सामाजिक संगठन का अर्थ है कि समाज में लोग और समूह किस तरह से एक-दूसरे के साथ जुड़े होते हैं और कैसे आपस में एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। ये संगठन औपचारिक (जैसे धार्मिक संस्थाएं, शैक्षिक संगठन, श्रमिक संघ आदि) या अनौपचारिक (जैसे परिवार, मित्र, सहकर्मी समूह आदि) हो सकते हैं।
राष्ट्र निर्माण में सामाजिक संगठनों की भूमिका

इस प्रकार, प्रत्येक सामाजिक संस्था व्यक्तियों के जीवन के साथ-साथ समुदायों के सामूहिक ताने-बाने को भी आकार देने में एक विशिष्ट और महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है तथा मानव समाज के सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिदृश्य को आकार देती है। इन संस्थाओं के महत्त्व को पहचानना और समझना, भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनने के लिए तथा संधारणीय, समावेशी व अनुकूलनशील समाजों के निर्माण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।