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इन-स्पेस (In-SPACe) ने स्टारलिंक को भारत में सैटेलाइट सेवाएं प्रदान करने के लिए 5 साल हेतु लाइसेंस प्रदान किया | Current Affairs | Vision IAS
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इन-स्पेस (In-SPACe) ने स्टारलिंक को भारत में सैटेलाइट सेवाएं प्रदान करने के लिए 5 साल हेतु लाइसेंस प्रदान किया

Posted 10 Jul 2025

14 min read

स्पेसएक्स की स्टारलिंक पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit) में स्थापित एक उपग्रह समूह प्रणाली है। इसका उद्देश्य वैश्विक इंटरनेट कवरेज प्रदान करना है। स्टारलिंक स्पेसएक्स की एक कंपनी है।

  • In-SPACe द्वारा प्रदान की गई मंजूरी, भारत के उपग्रह संचार क्षेत्रक को अधिक खुला बनाने और अंतरिक्ष आधारित सेवाओं में निजी भागीदारी बढ़ाने के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है।

उपग्रह संचार सेवाओं (Satellite Communication Services) के बारे में

  • परिभाषा: यह एक वायरलेस इंटरनेट सेवा है, जो संचार उपग्रहों (Communication Satellites) के जरिए प्रदान की जाती है। साथ ही, यह जमीन पर मौजूद नेटवर्क (जैसे केबल या टावर) पर निर्भर नहीं होती।
  • मुख्य उपयोगकर्ता: टीवी प्रसारक (Broadcasters), इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISPs), सरकारें, सेना और बड़ी कंपनियां।
  • प्रकार: टेलीकॉम सेवाएं, प्रसारण सेवाएं, डेटा कम्युनिकेशन सेवाएं आदि।
  • महत्त्व: पूरी दुनिया में फास्ट कनेक्टिविटी (दूरदराज के इलाकों में भी इंटरनेट सुविधा) मिलेगी; आपातकाल और आपदा राहत कार्यों में मदद मिलेगी तथा नेविगेशन एवं दिशा-निर्देश में सहायक होंगी। 

अंतरिक्ष क्षेत्रक में निजी भागीदारी बढ़ाने से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण पहलें

  • एंट्रिक्स (Antrix): यह इसरो (ISRO) की व्यावसायिक शाखा के रूप में कार्य करता है।
  • अंतरिक्ष क्षेत्रक में सुधार (2020): इसके जरिए इसरो, IN-SPACe (भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र) तथा NSIL (न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड) के बीच स्पष्ट भूमिका का विभाजन किया गया है। साथ ही, निजी कंपनियों की व्यापक भागीदारी को संभव बनाया गया है। 
  • भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023: यह गैर-सरकारी संस्थाओं (Non-Government Entities - NGEs) को समान अवसर प्रदान करती है, जिससे वे अंतरिक्ष से जुड़ी पूरी मूल्य श्रृंखला में भाग ले सकें।
  • इसरो कई स्टार्ट-अप्स (जैसे कि अग्निकुल कॉसमॉस) को समर्थन दे रहा है, ताकि वे अपने निजी भारतीय लॉन्च व्हीकल्स विकसित कर सकें। इसमें इसरो द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले आवश्यक उपकरणों की आपूर्ति भी शामिल है।
  • भारत का पहला सब-ऑर्बिटल लॉन्च एक निजी कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस द्वारा नवंबर 2022 में किया गया था। इसे IN-SPACe ने संभव बनाया था। स्काईरूट एयरोस्पेस के लॉन्चिंग रॉकेट का नाम विक्रम-एस था। 

IN-SPACe (भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र) के बारे में

  • यह अंतरिक्ष विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्था के रूप में कार्य करता है।
  • इसकी स्थापना 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्रक में सुधारों के हिस्से के रूप में की गई थी, ताकि निजी क्षेत्रक की भागीदारी को बढ़ाया जा सके।
  • इसका उद्देश्य सार्वजनिक और निजी सहयोग के माध्यम से भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना है।
  • साथ ही, यह अगले पांच वर्षों में अंतरिक्ष क्षेत्रक संबंधी स्टार्ट-अप्स के लिए एक विशेष वेंचर कैपिटल फंड का प्रबंधन भी करेगा, ताकि नवाचार को बढ़ावा मिले और एक जीवंत (सक्रिय) स्पेस इकोसिस्टम तैयार किया जा सके।
  • Tags :
  • In-SPACe
  • In-SPACe स्टारलिंक
  • उपग्रह संचार
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