इस पहल के पायलट चरण के अंतर्गत, 11 राज्यों में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) में 9,750 मीट्रिक टन क्षमता वाली भंडारण इकाइयों का सफलतापूर्वक निर्माण किया गया था।
- पायलट चरण की सफलता को देखते हुए सरकार ने जमीनी स्तर पर भंडारण अवसंरचना को बढ़ाने के लिए 500 से अधिक अतिरिक्त PACS का चयन किया है।
सहकारी क्षेत्रक में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना के बारे में
- मंत्रालय: सहकारिता मंत्रालय।
- उद्देश्य: मौजूदा योजनाओं अर्थात कृषि अवसंरचना कोष, कृषि विपणन अवसंरचना योजना आदि का अभिसरण करके PACS के स्तर पर विकेंद्रीकृत भंडारण सुविधाओं के साथ-साथ अन्य कृषि अवसंरचनाओं जैसे गोदामों, प्रसंस्करण इकाइयों आदि की स्थापना करना।
- कार्यान्वयन एजेंसियां: इनमें राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम, नाबार्ड, भारतीय खाद्य निगम, केंद्रीय भंडारण निगम, आदि शामिल हैं।
- PACS को लाभ: कृषि संबंधी अवसंरचना के निर्माण के लिए PACS सब्सिडी और ब्याज अनुदान का लाभ उठा सकती हैं।
महत्व
- खाद्य सुरक्षा: विकेंद्रीकृत भंडारण से अनाज की बर्बादी कम होगी और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
- 2021 तक के आंकड़ों के अनुसार भारत में कुल खाद्यान्न उत्पादन 311 मीट्रिक मिलियन टन (MMT) है, जबकि कुल भंडारण क्षमता 145 MMT है। यह 47% की कमी को दर्शाता है।
- ऋण तक पहुंच: किसान अपने उत्पाद को PACS में बने गोदामों में सुरक्षित रखकर अगले फसल चक्र के लिए तात्कालिक वित्त या ब्रिज फाइनेंस प्राप्त कर सकते हैं।
- आय सुरक्षा: किसान अपने उत्पादों को गोदामों में स्टोर करके बाजार में बेहतर मूल्य मिलने पर बेच सकते हैं या फिर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर PACS को बेच सकते हैं।
भंडारण क्षमता को मजबूत करने के लिए शुरू की गई अन्य पहलें
|