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जैव विविधता और पारिस्थितिकी-तंत्र सेवाओं पर अंतर-सरकारी मंच (IPBES) ने ट्रांस्फ़ॉर्मेटिव चेंज रिपोर्ट जारी की

Posted 30 Dec 2024

13 min read

इस रिपोर्ट को निम्नलिखित के रूप में भी जाना जाता है-

  • जैव विविधता हानि के लिए जिम्मेदार कारणों और रूपांतरकारी परिवर्तन के निर्धारकों तथा
  • जैव विविधता के लिए 2050 विज़न को प्राप्त करने के विकल्पों पर आकलन रिपोर्ट। 

रूपांतरकारी परिवर्तन (ट्रांस्फ़ॉर्मेटिव चेंज) के बारे में

  • परिभाषा: यह विचारों (सोचने के तरीके), संरचनाओं (संगठन और शासन के तरीके) तथा पद्धतियों (काम करने व व्यवहार करने के तरीके) में व्यापक एवं मौलिक बदलाव है।
  • रूपांतरकारी परिवर्तन का मार्गदर्शन करने के लिए चार सिद्धांत: 
    • समानता और न्याय; 
    • बहुलवाद और समावेशन;
    • मानव और प्रकृति के बीच सम्मानपूर्ण एवं परस्पर संबंध; तथा 
    • अनुकूलनशील शिक्षा और कार्रवाई।

वैश्विक संधारणीयता के लिए रूपांतरकारी परिवर्तन हेतु पांच रणनीतियां

  • महत्वपूर्ण स्थानों का संरक्षण, पुनर्स्थापन और पुनरुद्धार करना: उदाहरण के लिए- नेपाल में सामुदायिक वानिकी कार्यक्रम; भारत में समुदाय-आधारित वन प्रबंधन।
  • प्रकृति के क्षरण के लिए जिम्मेदार क्षेत्रकों में सुनियोजित बदलाव लाना: उदाहरण के लिए कृषि व पशुपालन, मत्स्य पालन, वानिकी और शहरी विकास के क्षेत्रकों में सुनियोजित परिवर्तन लाना।
  • प्रकृति और समानता के लिए आर्थिक प्रणालियों में रूपांतरण करना: उदाहरण के लिए- जैव विविधता प्रबंधन के लिए सालाना 900 बिलियन डॉलर से अधिक की आवश्यकता है, लेकिन केवल 135 बिलियन डॉलर ही खर्च किए जाते हैं।
    • वार्षिक वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (58 ट्रिलियन डॉलर) का 50% से अधिक हिस्सा कुल मिलाकर प्रकृति पर निर्भर करता है।
  • गवर्नेंस प्रणालियों को समावेशी और जवाबदेह बनाने के लिए उनमें रूपांतरण करना: उदाहरण के लिए- गैलापागोस मरीन रिज़र्व पारिस्थितिकी-तंत्र आधारित गवर्नेंस का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
  • मानव-प्रकृति के बीच परस्पर संबंधों को पहचानने के लिए दृष्टिकोण में बदलाव करना: इसे प्रकृति-आधारित अनुभवों, नीति आधारित समर्थन और व्यवहारों में परिवर्तन लाने के लिए स्वदेशी ज्ञान को शामिल करके हासिल किया जा सकता है।

जैव विविधता और पारिस्थितिकी-तंत्र सेवाओं पर अंतर-सरकारी मंच (IPBES) के बारे में

  • स्थापना: इसे 2012 में स्थापित किया गया था। 
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य जैव विविधता के संरक्षण एवं संधारणीय उपयोग, मानव कल्याण और सतत विकास के लिए जैव विविधता व पारिस्थितिकी-तंत्र सेवाओं हेतु विज्ञान-नीति जुड़ाव को मजबूत करना है। 
  • मुख्यालय: जर्मनी के बोन में इसका सचिवालय स्थित है। 
  • यह एक स्वतंत्र अंतर-सरकारी निकाय है, जिसमें 150 सदस्य देश शामिल हैं।
    • भारत इसका संस्थापक सदस्य है।
  • यह संयुक्त राष्ट्र की इकाई नहीं है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) IPBES को सचिवालय सेवाएं प्रदान करता है।

 

 

  • Tags :
  • IPBES
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