रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) की बढ़ती समस्या को देखते हुए FSSAI ने 1 अप्रैल, 2025 से मांस, मांस संबंधी उत्पादों, दूध, दूध संबंधी उत्पादों आदि के उत्पादन में निर्धारित एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।

- यह कदम मस्कट मंत्रिस्तरीय घोषणा-पत्र के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस घोषणा-पत्र पर नवंबर 2022 में हुए रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) पर तीसरे वैश्विक उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में सहमति बनी थी।
- AMR पर मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का समग्र उद्देश्य राजनीतिक प्रतिबद्धता में तेजी लाना और AMR पर WHO वैश्विक कार्य योजना को साकार करने के लिए योगदान को सुनिश्चित करना है।
रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance: AMR) के बारे में
- यह तब होता है, जब रोगाणुरोधी दवाओं का बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी पर कोई प्रभाव नहीं होता है। इससे रोग फैलने, गंभीर बीमारी, दिव्यांगता और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
- यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो समय के साथ रोगजनकों में आनुवंशिक परिवर्तन के माध्यम से संपन्न होती है। यह प्रक्रिया रोगाणुरोधी दवाओं के दुरुपयोग एवं अत्यधिक उपयोग के कारण और तीव्र हो गई है।
रोगाणुरोधी प्रतिरोध एक खतरा क्यों है?
- मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा: विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2019 में लगभग 5 मिलियन लोगों की मौतें किसी न किसी तरह से दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के कारण हुई थी।
- आर्थिक बोझ: विश्व बैंक का अनुमान है कि 2050 तक AMR के कारण स्वास्थ्य देखभाल पर 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का अतिरिक्त खर्च करना पड़ सकता है।
रोगाणुरोधी प्रतिरोध से निपटने के लिए आगे की राह:
- खेतों में रोगाणुओं के प्रवेश और प्रसार को रोकने के लिए जैव सुरक्षा उपाय अपनाने चाहिए।
- रोगाणुरोधी का कम उपयोग करने वाली कृषि प्रणालियों को बढ़ावा देना चाहिए। जैसे जैविक उत्पादन।
- अन्य उपाय: वन हेल्थ एप्रोच, टीकाकरण, प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स सहित उत्पादन बढ़ाने के वैकल्पिक उपाय अपनाने चाहिए आदि।