नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने राष्ट्रीय जैव-ऊर्जा कार्यक्रम के तहत 'वेस्ट टू एनर्जी' तथा 'बायोमास' घटकों से जुड़े दिशा-निर्देशों को अपडेट किया है।
- जैव-ऊर्जा क्या है: बायोएनर्जी एक तरह की नवीकरणीय ऊर्जा है, जो बायोमास ईंधन को जलाकर प्राप्त की जाती है। यह बायोमास ईंधन खेतों से निकलने वाले अवशेषों, फसलों, घरों से निकलने वाले जैविक कचरे जैसे जैविक पदार्थों से बनता है।
राष्ट्रीय जैव-ऊर्जा कार्यक्रम क्या है?
- शुरुआत: वर्ष 2022 में।
- क्रियान्वयन: इस योजना को दो चरणों में लागू किया जा रहा है, जिसके लिए कुल ₹1715 करोड़ का बजट तय किया गया है।
- पहला चरण: वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक चलेगा।
- उद्देश्य:
इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध अतिरिक्त बायोमास (जैविक अपशिष्ट) का बिजली बनाने के लिए उपयोग करना है। इससे ग्रामीण लोगों को अतिरिक्त आय भी मिल सकेगी। - केंद्रीय वित्तीय सहायता (CFA): सरकार परियोजना विकासकर्ताओं को आर्थिक सहायता (CFA) प्रदान करेगी, जो प्रोजेक्ट की विशेषताओं पर आधारित होगी।
- विशेष वर्गों जैसे कि पूर्वोत्तर क्षेत्र, पहाड़ी राज्यों, SC/ ST लाभार्थियों आदि को 20% अधिक CFA दी जाएगी।
- इस कार्यक्रम के निम्नलिखित तीन प्रमुख घटक हैं:
- वेस्ट टू एनर्जी प्रोग्राम: यह कार्यक्रम शहरी, औद्योगिक और कृषि अपशिष्ट/ अवशेषों से बायोगैस, बायो-CNG, बिजली या सिनगैस बनाने वाली परियोजनाओं को समर्थन देता है।
- बायोमास कार्यक्रम: यह योजना बायोमास ब्रिकेट/ पैलेट बनाने वाले संयंत्रों और बायोमास (गैर-खोई) आधारित सह-उत्पादन परियोजनाओं को सहयोग देती है।
- बायोगैस कार्यक्रम: इस घटक के तहत स्वच्छ ईंधन (कुकिंग गैस), छोटे बिजली उपकरणों को ऊर्जा, स्वच्छता में सुधार और महिला सशक्तीकरण के लिए बायोगैस संयंत्रों को बढ़ावा दिया जाता है।
- बायोगैस में लगभग 95% मीथेन (CH₄) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) होती है। इसके अलावा, इसमें थोड़ी मात्रा में नाइट्रोजन (N₂), हाइड्रोजन (H₂), हाइड्रोजन सल्फाइड (H₂S), और ऑक्सीजन (O₂) भी पाई जाती है।
