिए संकेत प्राप्त होता है, जो एंटीजन नामक रोगजनकों के समान होते हैं।
- उदाहरण के लिए- कोविड-19 के खिलाफ mRNA वैक्सीन शरीर की कोशिकाओं को यह निर्देश देती है कि वे कोरोनावायरस की बाहरी सतह पर पाए जाने वाले स्पाइक प्रोटीन जैसी प्रतिकृति (Copy) बनाएं।
- शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इन बाहरी एंटीजन को शरीर के दुश्मन के रूप में देखती है तथा उन्हें नष्ट करने के लिए एंटीबॉडी और T-कोशिका नामक रक्षा प्रणाली को सक्रिय करती है। साथ ही, यह भविष्य में रोगाणुओं को नष्ट करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्षम भी बना देती है।
mRNA वैक्सीन्स से संबंध में चुनौतियां:
- भंडारण संबंधी अनिवार्यता: इनके भण्डारण के लिए अल्ट्रा-कोल्ड स्टोर करने की आवश्यकता होती है, जिससे वितरण मुश्किल हो सकता है।
- अल्पकालिक दुष्प्रभाव या साइड इफेक्ट्स: इसमें बुखार आना, थकान और इंजेक्शन जहां लगाया जाता है, वहां दर्द होना शामिल है।
- दीर्घकालिक सुरक्षा: mRNA वैक्सीन्स अपेक्षाकृत नवीन हैं, इसलिए इनके दीर्घकालिक प्रभावों का अभी भी अध्ययन किया जा रहा है।