ये नियम अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 2002 के प्रावधानों के तहत अधिसूचित किए गए हैं।
नियमों के बारे में:

- उद्देश्य- अपतटीय क्षेत्रों में यूरेनियम और थोरियम जैसे परमाणु खनिजों के अन्वेषण एवं खनन को विनियमित करना।
- ये नियम तभी लागू होंगे, जब परमाणु खनिजों का संकेंद्रण एक निश्चित न्यूनतम स्तर से अधिक होगा।
- नियमों के तहत सरकार द्वारा नामित संस्थाओं को ही अन्वेषण लाइसेंस या उत्पादन पट्टे दिए जा सकते हैं।
- यदि कोई विदेशी संस्था अन्वेषण कार्य करना चाहती है, तो उसे पहले सरकारी प्राधिकारियों से अनुमोदन लेना होगा।
भारत में प्रमुख परमाणु खनिज
- यूरेनियम:
- मुख्य भंडार: झारखंड, आंध्र प्रदेश, मेघालय, राजस्थान आदि।
- जादूगोड़ा (झारखंड) देश की पहली खदान है, जहां वाणिज्यिक स्तर पर यूरेनियम निकाला गया।
- अन्य महत्वपूर्ण खदानें: लांबापुर-पेड्डागट्टू (आंध्र प्रदेश), बगजाता खदान (झारखंड) आदि।
- भारत में अधिकतर यूरेनियम भंडार छोटे हैं और दुनिया के प्रमुख यूरेनियम उत्पादक देशों की तुलना में काफी कम गुणवत्ता वाले हैं।
- मुख्य भंडार: झारखंड, आंध्र प्रदेश, मेघालय, राजस्थान आदि।
- थोरियम:
- भारत में यूरेनियम के भंडार सीमित हैं, लेकिन थोरियम के प्रचुर भंडार हैं।
- मोनोजाइट में लगभग 8-10% थोरियम होता है।
- केरल और ओडिशा के समुद्र तटों की रेत में मोनोजाइट के समृद्ध भंडार पाए जाते हैं।