इसका खुलासा एक नीतिगत दस्तावेज "भारत की DBT प्रणाली का मात्रात्मक आकलन" से हुआ है।
दस्तावेज के अन्य प्रमुख बिंदुओं पर एक नजर
- कवरेज में वृद्धि: कल्याण संबंधी वितरण में सुधार के साथ लाभार्थियों का कवरेज 16 गुना बढ़ गया है।
- कल्याण दक्षता लाभ: कल्याण दक्षता सूचकांक (WEI) 2014 में 0.32 था, जो 2023 में लगभग तीन गुना बढ़कर 0.91 हो गया था।
- WEI, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्रणाली के प्रभाव का आकलन करता है। यह DBT बचत (50% भारांश), सब्सिडी कटौती (30% भारांश) और लाभार्थी वृद्धि (20% भारांश) द्वारा संचालित होता है।
- कुल व्यय में सब्सिडी का हिस्सा कम हुआ: यह 2013 से पहले 16% था, जो 2023-24 में घटकर 9% रह गया।
- उदाहरण के लिए- आधार-लिंक्ड PDS (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) के माध्यम से खाद्य सब्सिडी में 1.85 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है।
DBT पहल के बारे में
- उत्पत्ति: इसे 2013 में आरंभ किया गया था।
- उद्देश्य: कल्याणकारी योजनाओं में मौजूदा प्रक्रियाओं में संशोधन करके और लाभार्थियों की सटीक पहचान करके, डुप्लिकेसी को खत्म करके तथा धोखाधड़ी को कम करके सरकारी वितरण प्रणाली में सुधार करना।
- कार्यान्वयन: शुरू में यह पहल योजना आयोग के अधीन थी, लेकिन अब इसे कैबिनेट सचिवालय के अधीन कर दिया गया है।
- मुख्य विशेषताएं
- DBT योजनाओं में आधार अनिवार्य नहीं है, लेकिन इसे प्राथमिकता दी जाती है।
- DBT का मुख्य प्रवर्तक JAM ट्रिनिटी (चित्र देखें) है।
- इलेक्ट्रॉनिक भुगतान फ्रेमवर्क सभी केंद्रीय क्षेत्रक (CS)/ केंद्र प्रायोजित योजनाओं (CSS) और सभी योजनाओं पर लागू है।
