विप्रेषण (Remittances)
RBI की हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत को 2024-25 में कुल 135.46 बिलियन डॉलर का रेमिटेंस मिला, जो पिछले साल की तुलना में 14% ज्यादा है।
● यह रेमिटेंस 2016-17 के 61 बिलियन डॉलर से दोगुने से भी ज्यादा हो गया है।
भारत के लिए रेमिटेंस का महत्त्व:
- आर्थिक योगदान: 2024-25 में भारत के 1 ट्रिलियन डॉलर के सकल चालू खाता आवक (gross current account inflow) में रेमिटेंस का हिस्सा 10% से अधिक था।
- व्यापार घाटे को कम करने में सहायक: वित्त वर्ष 2025 में,रेमिटेंस भारत के 287 बिलियन डॉलर के कुल व्यापार घाटे का 47% था।
- स्थिर फाइनेंसिंग स्रोत: रेमिटेंस, भारत में आने वाले कुल FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) से भी ज्यादा रहा और यह बाह्य फंडिंग का एक स्थाई स्रोत बन गया है।
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इंडिया एनर्जी स्टैक (IES)
ऊर्जा मंत्रालय ने इंडिया एनर्जी स्टैक की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक टास्क फोर्स के गठन की घोषणा की है।
इंडिया एनर्जी स्टैक क्या है?
- यह एक डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) है, जो बिजली क्षेत्रक की पूरी श्रृंखला को सुरक्षित, एकसमान और ओपन प्लेटफॉर्म के जरिए प्रबंधित, निगरानी और नवाचार करने में मदद करेगा।
- उद्देश्य: भारत के ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक एकीकृत, सुरक्षित और आपस में जुड़ा डिजिटल ढांचा तैयार करना।
- इंडिया एनर्जी स्टैक (IES) की प्रमुख विशेषताएं:
- उपभोक्ताओं, संसाधनों और लेन-देन के लिए विशिष्ट IDs।
- रीयल-टाइम और सहमति-आधारित डेटा शेयरिंग।
- सभी सिस्टम को आपस में जोड़ने के लिए ओपन API (एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस)।
- उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने, बाजार तक पहुंच देने और नवाचार को बढ़ावा देने वाले साधन।
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बोट्राइटिस फंगस
वैज्ञानिकों ने पाया है कि बोट्राइटिस फंगस को क्लोन नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसके किसी एक नाभिक (nucleus) में गुणसूत्रों (क्रोमोसोम) का पूरा सेट नहीं होता है।
- इसके बजाय, इसका क्रोमोसोम सेट दो या अधिक नाभिकों में बंटा हुआ होता है।
बोट्राइटिस फंगस (नोबल रॉट) के बारे में:
- बोट्राइटिस एक ऐस्कोमायसीट्स फंगस है।
- ऐस्कोमायसीट्स एक प्रकार के फंगस हैं, जो एस्कोस्पोर नामक यौन बीजाणु (sexual spores) का उत्पादन करते हैं। ये छोटे थैलों जैसे ढांचे में बनते हैं, जिन्हें एस्कस (asci) कहते हैं।
- यह अंगूर को संक्रमित करता है: इससे अंगूर के बीज वाष्पीकरण द्वारा पानी खो देते हैं और सिकुड़ जाते हैं।
फंगस के बारे में:
- फंगस एक यूकेरियोटिक जीव है जिसमें क्लोरोफिल और संवहनीय ऊतक (vascular tissue) नहीं होते हैं। ये कार्बनिक पदार्थों को विघटित कर उनसे पोषण प्राप्त करते हैं।
- इनकी कोशिका भित्ति (cell wall) में काइटिन होता है, जो कीड़ों और मकड़ियों के बाहरी कंकाल (exoskeleton) जैसा होता है।
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एक्सोप्लैनेट
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने अपना पहला नया एक्सोप्लैनेट TWA 7b खोजा है।
TWA 7b के बारे में:
- यह CE एंटीले नामक कम द्रव्यमान वाले तारे (जिसे TWA 7 भी कहा जाता है) के चारों ओर मौजूद मलबे की रिंग्स में पाया गया है।
- यह अब तक सीधे देखे गए एक्सोप्लैनेट्स में से दस गुना हल्का है।
एक्सोप्लैनेट क्या होते हैं:
- एक्सोप्लैनेट वे ग्रह होते हैं जो सूर्य के अलावा किसी और तारे की परिक्रमा करते हैं, यानी ये सौर मंडल के बाहर होते हैं।
- जो एक्सोप्लैनेट अपने तारे के चारों ओर "रहने योग्य क्षेत्र" (Habitable Zone) में परिक्रमा करते हैं, अर्थात् जहां तापमान न ज्यादा उच्च हो और न ही ज्यादा निम्न। ये हमारे सौर मंडल के बाहर जीवन की खोज करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।
- वर्तमान में पृथ्वी के सबसे करीब का एक्सोप्लैनेट प्रॉक्सिमा सेंटॉरी B है, जो हमसे लगभग 4 प्रकाश वर्ष दूर है।
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सिंथेटिक ह्यूमन जीनोम (SynHG) प्रोजेक्ट
वैज्ञानिक सिंथेटिक ह्यूमन जीनोम (SynHG) प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, जिसका लक्ष्य है मानव DNA को शुरू से बनाना, ताकि यह समझा जा सके कि DNA कैसे काम करता है।
SynHG प्रोजेक्ट के बारे में:
- यह एक पाँच साल की अवधि का एक बहु-केंद्रित शोध प्रोजेक्ट है, जिसमें कैम्ब्रिज, ऑक्सफोर्ड जैसे विश्वविद्यालय शामिल हैं।
- उद्देश्य: मानव जीनोम को कृत्रिम रूप से संश्लेषित करने के लिए आवश्यक मूलभूत और बड़े पैमाने पर उपयोग योग्य उपकरण, तकनीक और विधियों को विकसित करना।
सिंथेटिक जीनोम क्या है?
- सिंथेटिक जीनोम एक ऐसा मानव-निर्मित DNA अनुक्रम (DNA sequence) होता है जो या तो पूरी तरह से प्रयोगशाला में डिजाइन किया गया होता है या प्राकृतिक DNA में बदलाव करके प्राप्त किया जाता है।
- इसके ज़रिए लक्ष्यित कोशिका उपचार (cell therapy), वायरस-प्रतिरोधी अंग प्रत्यारोपण और जलवायु-रोधी फसलें तैयार करने में मदद मिल सकती है।
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- SynHG
- सिंथेटिक ह्यूमन जीनोम
द्वितीयक प्रदूषक
सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) के एक अध्ययन में पाया गया है कि द्वितीयक प्रदूषक, भारत के PM2.5 प्रदूषण के लगभग एक-तिहाई हिस्से के लिए जिम्मेदार हैं।
द्वितीयक प्रदूषक क्या होते हैं?
- उत्पत्ति: ये वातावरण में प्राथमिक प्रदूषकों के आपस में या प्राथमिक प्रदूषकों और अन्य वायुमंडलीय घटकों के बीच होने वाली रासायनिक या भौतिक क्रियाओं के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं।
- स्रोत: प्राथमिक प्रदूषक, सूर्य का प्रकाश, और वायुमंडलीय परिस्थितियां।
- उदाहरण: ओजोन (O3), सल्फ्यूरिक एसिड (H2SO4), नाइट्रिक एसिड (HNO3), आदि।
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- CREA
ढोल (एशियाई जंगली कुत्ता)
कभी विलुप्त माना जा चुका ढोल (एशियाई जंगली कुत्ता) अब असम के काजीरंगा-कार्बी आंगलोंग क्षेत्र (KKAL) में फिर से दिखाई दिया है।
ढोल (क्योन अल्पिनस) के बारे में
- वितरण: भारत, कंबोडिया, नेपाल, भूटान, थाईलैंड, मध्य एशिया, आदि।
- भारत में, यह पूर्वी और पश्चिमी घाट, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, लद्दाख आदि में पाया जाता है।
- विशेषताएं:
- ये मांसाहारी होते हैं जो आकार में एक छोटे भेड़िये या घरेलू कुत्ते जैसे दिखते हैं।
- मुख्यतः सुबह जल्दी या देर शाम को शिकार करते हैं।
- खतरा: आवास की हनि, रोग, आदि।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN: एनडेजर्ड
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972: अनुसूची II
- CITES: परिशिष्ट II
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- ढोल
कोल्हापुरी चप्पल
एक वैश्विक फैशन ब्रांड ने विवाद के बाद, 'कोल्हापुरी चप्पल' की डिजाइन की कॉपी करने की बात स्वीकारी है।
कोल्हापुरी चप्पल के बारे में
- यह एक पारंपरिक हस्तनिर्मित चमड़े की चप्पल है। इसे 2019 में भौगोलिक संकेतक (GI) का दर्जा दिया गया था।
- कोल्हापुरी चप्पल की उत्पत्ति 12वीं शताब्दी में महाराष्ट्र में हुई थी।
- इन्हें पूरी तरह से हाथों से और वनस्पति-टैन्ड चमड़े का उपयोग करके बनाया जाता है।
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- भौगोलिक संकेतक (GI)
- कोल्हापुरी चप्पल