इन्हें यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में इसलिए शामिल किया गया है क्योंकि ये:
- जीवित सांस्कृतिक परंपरा को दर्शाते हैं;
- इनकी स्थापत्य कला और तकनीकी योजना बहुत ही विशिष्ट और अलग हैं;
- ये महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं और परंपराओं से बहुत गहराई से जुड़े हुए हैं आदि।
- ये यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होने वाले भारत के 44वें स्थल/ स्मारक बन गए हैं।
- विश्व धरोहर स्थलों की सर्वाधिक संख्या के मामले में भारत विश्व स्तर पर छठे स्थान पर है तथा एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दूसरे स्थान पर है।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण देश में विश्व धरोहर से संबंधित सभी मामलों की नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स के बारे में
- सामरिक सैन्य धरोहर (17वीं-19वीं शताब्दी ई.): यह 12 किलों का नेटवर्क है। ये सामरिक सैन्य दृष्टि, नवाचार, क्षेत्रीय अनुकूलन और वास्तुशिल्प संबंधी निपुणता को प्रदर्शित करते हैं।
- इन किलों में भौगोलिक समझ और रणनीतिक रक्षा योजना की झलक देखने को मिलती है।
- भौगोलिक विस्तार: ये किले महाराष्ट्र और तमिलनाडु में फैले हुए हैं।
- चयनित किलों में तमिलनाडु में जिंजी किले के साथ-साथ महाराष्ट्र में सालहेर, शिवनेरी, लोहगढ़, खंडेरी, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला, विजयदुर्ग और सिंधुदुर्ग शामिल हैं।
- ये तटीय चौकियों से लेकर पहाड़ी गढ़ों तक विविध भौगोलिक क्षेत्रों में स्थित हैं।
विश्व धरोहर स्थलों के रूप में चुने जाने संबंधी मानदंड
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