परमाणु ऊर्जा विभाग के “विजन डॉक्यूमेंट फॉर अमृत काल” में 2047 तक परमाणु क्षमता को लगभग 100 गीगावाट तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
भारत में परमाणु ऊर्जा की स्थिति
- 2022-23 में भारत के कुल बिजली उत्पादन में परमाणु ऊर्जा का योगदान लगभग 3% था। इस प्रकार यह देश में बिजली उत्पादन का पांचवां सबसे बड़ा स्रोत बन गया है।
- न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन इंडिया लिमिटेड (NPCIL) वर्तमान में 7 परमाणु संयंत्रों में 24 रिएक्टर संचालित करता है। इन रिएक्टर्स की कुल क्षमता 8,180 मेगावाट (MW) है।
भारत में परमाणु ऊर्जा की आवश्यकता क्यों है?
- ऊर्जा की बढ़ती मांग: बढ़ती जनसंख्या और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के कारण भारत इस दशक के अंत तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।
- सीमित जीवाश्म ईंधन: कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस के लिए आयात पर निर्भरता भारत की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के समक्ष एक बड़ा एक जोखिम है।
- पर्यावरणीय लाभ: बिजली उत्पादन के लिए कोयले की जगह परमाणु ऊर्जा के उपयोग से प्रति यूनिट बिजली उत्पादन पर 1 किलोग्राम CO2 उत्सर्जन की बचत होगी। साथ ही, इससे भारत को 2070 तक निवल-शून्य उत्सर्जक बनने में मदद मिल सकती है।
परमाणु ऊर्जा से जुड़ी चिंताएं
- कच्चा माल: यूरेनियम भंडार की कमी और आयात पर निर्भरता के कारण परमाणु ऊर्जा क्षमता का विस्तार बाधित होता है।
- शुरू में बहुत अधिक लागत: कोयला और प्राकृतिक गैस जैसे ऊर्जा स्रोतों की तुलना में परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने में शुरू में पूंजीगत लागत अधिक आती है।
- रेडियोधर्मी अपशिष्ट: रेडियोधर्मी अपशिष्ट का दीर्घकालिक भंडारण और निपटान एक जटिल समस्या है। इसके अलावा, चेर्नोबिल जैसी घटनाओं के कारण, जनता में रेडियोधर्मी पदार्थों के प्रति अधिक डर बना रहता है।
परमाणु ऊर्जा के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम
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