दक्षिण कोरिया बना ‘सुपर-एज्ड (Super-Aged)’ समाज | Current Affairs | Vision IAS
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दक्षिण कोरिया बना ‘सुपर-एज्ड (Super-Aged)’ समाज

Posted 26 Dec 2024

17 min read

हाल ही में, दक्षिण कोरिया की इंटीरियर एंड सेफ्टी मिनिस्ट्री ने औपचारिक रूप से घोषणा की है कि दक्षिण कोरिया एक ‘सुपर-एज्ड’ समाज बन गया है। इसका मुख्य कारण यह कि दक्षिण कोरिया की आबादी का 20% से अधिक हिस्सा 65 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों का हो गया है।

  • इसलिए अब जापान के बाद दक्षिण कोरिया एशिया में ‘सुपर-एज्ड’ समाज वाला दूसरा देश बन गया है।
  • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, किसी देश को:
    • ‘एजिंग (Aging)’ का सामना करने वाला देश तब माना जाता है जब वहां की जनसंख्या में 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की हिस्सेदारी 7% से अधिक हो जाए;  
    • ‘एज्ड (Aged)’ का सामना करने वाला देश तब माना जाता है जब वहां की जनसंख्या में 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की हिस्सेदारी 14% या उससे अधिक हो जाए; तथा
    • ‘सुपर-एज्ड (Super-aged)’ का सामना करने वाला देश तब माना जाता है जब वहां की जनसंख्या में 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की हिस्सेदारी 20% से अधिक हो जाए।

वृद्धजनों की स्थिति 

विश्व स्तर पर 

  • वैश्विक स्तर पर 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग की जनसंख्या 2020 में एक अरब थी। अनुमान है कि यह 2050 तक बढ़कर 2.1 अरब हो जाएगी।
  • जनसंख्या में वृद्धजनों की बढ़ती आबादी प्रारंभ में जापान जैसे उच्च आय वाले देशों में देखी गई थी। हालांकि, अब वृद्धजनों की आबादी निम्न और मध्यम आय वाले देशों में भी तेजी से बढ़ रही है। ऐसा अनुमान है कि 2050 तक इन देशों में वृद्ध जनसंख्या की हिस्सेदारी दो-तिहाई तक पहुंच सकती है।

भारत में 

  • UNFPA 2023 के अनुसार, 2050 तक भारत की कुल जनसंख्या में वृद्धजनों की आबादी 20% से अधिक हो सकती है। 

किसी देश में वृद्धजनों की बढ़ती आबादी से जुड़ी चुनौतियां

  • आर्थिक: जैसे- कार्यबल में कमी, स्वास्थ्य देखभाल की लागत में वृद्धि, सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों पर होने वाले व्यय में वृद्धि, आदि।
  • सामाजिक: इसके कारण वृद्धजनों की देखभाल करने में परिवारों की जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। उनके देखभाल के लिए परिवार के अन्य सदस्यों को अधिक समय निकालना पड़ता है, जनरेशन गैप को दूर करने का प्रयास करना पड़ता है और साथ ही सामाजिक सामंजस्य बनाए रखने की भी आवश्यकता पड़ती है।
  • अवसंरचना: वृद्धजनों की आबादी बढ़ने से शहरों को अपनी परिवहन व्यवस्था में बदलाव लाने की जरूरत पड़ती है ताकि बुजुर्गों को आसानी से और सुरक्षित रूप से एक जगह से दूसरी जगह जाने में मदद मिल सके।

उठाए गए कदम

वैश्विक स्तर पर 

  • संयुक्त राष्ट्र-मैड्रिड इंटरनेशनल प्लान ऑफ एक्शन ऑन एजिंग (2002): इसका उद्देश्य वृद्धजनों के लिए जीवन की बेहतर गुणवत्ता को बढ़ावा देना है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक रणनीति (2016-2020): इसमें हेल्दी एजिंग और आयु-अनुकूल परिवेश पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • सतत विकास लक्ष्य (SDGs): संयुक्त राष्ट्र के SDG 3 (स्वास्थ्य) और SDG 10 (असमानता को कम करना) के माध्यम से वृद्धजनों की समस्याओं के समाधान पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • 2021-2030 को यू.एन. डिकेड ऑफ हेल्दी एजिंग घोषित किया गया है।

भारत में 

  • लोक स्वास्थ्य बीमा के रूप में आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) शुरू की गई है।
  • वृद्धजनों के कल्याण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 1999 में राष्ट्रीय वृद्धजन नीति की घोषणा की गई थी।
  • माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007: इस कानून का उद्देश्य बुजुर्गों को सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी सुरक्षा प्रदान करना है।
  • वृद्धजनों के स्वास्थ्य देखभाल हेतु राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPHCE): इसके तहत निवारक (Preventive), उपचारात्मक (Curative) और पुनर्वासात्मक (Rehabilitative) चिकित्सा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
  • Tags :
  • दक्षिण कोरिया
  • ‘सुपर-एज्ड (Super-Aged)’ समाज
  • वृद्धजनों की स्थिति
  • मैड्रिड इंटरनेशनल प्लान ऑफ एक्शन ऑन एजिंग
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