इसका उद्देश्य न्यायालय के संपूर्ण अभिलेखों (रिकॉर्ड्स) के डिजिटलीकरण के माध्यम से न्यायालयों को डिजिटल, ऑनलाइन और पेपरलेस बनाते हुए न्याय की अधिकतम सुगमता सुनिश्चित करना है।
- राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के भाग के रूप में ई-कोर्ट्स परियोजना 2007 से कार्यान्वित की जा रही है। इसका उद्देश्य भारतीय न्यायपालिका को सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) में सक्षम बनाना है।
- इसके चरण-I और II का क्रियान्वयन क्रमशः 2011-15 और 2015-23 के दौरान किया गया था।

ई-कोर्ट्स परियोजना के चरण-III के बारे में
- केंद्रीय क्षेत्रक की योजना: यह 2023 से 2027 तक 4 वर्षों के लिए कार्यान्वित की जाएगी। इसका परिव्यय 7,210 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है।
- उद्देश्य: न्यायपालिका के लिए एकीकृत प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म का निर्माण करना, ताकि न्यायालयों, वादियों और अन्य हितधारकों के बीच एक निर्बाध एवं पेपरलेस इंटरफेस उपलब्ध हो सके।
- कार्यान्वयन: हाई कोर्ट्स द्वारा किया जाएगा।
- सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति की सिफारिश पर न्याय विभाग (विधि मंत्रालय) द्वारा हाई कोर्ट्स को धनराशि जारी की जाती है।
- ई-समिति ई-कोर्ट्स परियोजना के कार्यान्वयन के लिए नीतिगत नियोजन, रणनीतिक निर्देश और मार्गदर्शन का काम देखती है।
न्यायालयों के डिजिटलीकरण का महत्त्व
- न्यायिक आधुनिकीकरण: यह डेटा-आधारित निर्णय लेने को संभव और न्याय प्रदान करने को पूर्णतया डिजिटल बनाता है।
- लंबित मामलों के निपटान में तेजी: उभरती तकनीकों जैसे AI, ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन आदि को शामिल करके न्यायालय अपनी कार्यक्षमता बढ़ा सकते हैं और लंबित मामलों को कम कर सकते हैं।