गृह मंत्रालय ने ICJS 2.0 में तीन नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन की समीक्षा की | Current Affairs | Vision IAS
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गृह मंत्रालय ने ICJS 2.0 में तीन नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन की समीक्षा की

Posted 26 Dec 2024

13 min read

गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) को निर्देश दिया है कि वह तीन नए आपराधिक कानूनों को इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम 2.0 (ICJS 2.0) में पूरी तरह से लागू करने की प्रक्रिया को सुगम बनाए।

  • गृह मंत्रालय ने कहा है कि प्रत्येक राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश में ई-साक्ष्य, न्याय श्रुति, ई-साइन और ई-समन जैसे एप्लीकेशन का उपयोग किया जाना चाहिए। 
    • ई-साक्ष्य: यह एप्लीकेशन साक्ष्यों के प्रबंधन में सहायता करता है।
    • न्याय श्रुति: यह एप्लीकेशन इलेक्ट्रॉनिक तरीके से न्यायिक कार्यवाही को आसान बनाता है। 
  • सभी आपराधिक मामलों में पंजीकरण से लेकर मामले के निपटान तक पूर्व-निर्धारित चरण और समय-सीमा में अलर्ट जनरेट किए जाने चाहिए, ताकि जांच प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके।
  • मंत्रालय ने यह भी कहा है कि जांच अधिकारियों और आपराधिक न्याय प्रणाली के अन्य हितधारकों को लाभ पहुंचाने के लिए NCRB द्वारा एक डेटा समृद्ध प्लेटफॉर्म बनाया जाना चाहिए।

इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (ICJS) के बारे में

ICJS का विचार सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति ने दिया था। अब इसे गृह मंत्रालय के तहत एक प्रमुख परियोजना के रूप में लागू किया जा रहा है।

  • उद्देश्य: आपराधिक न्याय प्रणाली के अलग-अलग स्तंभों के बीच डेटा और सूचना के सुगम हस्तांतरण को सक्षम बनाना (इन्फोग्राफिक देखें)।
  • मुख्य फोकस: अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम (CCTNS) को ई-कोर्ट और ई-कारागार डेटाबेस के साथ-साथ फोरेंसिक लैब, फिंगरप्रिंट एवं अभियोजन जैसे न्यायपालिका के अन्य स्तंभों के साथ जोड़ना।
    • इसका उद्देश्य आपराधिक न्याय प्रणाली के सभी स्तंभों में “वन डेटा वन एंट्री” का लक्ष्य हासिल करना है।
  • कार्यान्वयन: इसे NCRB द्वारा राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (NIC) के सहयोग से लागू किया जा रहा है।
  • समय-सीमा: चरण- I (2018-2022) एवं चरण- II (2022-23 से 2025-26)।

आपराधिक न्याय प्रणाली में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के लिए शुरू की गई अन्य पहलें 

  • सेफ सिटी प्रोजेक्ट: यह गृह मंत्रालय के अधीन एक पायलट पहल है। इसके पहले चरण में देश के 8 शहरों को शामिल किया गया है, ताकि स्मार्ट पुलिसिंग को बढ़ावा दिया जा सके।
  • राष्ट्रीय स्वचालित फिंगरप्रिंट पहचान प्रणाली (NAFIS): NCRB द्वारा लागू की जा रही इस प्रणाली से अपराधियों की शीघ्र और सटीक पहचान की सुविधा मिलती है।
  • केंद्रीय एवं राज्य स्तर की फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं में DNA का विश्लेषण करने वाली यूनिट्स को मजबूत किया जा रहा है।
  • कॉमन इंटीग्रेटेड पुलिस एप्लीकेशन (CIPA): इसे पुलिस स्टेशनों पर विभिन्न प्रक्रियाओं (जैसे- FIR दर्ज करना, आदि) को स्वचालित करने के लिए डिजाइन किया गया है।

 

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