इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि हालिया वर्षों में घटित विभिन्न संकटों के कारण वैश्विक सार्वजनिक ऋण में तेजी से वृद्धि हुई है और इसका अत्यधिक बोझ विकासशील देशों पर पड़ा है।
वैश्विक सार्वजनिक ऋण
- उच्च सार्वजनिक ऋण: वैश्विक सार्वजनिक ऋण 2024 में 102 ट्रिलियन डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया था।
- यदि वर्तमान रुझान जारी रहा तो दशक के अंत तक यह ऋण बढ़कर GDP के 100% तक हो सकता है।
- ऋण में असमान रूप से वृद्धि: यद्यपि इसमें विकासशील देशों की हिस्सेदारी एक तिहाई से भी कम (लगभग 31 ट्रिलियन डॉलर) रही है। फिर भी 2010 के बाद से यह विकासशील देशों के मामले में विकसित देशों की तुलना में दोगुनी तेजी से बढ़ा है।
- विकासशील देशों के मामले में एशिया और ओशिनिया की वैश्विक सार्वजनिक ऋण में 24% की हिस्सेदारी है। इसके बाद लैटिन अमेरिका व कैरेबियन (5%) और अफ्रीका (2%) का स्थान है।
- ऋण की उच्च लागत: विकासशील देशों को ऋण की उच्च लागत का सामना करना पड़ता है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा वहन की जाने वाली लागत की तुलना में दो से चार गुना तक अधिक है।
- 61 विकासशील देशों ने अपने सरकारी राजस्व का 10% या उससे अधिक हिस्सा ब्याज भुगतान के लिए निर्धारित किया है।
- प्रभाव: इसमें विकास संबंधी वित्त-पोषण में कमी आना, सहायता हेतु वित्त प्रवाह में कमी, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रकों में कम व्यय होना आदि शामिल हैं।

ऋण प्रबंधन और संधारणीय वित्त-पोषण के लिए सिफारिशेंसार्वजनिक ऋण पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेषज्ञ समूह ने निम्नलिखित उपायों की सिफारिश की है:
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