पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में भारत की आर्थिक संवृद्धि में पश्चिमी क्षेत्र के योगदान पर चर्चा हुई | Current Affairs | Vision IAS
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पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में भारत की आर्थिक संवृद्धि में पश्चिमी क्षेत्र के योगदान पर चर्चा हुई

Posted 25 Feb 2025

11 min read

पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद, राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के तहत देश में स्थापित पांच क्षेत्रीय परिषदों में से एक है। इसमें गोवा, गुजरात व महाराष्ट्र राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश दमन-दीव और दादरा एवं नगर हवेली शामिल हैं।

देश के विकास में पश्चिमी क्षेत्र का योगदान

  • यह क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 25% का योगदान देता है, जो केवल दक्षिणी क्षेत्र से पीछे है। दक्षिणी क्षेत्र का योगदान लगभग 30% है।
    • उत्तरी, मध्य और पूर्वी क्षेत्र भारत की GDP में क्रमशः लगभग 18.5%, 13.6% तथा 12.5% ​​का योगदान देते हैं। ये आंकड़े क्षेत्रीय असमानता को उजागर करते हैं।
  • विश्व के साथ भारत के व्यापार का आधे से अधिक हिस्सा इसी क्षेत्र से होता है। इसके अलावा, पश्चिमी क्षेत्र उत्तरी और मध्य क्षेत्रों के लिए वैश्विक व्यापार हेतु प्रवेश द्वार के रूप में भी कार्य करता है।

क्षेत्रीय असमानता के लिए उत्तरदायी कारक

  • ऐतिहासिक: ब्रिटिश नीतियों में संसाधन संपन्न क्षेत्रों (जैसे कोलकाता, मुंबई और चेन्नई) को प्राथमिकता दी गई थी।
  • भौगोलिक: कुछ क्षेत्रों में बंदरगाह व कच्चे माल जैसे संसाधनों की उपलब्धता है, तो वहीं कुछ क्षेत्रों (जैसे हिमालयी व उत्तरी-पूर्वी राज्यों) में दुर्गम इलाके हैं व आपदाओं का जोखिम बना रहता है। यह भी असमान संवृद्धि का एक कारक है। 
  • आर्थिक: कुछ क्षेत्रों में परिवहन, बिजली, प्रौद्योगिकी जैसी बुनियादी संरचनाओं का अभाव है। इसके अलावा, कुछ क्षेत्र अभी भी प्राथमिक आर्थिक गतिविधियों पर ही पूरी तरह से निर्भर हैं।
  • प्रशासन: उद्योग जगत विकसित राज्यों को पसंद करते हैं, जहां दक्ष प्रशासन प्रणाली एवं नीतिगत निरंतरता मौजूद होती है।

क्षेत्रीय असमानताओं को खत्म करने की रणनीतियां

  • आकांक्षी जिला कार्यक्रम (ADP): इसका उद्देश्य देश भर के 112 सबसे कम विकसित जिलों को तेजी से बदलना है।
    • ADP की तर्ज पर आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम (ABP) शुरू किया गया है।
  • पी.एम. गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान, भारतमाला, सागरमाला आदि के माध्यम से देश में अवसंरचना का विकास करना।
  • नीति आयोग के माध्यम से सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • सुधारों को बढ़ावा देने हेतु ऋणों के रूप में राज्य सरकारों को विकास निधियां प्रदान की जाती हैं। साथ ही, पूंजीगत निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता भी प्रदान की जाती है। 
  • Tags :
  • राज्य पुनर्गठन अधिनियम
  • आकांक्षी जिला कार्यक्रम
  • क्षेत्रीय असमानता
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