हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लघु वित्त बैंकों (SFBs) को एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) के माध्यम से पूर्व-स्वीकृत क्रेडिट लाइन की सुविधा प्रदान करने की अनुमति देने का निर्णय लिया है।
UPI के माध्यम से SBFs द्वारा क्रेडिट लाइन के बारे में
- इस सुविधा के तहत कोई SFB किसी ग्राहक के लिए पूर्व स्वीकृत क्रेडिट लाइन के जरिए UPI सिस्टम के माध्यम से उसे क्रेडिट लाइन (लोन) प्रदान कर सकता है। इसके बाद ग्राहक क्रेडिट लाइन का उपयोग करके UPI से पेमेंट कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए ग्राहक की पूर्व सहमति अनिवार्य है।
- ज्ञातव्य है कि सितंबर 2023 में, RBI ने अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा ग्राहकों को UPI के माध्यम से पूर्व-स्वीकृत क्रेडिट लाइन की सुविधा प्रदान करने की अनुमति दी थी।
- महत्त्व: इसका उद्देश्य वित्तीय समावेशन को बढ़ाना देना और 'नए ऋण' लेने वाले ग्राहकों के लिए औपचारिक ऋण को सुगम बनाना है।
लघु वित्त बैंकों (SBFs) के बारे में
- उत्पत्ति: इनकी घोषणा केंद्रीय बजट 2014-15 में की गई थी।
- उद्देश्य: निम्नलिखित के माध्यम से वित्तीय समावेशन को बढ़ाना:
- मुख्य रूप से ऐसे लोगों को बचत की सुविधाएं प्रदान करना, जो अब तक बैंकिंग सेवाओं से वंचित थे या जिनके पास बैंकिंग सेवाओं की बहुत कम उपलब्धता थी।
- उच्च प्रौद्योगिकी आधारित कम परिचालन लागत के माध्यम से लघु व्यापारिक इकाइयों; लघु और सीमांत किसानों; सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों तथा असंगठित क्षेत्रक की संस्थाओं को ऋण उपलब्ध कराना।
- पंजीकरण: ये कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत पब्लिक लिमिटेड कंपनी के रूप में स्थापित हैं।
- लाइसेंस: बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 22 के अंतर्गत प्रदान किया जाता है।
- पूंजी संबंधी अनिवार्यता: मिनिमम पेड-अप वोटिंग इक्विटी कैपिटल 200 करोड़ रुपये। यह अनिवार्यता शहरी सहकारी बैंकों से लघु वित्त बैंकों में तब्दील हुए SBFs पर लागू नहीं होती है।
- प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रक को ऋण (PSL) हेतु मानदंड: RBI द्वारा वर्गीकृत प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रकों को अपने समायोजित निवल बैंक ऋण (Adjusted Net Bank Credit: ANBC) का 75% प्रदान करना अनिवार्य है।