किशोरावस्था बालिका क्लब
मिशन शक्ति का पहला 'किशोरावस्था बालिका क्लब' नागालैंड में शुरू किया गया।
- ऐसे किशोरावस्था बालिका क्लब 10-19 वर्ष आयु वर्ग की लड़कियों के लिए सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में बनाए जाएंगे।
मिशन शक्ति के बारे में
- मंत्रालय: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय।
- दो उप-योजनाएं: संबल (महिलाओं की सुरक्षा के लिए) और सामर्थ्य (महिला सशक्तीकरण के लिए)।
- संबल में वन स्टॉप सेंटर (OSC), महिला हेल्पलाइन (WHL), बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ (BBBP), और नारी अदालत शामिल हैं।
- सामर्थ्य इसमें उज्ज्वला, स्वाधार गृह, कामकाजी महिला छात्रावास, कामकाजी माताओं के बच्चों के लिए राष्ट्रीय क्रेच योजना और प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) शामिल हैं।
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Articles Sources
पीएम-किसान योजना
प्रधान मंत्री ने प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के छह वर्ष पूरे होने पर किसानों को बधाई दी।
पीएम-किसान योजना के बारे में
- मंत्रालय: इसे कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा 2019 में शुरू किया गया था।
- उद्देश्य: सभी पात्र भूमिधारक कृषक परिवारों की कृषि संबंधी विविध इनपुट की खरीद में वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति करना।
- लाभ: लघु और सीमांत किसानों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से 2,000 रुपये की तीन किस्तों में प्रतिवर्ष 6,000 रुपये प्रदान किए जाते हैं।
- लाभार्थी: संस्थागत भूमिधारकों, उच्च आय वाले करदाताओं आदि को छोड़कर सभी भूमिधारक किसान परिवार।
- वित्त-पोषण: यह भारत सरकार से 100% वित्त-पोषण वाली केंद्रीय क्षेत्रक की योजना है।
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- DBT
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- किसान सम्मान निधि
ब्लैक प्लास्टिक
एक अध्ययन में यह बताया गया है कि ब्लैक प्लास्टिक उत्पादों में डिकाब्रोमोडाइफेनील ईथर (BDE-209) नामक एक अग्निरोधी रसायन पाया जाता है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
ब्लैक प्लास्टिक के बारे में
- इसे अक्सर रिसायकल किए गए इलेक्ट्रॉनिक कचरे जैसे कंप्यूटर, टीवी और अन्य उपकरणों से बनाया जाता है।
- इन इलेक्ट्रॉनिक्स में आमतौर पर अग्निरोधी ब्रोमीन, एंटिमनी और भारी धातुएं (जैसे सीसा, कैडमियम और पारा) होते हैं।
- ये पदार्थ और भारी धातुएं यदि इनका स्तर बहुत अधिक हो तो मानव शरीर के लिए विषाक्त होते हैं। अब कई देशों में इन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
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- डिकाब्रोमोडाइफेनील ईथर
- अग्निरोधी ब्रोमीन
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान
भारत के विदेश मंत्री और 61 देशों के राजनयिकों ने काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का दौरा किया।
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के बारे में
- यह असम में ब्रह्मपुत्र नदी और कार्बी (मिकिर) पहाड़ियों के बीच स्थित है।
- स्थिति: यह राष्ट्रीय उद्यान, टाइगर रिजर्व, महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र (IBA), और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल (1985) है।
- प्रसिद्ध: यहां भारतीय एक सींग वाले गैंडों की सर्वाधिक आबादी पाई जाती है। 2022 की गणना के अनुसार यहां 2,613 गैंडे हैं।
- जैव विविधता: यहां बाघ, हाथी, स्वैम्प डियर, और जंगली भैंस (बिग फोर) भी पाए जाते हैं।
- यह प्रवासी पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र है, क्योंकि यह ऑस्ट्रेलेशिया और इंडो-एशियाई फ्लाइवे में स्थित है।
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- काजीरंगा
- कार्बी (मिकिर)
जाग्रोस पर्वत
एक हालिया अध्ययन के अनुसार, इराक में जाग्रोस पर्वत के आस-पास का पहाड़ी क्षेत्र पृथ्वी की ओर निमज्जित हो रहा है।
- प्राचीन नियोटेथिस महासागरीय स्लैब में दक्षिण-पूर्वी तुर्की से लेकर उत्तर-पश्चिमी ईरान तक एक महत्वपूर्ण दरार विकसित हो रही है, जिसके कारण यह स्लैब विभाजित होकर पृथ्वी की आंतरिक परत (मेंटल) में निमज्जित हो रही है।
जाग्रोस पर्वत के बारे में
- स्थान: यह मध्य एशिया की प्रमुख पर्वत श्रृंखला है।
- भौगोलिक विस्तार: यह पर्वत श्रेणी लगभग 1,500 किलोमीटर लंबी है, जो पूर्वी तुर्की और उत्तर-पूर्वी इराक के सीमावर्ती क्षेत्रों से लेकर हारमुज जलसंधि (ईरान) तक फैली हुई है।
- सबसे ऊंची चोटी: माउंट डेना।
- जलवायु: अर्ध-शुष्क समशीतोष्ण जलवायु।
- वनस्पति: शीतोष्ण चौड़ी पत्ती वाले वन और स्टैपी वनस्पति।
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- जाग्रोस पर्वत
- नियोटेथिस महासागरीय स्लैब
- हारमुज जलसंधि
सोलिगा जनजाति
प्रधान मंत्री ने बिलीगिरि रंगनाथ स्वामी मंदिर (BRT) टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ाने में सोलिगा जनजाति के प्रयासों की सराहना की।
सोलिगा जनजाति के बारे में
- सोलिगा एक घुमंतू जनजाति है, जो मुख्य रूप से दक्षिणी कर्नाटक के बिलिगिरिरंगा पहाड़ी क्षेत्र और तमिलनाडु के कुछ क्षेत्रों में रहती है।
- 2011 में यह भारत की पहली जनजाति बनी थी, जिसे किसी टाइगर रिजर्व के अंदर कानूनी वनाधिकार प्राप्त हुए थे।
- ये लोग जंगल से मिलने वाले प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहते हैं, जैसे शहद, जंगली फल व लकड़ी आदि। ये निर्वाह कृषि भी करते हैं।
- ये लोग सोलिगा भाषा बोलते हैं, जो कन्नड़ से निकटता से जुड़ी एक द्रविड़ भाषा है।
- ये बाघों को पवित्र मानते हैं और इन्हें 'डोड्डा नाई' कहकर पुकारते हैं।
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- सोलिगा जनजाति
- घुमंतू जनजाति
- बिलीगिरि रंगनाथ स्वामी मंदिर
पेलिओग्नाथे
ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के एक नए अध्ययन ने इस धारणा को चुनौती दी है कि पेलिओग्नाथे समूह के पक्षी 'मूर्ख' होते हैं।
पेलिओग्नाथे समूह के पक्षियों के बारे में
- पेलिओग्नाथे उड़ने में असमर्थ पक्षियों का एक समूह है। इस समूह के पक्षियों का विकास डायनासोर से आरंभ हुआ था।
- इस समूह में शुतुरमुर्ग, इमस, रियास, कैसोवरी और कीवी जैसे पक्षी शामिल हैं।
- वर्गीकरण:
- टिनामिफोर्मेस: उदाहरण के लिए- दक्षिण और मध्य अमेरिका के टिनमस;
- टिनमस की कील्ड स्टेरनम (Keeled Sternum) होती है, जिससे ये हल्की उड़ान भर सकते हैं।
- रैटाइटे, या रैटाइट पक्षी: इनकी स्टेर्ना सपाट होती है, पंख छोटे होते हैं और ये बिल्कुल भी नहीं उड़ सकते।
- इसमें शामिल हैं:
- अफ्रीकी शुतुरमुर्ग;
- दक्षिण अमेरिकी का रिया;
- ऑस्ट्रेलियाई एमु;
- न्यू गिनी का कैसोवरी;
- न्यूजीलैंड का कीवी आदि।
- इसमें शामिल हैं:
- टिनामिफोर्मेस: उदाहरण के लिए- दक्षिण और मध्य अमेरिका के टिनमस;
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- पेलिओग्नाथे
- टिनामिफोर्मेस
- रैटाइट पक्षी
टी हॉर्स रोड
भारत में चीन के राजदूत ने ऐतिहासिक टी हॉर्स रोड (THR) के बारे में एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट किया।

टी हॉर्स रोड (THR) के बारे में
- यह मार्ग तिब्बत के माध्यम से भारत को चीन से जोड़ता था। यद्यपि, यह रेशम मार्ग जितना प्रसिद्ध नहीं था। रेशम मार्ग चीन और यूरोप को जोड़ता था।
- यह कोई एकल मार्ग नहीं था, बल्कि कई शाखाओं वाला नेटवर्क था, जो दक्षिणी-पश्चिमी चीन से शुरू होकर भारतीय उपमहाद्वीप तक जाता था।
- दो मुख्य मार्ग युन्नान प्रांत के डाली और लिजियांग जैसे शहरों से होकर तिब्बत के ल्हासा तक जाते थे। इसके बाद ये भारत, नेपाल और बांग्लादेश में विभिन्न शाखाओं में बंट जाते थे।
- उत्पत्ति: चीन में तांग राजवंश (618-907 ई.पू.) के दौरान।
यह कई शताब्दियों तक एक महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग रहा।
- Tags :
- टी हॉर्स रोड
- डाली और लिजियांग
- तांग राजवंश