इसे सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा जारी किया गया है। इसमें अगस्त 2023 से जुलाई 2024 तक पूरे भारत में किए गए दूसरे सर्वेक्षण के निष्कर्ष शामिल हैं।
- पहले सर्वेक्षण (2022-23) के निष्कर्ष फरवरी में जारी किए गए थे।
इस सर्वेक्षण के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- औसत मासिक प्रति व्यक्ति व्यय (MPCE): इसका 2023-24 के लिए 4,122 रुपये (ग्रामीण) और 6,996 रुपये (शहरी) रहने का अनुमान लगाया गया है।
- MPCE में शहरी-ग्रामीण अंतर कम होना: यह अंतर 71% (2022-23) से घटकर 70% (2023-24) हो गया है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोग संबंधी निरंतर वृद्धि को दर्शाता है।
- वर्गों के बीच असमानता: MPCE के अनुसार रैंकिंग किए जाने पर भारत की ग्रामीण आबादी के सबसे निचले 5% वर्ग का औसत MPCE 1,677 रुपये है, जबकि शीर्ष 5% वर्ग के लिए यह 10,137 रुपये है।
- राज्यों के बीच असमानता: MPCE सिक्किम में सबसे अधिक और छत्तीसगढ़ में सबसे कम है।
- उपभोग की प्रवृत्ति: ग्रामीण (53%) और शहरी (60%) दोनों क्षेत्रों में गैर-खाद्य वस्तुओं पर अधिक खर्च देखा गया है। इनमें परिवहन, वस्त्र आदि पर अधिक खर्च किया जा रहा है।
- शहरी क्षेत्रों में गैर-खाद्य व्यय के तहत किराए का हिस्सा 7% है।
- खाद्य पदार्थों में पेय और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर अधिक खर्च किया जाता है।
- उपभोग संबंधी असमानता में कमी: पिछले वर्ष की तुलना में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में गिनी गुणांक में गिरावट देखी गई है।
- गिनी गुणांक 0 (पूर्ण समानता) से 1 (पूर्ण असमानता) तक के पैमाने पर परिवारों के बीच आय असमानता की सीमा को मापता है।
घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (HCES) के बारे में
|