इस रिपोर्ट में OBC से संबंधित क्रीमी लेयर की स्थिति से जुड़े मुद्दों की जांच की गई है तथा क्रीमी लेयर के लिए आय सीमा बढ़ाने की सिफारिश की गई है।
क्रीमी लेयर के बारे में
- क्रीमी लेयर का विचार 1992 में इंद्रा साहनी मामले से उत्पन्न हुआ था। क्रीमी लेयर से आशय OBCs के तहत सामाजिक-आर्थिक रूप से अधिक उन्नत वर्ग से है।
- इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सिविल पदों पर क्रीमी लेयर को बाहर रखते हुए OBCs के लिए 27% आरक्षण को बरकरार रखा था।
- इस फैसले के बाद गठित राम नंदन प्रसाद समिति के आधार पर क्रीमी लेयर में दो श्रेणियां बनाई गई:
- वे लोग जिनके माता-पिता किसी विशेष श्रेणी की सरकारी सेवाओं में हैं/ थे, और
- वे लोग जो एक निश्चित आय सीमा से अधिक कमाते हैं।
- वर्ष 2017 में आय की सीमा बढ़ाकर 8 लाख रुपये कर दी गई है।
समिति की मुख्य टिप्पणियां
- क्रीमी लेयर संबंधी मानदंड: कुछ राज्यों में क्रीमी लेयर की स्थिति निर्धारित करने के लिए आय/ संपत्ति परीक्षण लागू करते समय एक-समान मानदंडों का पालन नहीं किया जा रहा है।
- सिफारिश: राज्यों को क्रीमी लेयर के निर्धारण के लिए एक-समान नियम को अपनाना चाहिए।
- क्रीमी लेयर में आय सीमा की समीक्षा: क्रीमी लेयर के निर्धारण के लिए 8 लाख रुपये की मौजूदा आय सीमा कम है, जिससे OBCs का एक बड़ा हिस्सा आरक्षण के लाभ से वंचित रह जाता है।
- सिफारिश: हितधारकों के साथ परामर्श के बाद पर्याप्त रूप से आय सीमा में वृद्धि की जानी चाहिए।