मौद्रिक नीति समिति (MPC) में छह सदस्य होते हैं। इनमें से तीन सदस्य RBI से तथा तीन सदस्य केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।
मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णय
- नीतिगत रुख: MPC ने नीतिगत रेपो दर को 25 आधार अंकों तक कम करने का निर्णय लिया। इससे रेपो दर तत्काल प्रभाव से 6% तक हो गई है।
- रेपो दर वह दर है, जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को ऋण देता है। साथ ही, इस दर में कटौती का उद्देश्य ऋण और निवेश को बढ़ावा देना भी है।
- इस निर्णय के साथ RBI ने अपने रुख को "न्यूट्रल" से बदलकर "अकोमोडेटिव" कर दिया है।
- अकोमोडेटिव रुख का अर्थ है कि RBI अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति बढ़ाने के लिए नीतिगत दरों में कटौती कर सकता है।
- यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है, जब वर्तमान में ट्रेड टैरिफ संबंधी तनाव के कारण वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता बढ़ गई है। इससे दुनिया भर के वित्तीय बाजार प्रभावित हुए हैं।
- को-लेंडिंग अरेंजमेंट्स (CLA) फ्रेमवर्क: RBI ने सभी विनियमित संस्थाओं के बीच सभी प्रकार के ऋणों, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रक को ऋण या अन्य के लिए को-लेंडिंग अरेंजमेंट्स (CLA) का मसौदा फ्रेमवर्क प्रस्तुत किया है।
- वर्तमान में यह केवल प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रक को ऋणों के लिए बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के बीच है।
- UPI सीमा: भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) को बैंकों और संबंधित हितधारकों के परामर्श से यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) पर्सन टू मर्चेंट लेन-देन के लिए लेन-देन संबंधी सीमा निर्धारित करने का अधिकार दिया जाएगा।
- नवाचार को बढ़ावा देना: RBI अपने रेग्युलेटरी सैंडबॉक्स फ्रेमवर्क को थीम-न्यूट्रल और 'ऑन-टैप बनाएगा।