यह वैक्सीन जैव प्रौद्योगिकी विभाग एवं राष्ट्रीय इम्यूनोलॉजी संस्थान के साथ मिलकर तैयार की जा रही है। इसमें ICMR का क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र, भुवनेश्वर और राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान सहयोग कर रहे हैं।
AdFalciVax वैक्सीन के बारे में:
- प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम (सबसे घातक मलेरिया परजीवी प्रजाति) को दो चरणों में लक्षित करना: मौजूदा वैक्सीन्स केवल एक जीवन चरण को लक्षित करती हैं, वहीं AdFalciVax परजीवी के जीवन चक्र के दो महत्वपूर्ण चरणों को लक्षित करती है, जैसे-
- प्री-एरिथ्रोसाइटिक (यकृत) चरण; तथा
- संचरण (सेक्सुअल) चरण।
- रिकॉम्बिनेंट कैमेरिक वैक्सीन: "कैमेरिक" वैक्सीन से तात्पर्य उस वैक्सीन से है, जो परजीवी के जीवन चक्र के विविध चरणों से एंटीजन को एक एकल इम्यूनोजन में संयोजित करती है।
- रिकॉम्बिनेंट DNA प्रौद्योगिकी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें विविध स्रोतों से DNA अणुओं को मिलाकर एक नया DNA अनुक्रम बनाया जाता है।
- स्वदेशी विकास: यह उन्नत मलेरिया वैक्सीन अनुसंधान एवं विकास में वैश्विक स्तर पर भारत के प्रवेश का प्रतीक है।
मौजूदा मलेरिया वैक्सीन्स की तुलना में AdFalciVax के लाभ:
- व्यापक सुरक्षा: मौजूदा WHO द्वारा अनुशंसित वैक्सीन्स RTS, S/AS01 (मॉस्क्यूरिक्स) और R21/मैट्रिक्स-M के विपरीत, AdFalciVax दोहरे चरण पर सुरक्षा प्रदान करती है।
- इम्यून इवेजन का कम खतरा और बेहतर दीर्घकालिक इम्यूनिटी, अर्थात यह वैक्सीन शरीर में बेहतर और लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान कर सकती है।
- AdFalciVax को कमरे के तापमान पर 9 महीने तक संरक्षित किया जा सकता है, जबकि अन्य वैक्सीन्स में यह क्षमता नहीं होती।
- लागत प्रभावी विनिर्माण: यह वैक्सीन क्टोकोकस लैक्टिस नामक बैक्टीरिया प्रणाली में सुरक्षित और आसानी से बनाई जा सकती है। इससे इसका उत्पादन सस्ता हो जाता है।
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