पर्यटन मंत्रालय का लक्ष्य उच्च यातायात वाले स्थलों पर दबाव कम करना तथा देश भर में पर्यटकों के संतुलित वितरण को बढ़ावा देना है। कम प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में असम के शिवसागर में स्थित रंग घर, बिहार के सहरसा में अवस्थित मत्स्यगंधा झील आदि को शामिल किया गया है।
- इन परियोजनाओं को व्यय विभाग की “पूंजीगत निवेश हेतु राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को विशेष सहायता (SASCI) योजना” के अंतर्गत स्वीकृत किया गया है।
- SASCI योजना का उद्देश्य देश में प्रतिष्ठित पर्यटन केंद्रों के विकास के लिए राज्यों को 50 वर्ष की अवधि हेतु दीर्घकालीन ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करना है।
- राज्यों को परियोजनाएं पूरी करने के लिए दो वर्ष का समय दिया गया है।
ओवर-टूरिज्म के बारे में
- यह उस स्थिति को दर्शाता है, जब किसी पर्यटन स्थल पर पर्यटकों की संख्या उस स्थल की वहन क्षमता (Carrying Capacity) से अधिक हो जाती है। इसका अर्थ है कि वह स्थान पर्यटकों की अधिक संख्या को सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय दृष्टि से संधारणीय तरीके से संभाल नहीं पाता है।
- इसके लिए जिम्मेदार कारण: इसमें बेहतर कनेक्टिविटी और यात्रा संबंधी कम खर्च; लोगों की आय में वृद्धि होना और उभरता मध्यम वर्ग; बेहतर आतिथ्य क्षेत्रक के कारण किफायती आवास आदि शामिल हैं।
ओवर-टूरिज्म के प्रभाव
- क्षति और क्षरण: पर्यटकों की अधिक आवाजाही से प्राकृतिक और सांस्कृतिक स्थलों की भव्यता एवं ढांचागत संरचना को नुकसान पहुंचता है। उदाहरण के लिए: अंगकोरवाट मंदिर परिसर (कंबोडिया)।
- स्थानीय समुदायों में असंतोष: पर्यटन से रहन-सहन की लागत बढ़ जाती है, जिससे स्थानीय लोगों के लिए सस्ता आवास मिलना कठिन हो जाता है। साथ ही, उन्हें विस्थापन का भी सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए- बर्सिलोना में पर्यटन विरोधी प्रदर्शन।
- पर्यावरणीय प्रभाव: इसमें पर्यटन स्थलों में प्रदूषण एवं कचरे में वृद्धि होना; ट्रैफिक जाम होना; अकुशल तरीके से अपशिष्ट निपटान; जल की कमी और पारिस्थितिकी का ह्रास होना आदि शामिल हैं।
संधारणीय पर्यटन के लिए उठाए गए कदम
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