भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के बाद शांति उपाय के रूप में इस समझौते पर 1972 में हस्ताक्षर किए गए थे।
- 1971 के युद्ध के परिणामस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान की जगह बांग्लादेश नामक नये राष्ट्र का निर्माण हुआ।
शिमला समझौते के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- विवादों का द्विपक्षीय समाधान: दोनों देशों ने यह सहमति व्यक्त की थी कि वे सभी लंबित मुद्दों का समाधान द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से करेंगे, जिसमें किसी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप नहीं होगा।
- दोनों पक्ष संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने पर भी सहमत हुए थे।
- लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC): युद्ध के बाद 17 दिसंबर 1971 को जम्मू और कश्मीर में जो संघर्ष विराम रेखा थी, उसे लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) मान लिया गया।
- संबंधों का सामान्य बनाना: संचार को पुनः शुरू करने, सीमा चौकियों की बहाली, यात्रा सुविधाओं, व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने तथा विज्ञान एवं संस्कृति के आदान-प्रदान के लिए कदम उठाने पर सहमति बनी।
इस समझौते के महत्वपूर्ण परिणाम
- इसके परिणामस्वरूप, पाकिस्तान ने बांग्लादेश को राजनयिक मान्यता दे दी तथा भारत द्वारा पकड़े गए लगभग 93,000 पाकिस्तानी युद्धबंदियों को रिहा कर दिया गया।
- भारत ने युद्ध के दौरान अधिकृत की गई 13,000 वर्ग किमी से अधिक भूमि वापस कर दी। हालांकि, चोरबत घाटी (लगभग 883 वर्ग किमी) के कुछ सामरिक क्षेत्रों को वापस नहीं किया गया, जो लद्दाख में श्योक नदी घाटी का हिस्सा है।