यह खोज हाइड्रोथर्मल एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम के तहत की गई है। इसे राष्ट्रीय ध्रुवीय और समुद्री अनुसंधान केंद्र (NCPOR) तथा राष्ट्रीय समुद्री प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) ने मिलकर संचालित किया था।
- यह हाइड्रोथर्मल वेंट हिंद महासागर की सतह से 4,500 मीटर नीचे स्थित है।
- यह स्थान डीप ओशन मिशन के तहत खनिज अन्वेषण के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

हाइड्रोथर्मल वेंट्स के बारे में
- हाइड्रोथर्मल वेंट्स समुद्र के भीतर के ऐसे स्रोत होते हैं, जहां समुद्र नितल के पास मौजूद ठंडा पानी मैग्मा के संपर्क में आता है।
- जब ठंडा पानी समुद्र नितल पर मौजूद दरारों व छिद्रों से होकर रिसता है और मैग्मा से मिलता है, तो वह गर्म हो जाता है।
- यह गर्म पानी आसपास की चट्टानों से खनिजों को घोलकर हाइड्रोथर्मल प्लूम्स के रूप में बाहर निकलता है। ये प्लूम्स ट्रेस मेटल्स, गैसों और खनिजों से समृद्ध होते हैं।
- विश्व में हाइड्रोथर्मल वेंट्स मध्य-महासागरीय कटक प्रणाली में पाए जाते हैं।
- ये विविध पारिस्थितिक-तंत्रों और सूक्ष्मजीव समुदायों को आश्रय देते हैं तथा गहरी समुद्री दशाओं में खाद्य जाल की आधारशिला के रूप में कार्य करते हैं।
डीप ओशन मिशन के बारे में
- इसे 5 वर्ष की अवधि के लिए 4077 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ 2021 में स्वीकृत किया गया है।
- नोडल मंत्रालय: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय।
- प्रमुख घटक:
- गहरे समुद्र में खनन और मानवयुक्त पनडुब्बियों के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास करना;
- महासागरीय जलवायु परिवर्तन संबंधी परामर्श सेवाओं का विकास करना;
- गहरे समुद्र में जैव विविधता की खोज और उसके संरक्षण के लिए तकनीकी नवाचार करना;
- गहरे महासागर का सर्वेक्षण और अन्वेषण करना;
- महासागर से ऊर्जा और पेय जल बनाने की तकनीकों का विकास करना;
- महासागरीय जीव विज्ञान के लिए उन्नत समुद्री स्टेशन स्थापित करना।