इस रिपोर्ट को निम्नलिखित के रूप में भी जाना जाता है-
- जैव विविधता हानि के लिए जिम्मेदार कारणों और रूपांतरकारी परिवर्तन के निर्धारकों तथा
- जैव विविधता के लिए 2050 विज़न को प्राप्त करने के विकल्पों पर आकलन रिपोर्ट।

रूपांतरकारी परिवर्तन (ट्रांस्फ़ॉर्मेटिव चेंज) के बारे में
- परिभाषा: यह विचारों (सोचने के तरीके), संरचनाओं (संगठन और शासन के तरीके) तथा पद्धतियों (काम करने व व्यवहार करने के तरीके) में व्यापक एवं मौलिक बदलाव है।
- रूपांतरकारी परिवर्तन का मार्गदर्शन करने के लिए चार सिद्धांत:
- समानता और न्याय;
- बहुलवाद और समावेशन;
- मानव और प्रकृति के बीच सम्मानपूर्ण एवं परस्पर संबंध; तथा
- अनुकूलनशील शिक्षा और कार्रवाई।
वैश्विक संधारणीयता के लिए रूपांतरकारी परिवर्तन हेतु पांच रणनीतियां
- महत्वपूर्ण स्थानों का संरक्षण, पुनर्स्थापन और पुनरुद्धार करना: उदाहरण के लिए- नेपाल में सामुदायिक वानिकी कार्यक्रम; भारत में समुदाय-आधारित वन प्रबंधन।
- प्रकृति के क्षरण के लिए जिम्मेदार क्षेत्रकों में सुनियोजित बदलाव लाना: उदाहरण के लिए कृषि व पशुपालन, मत्स्य पालन, वानिकी और शहरी विकास के क्षेत्रकों में सुनियोजित परिवर्तन लाना।
- प्रकृति और समानता के लिए आर्थिक प्रणालियों में रूपांतरण करना: उदाहरण के लिए- जैव विविधता प्रबंधन के लिए सालाना 900 बिलियन डॉलर से अधिक की आवश्यकता है, लेकिन केवल 135 बिलियन डॉलर ही खर्च किए जाते हैं।
- वार्षिक वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (58 ट्रिलियन डॉलर) का 50% से अधिक हिस्सा कुल मिलाकर प्रकृति पर निर्भर करता है।
- गवर्नेंस प्रणालियों को समावेशी और जवाबदेह बनाने के लिए उनमें रूपांतरण करना: उदाहरण के लिए- गैलापागोस मरीन रिज़र्व पारिस्थितिकी-तंत्र आधारित गवर्नेंस का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
- मानव-प्रकृति के बीच परस्पर संबंधों को पहचानने के लिए दृष्टिकोण में बदलाव करना: इसे प्रकृति-आधारित अनुभवों, नीति आधारित समर्थन और व्यवहारों में परिवर्तन लाने के लिए स्वदेशी ज्ञान को शामिल करके हासिल किया जा सकता है।
जैव विविधता और पारिस्थितिकी-तंत्र सेवाओं पर अंतर-सरकारी मंच (IPBES) के बारे में
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