हाल ही में, वित्त मंत्री ने स्पेन के सेविले में संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित “विकास के लिए वित्त-पोषण पर चौथे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (FFD4)” को संबोधित किया। इस संबोधन के दौरान उन्होंने सात सूत्री रणनीति का प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
निजी पूंजी जुटाने के लिए सात सूत्री रणनीति के बारे में
- मजबूत घरेलू वित्तीय बाजार: अवसंरचना और उद्योग को वित्त-पोषित करने के लिए बैंकिंग प्रणाली एवं पूंजी बाजार को मजबूत करना।
- संस्थागत सुधारों के जरिए संभावित जोखिम का समाधान: इसमें स्वतंत्र विनियामकों की स्थापना करना, पारदर्शी बोली प्रक्रिया को लागू करना तथा व्यापार करने की सुगमता को और बेहतर बनाना शामिल है।
- निवेश हेतु अवसरों को बढ़ाना: सुनियोजित रूप से तैयार, जोखिम रहित और निवेश के लिए उपयुक्त परियोजनाओं की योजना बनाना।
- मिश्रित वित्त को बढ़ावा देना: निजी निवेश को जोखिम मुक्त करने के लिए सार्वजनिक और रियायती वित्त का लाभ उठाना तथा सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड, इम्पैक्ट इन्वेस्टमेंट जैसे नवीन साधनों का उपयोग करना।
- बहुपक्षीय विकास बैंकों (MDBs) और विकास वित्त संस्थाओं (DFIs) की भूमिका को सक्रिय बनाना।
- उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की दीर्घकालिक क्षमता एवं स्थिरता को सटीक रूप से दर्शाने हेतु अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग पद्धतियों का विकास करना।
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को समर्थन देने हेतु जमीनी स्तर पर पूंजी उपलब्ध कराना।
संधारणीय विकास में निजी पूंजी का महत्त्व
- प्रेरक बल: निजी पूंजी उत्पादकता बढ़ाने, नवाचार को प्रोत्साहन देने, और मांग को बढ़ाने में मदद करती है।
- वित्तीय उपलब्धता बढ़ाना: संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास के अनुसार शिक्षा, स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन आदि क्षेत्रकों में हर साल लगभग 2.5 ट्रिलियन डॉलर निवेश की कमी बनी हुई है, जिसे निजी पूंजी से पूरा किया जा सकता है।
- समावेशन में सुधार करना: महिलाओं के नेतृत्व वाले MSMEs और ग्रामीण समुदायों सहित वंचित समूहों के लिए वित्त की उपलब्धता बढ़ती है।