भारत ने अपने 'विस्तारित महाद्वीपीय मग्न-तट' (Extended Continental Shelf) के तहत मध्य अरब सागर जलक्षेत्र में लगभग 10,000 वर्ग किलोमीटर तक अपने दावे को बढ़ा दिया है।
- साथ ही, भारत और पाकिस्तान के बीच समुद्री सीमा को लेकर लंबे समय से चले आ रहे विवाद से बचने के लिए अपने पहले के दावे में भी संशोधन किया है।
समुद्री सीमा विवाद के बारे में
- अनन्य आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone: EEZ): समुद्र तटीय देशों के पास "अनन्य आर्थिक क्षेत्र" होता है। यह उनकी तटरेखा से समुद्र में 200 नॉटिकल मील तक विस्तृत होता है। इस जल क्षेत्र में इन देशों को खनन और मछली पकड़ने के अनन्य अधिकार होते हैं।
- इसके अतिरिक्त, ऐसे देश महासागर में और अधिक जल-क्षेत्र पर दावा कर सकते हैं, बशर्ते वे “महाद्वीपीय मग्न-तट की सीमाओं पर आयोग (Commission on the Limits of the Continental Shelf - CLCS)” के समक्ष वैज्ञानिक रूप से यह सिद्ध कर सकें कि उनका दावा किया गया जलक्षेत्र उनकी स्थलीय सीमा से निर्बाध रूप से समुद्री नितल तक फैला हुआ है।
- यह आयोग संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था है।
- यह पूरा महासागरीय जलक्षेत्र संबंधित देश के विस्तारित महाद्वीपीय मग्न-तट का हिस्सा माना जाता है।
- इसके अतिरिक्त, ऐसे देश महासागर में और अधिक जल-क्षेत्र पर दावा कर सकते हैं, बशर्ते वे “महाद्वीपीय मग्न-तट की सीमाओं पर आयोग (Commission on the Limits of the Continental Shelf - CLCS)” के समक्ष वैज्ञानिक रूप से यह सिद्ध कर सकें कि उनका दावा किया गया जलक्षेत्र उनकी स्थलीय सीमा से निर्बाध रूप से समुद्री नितल तक फैला हुआ है।
- भारत ने 2009 में अरब सागर के विस्तृत जल क्षेत्रों पर “CLCS” के समक्ष अपना पहला दावा प्रस्तुत किया था।
- पाकिस्तान ने 2021 में भारत के दावे पर आपत्ति जताई थी। पाकिस्तान का कहना था कि भारत द्वारा दावा किए गए क्षेत्र “विवादित” हैं। पाकिस्तान ने विशेष रूप से सर क्रीक को विवादित माना।
- मार्च 2023 में, CLCS ने अरब सागर क्षेत्र में भारत के पूरे दावे को अस्वीकार कर दिया था। हालांकि, आयोग ने पक्षकार देशों को 'संशोधित दावे' प्रस्तुत करने की अनुमति दी थी।
सर क्रीक के बारे में
- यह 96 किलोमीटर लंबा विवादित ज्वारनदमुख (Tidal estuary) है।
- यह अरब सागर तक विस्तृत है और मोटे तौर पर पाकिस्तान के सिंध प्रांत को भारत के गुजरात के कच्छ क्षेत्र से अलग करता है।
- वर्ष 1947 में, भारत चाहता था कि इसे अंतर्राष्ट्रीय समुद्री जल क्षेत्र कानून के सिद्धांत यानी थालवेग सिद्धांत (Thalweg Principle) के अनुसार सुलझाया जाए। इस सिद्धांत के अनुसार यदि राष्ट्रों की सीमाएं जलमार्ग में स्थित हैं तो फिर सीमा केवल नौगम्य जल-क्षेत्र (Navigable channel) के मध्य में निर्धारित की जानी चाहिए।
- हालांकि, पाकिस्तान ने दावा किया कि सर-क्रीक नौगम्य नहीं है, इसलिए इस पर थालवेग सिद्धांत लागू नहीं हो सकता।
महाद्वीपीय मग्न-तट की सीमाओं पर आयोग (CLCS) के बारे में
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