अग्रणी प्रौद्योगिकियां जैसे कि AI आधारित वारफेयर, प्रॉक्सी वारफेयर, अंतरिक्ष आधारित वारफेयर और साइबर हमले पारंपरिक वारफेयर के स्वरूप को बदल रहे हैं। इससे देशों की सुरक्षा के समक्ष बड़ी चुनौती उत्पन्न हो रही है।
वर्तमान वारफेयर में उपयोग की जाने वाली अग्रणी प्रौद्योगिकियां
- AI आधारित वारफेयर: AI आधारित साधन जटिल निर्णयों जैसे लक्ष्य का चयन करने, असैन्य क्षति का आकलन करने, सुझाव प्रदान करने आदि में सहायता के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। उदाहरण के लिए AI संचालित ड्रोन।
- इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वारफेयर: यह युद्ध क्षेत्र में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक ऊर्जा का उपयोग कर आक्रामक और रक्षात्मक प्रभाव उत्पन्न करने की सैन्य क्षमता है।
- अंतरिक्ष आधारित वारफेयर: बाहरी अंतरिक्ष में सैन्य अभियान सामरिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए गतिज (भौतिक) और गैर-गतिज (इलेक्ट्रॉनिक, साइबर) दोनों साधनों का उपयोग कर सकते हैं। उदाहरण के लिए एंटी-सैटेलाइट (ASAT) हथियार।
- साइबर हमले: कंप्यूटर सिस्टम में अवैध रूप से प्रवेश करके किसी देश के महत्वपूर्ण डेटा को चुरा लिया जाता है। उदाहरण के लिए कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र में साइबर सुरक्षा हमला।
अग्रणी प्रौद्योगिकी से संबंधित मुद्दे
- अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष चुनौतियां: तकनीकी क्षमताओं में असमानता और गैर-राज्य अभिकर्ताओं को उन्नत प्रौद्योगिकियों की उपलब्धता के कारण वैश्विक अस्थिरता का खतरा बढ़ गया है।
- कानूनी खामियां: वारफेयर में इन प्रौद्योगिकियों के उपयोग के मामले में अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अभाव के चलते मानवाधिकार उल्लंघन की संभावना बढ़ जाती है।
- दोहरे उपयोग संबंधी दुविधा: शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए बनाई गई प्रौद्योगिकियां सैन्य उपयोग के लिए पुनः उपयोग की जा सकती हैं। इससे असैन्य और सैन्य तकनीक के बीच का दायरा समाप्त हो जाता है।
- अन्य मुद्दे: एल्गोरिदम संबंधी पूर्वाग्रह के जोखिम, जवाबदेही के मुद्दे, AI आधारित हथियारों की होड़ की संभावना आदि।
अग्रणी प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदम:
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