यह विधेयक कानून बनने के बाद बॉयलर अधिनियम, 1923 की जगह लेगा। जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अधिनियम, 2023 के अनुरूप इसमें भी कुछ प्रावधानों में उल्लेखित कृत्यों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया है।
- यह विधेयक स्टीम बॉयलर्स के विस्फोट के खतरों से व्यक्तियों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
बॉयलर विधेयक, 2024 के मुख्य प्रावधानों पर एक नजर
- विनियमन: केंद्र सरकार केंद्रीय बॉयलर बोर्ड का गठन करेगी। इस बोर्ड को बॉयलर और बॉयलर में लगने वाले उपकरणों के डिजाइन, निर्माण, स्थापना एवं उपयोग को विनियमित करने का कार्य सौंपा जाएगा।
- निरीक्षण: निरीक्षण का कार्य राज्य द्वारा नियुक्त निरीक्षकों या अधिकृत थर्ड पार्टियों द्वारा किया जाएगा।
- व्यवसाय करने में सुगमता (EODB): नवीन विधेयक में केवल 4 गंभीर अपराधों (जिनमें जीवन या संपत्ति की हानि भी शामिल है) के लिए आपराधिक दंड बरकरार रखा गया है। गौरतलब है कि बॉयलर अधिनियम, 1923 में 7 अपराधों के लिए आपराधिक दंड का प्रावधान किया गया है।
- सभी गैर-आपराधिक कृत्यों के लिए 'फाइन' को 'पेनल्टी' में बदल दिया गया है। इस पेनल्टी को कार्यकारी तंत्र के माध्यम से आरोपित किया जाएगा। ज्ञातव्य है कि 1923 के अधिनियम के तहत अदालतों द्वारा फाइन लगाया जाता है।
विधेयक से जुड़ी समस्याएं
- सुरक्षा संबंधी चिंताएं: राज्य सरकार विधेयक से कुछ क्षेत्रों को छूट दे सकती है। इससे उन छूट वाले क्षेत्रों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के बारे में संदेह पैदा होता है।
- सीमित न्यायिक अधिकारिता: विधेयक में प्रावधान किया गया है कि केंद्र और राज्यों द्वारा नियुक्त निरीक्षकों के निर्णयों को नियमित अदालतों में चुनौती नहीं दी जा सकती। निर्णय से असंतुष्ट होने पर संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाई कोर्ट्स में रिट याचिका दायर करनी होगी।
- EODB में बाधा: विधेयक में बॉयलर में परिवर्तन, उसकी मरम्मत या निर्माण के लिए निरीक्षण या अनुमोदन हेतु कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई है।
बॉयलर के बारे में
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