इन सुधारों का लक्ष्य 'वन नेशन, वन ग्रिड, वन टैरिफ' के विज़न के तहत भारत में अधिक पारदर्शी, उपभोक्ता-उन्मुख और निवेश-अनुकूल प्राकृतिक गैस अवसंरचना का विकास करना है।
मुख्य सुधार:
- टैरिफ ज़ोन्स का सरलीकरण: इसमें एकीकृत टैरिफ ज़ोन्स की संख्या को 3 से घटाकर 2 करने की सिफारिश की गई है, ताकि परिवहन प्रणाली को सरल बनाया जा सके।
- CNG और PNG (घरेलू) को बढ़ावा देना: जोन 1 के एकीकृत जोनल टैरिफ का लाभ देश भर में संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) और पाइप्ड प्राकृतिक गैस (PNG) घरेलू खंडों तक बढ़ा दिया गया है।
- दक्ष ईंधन खरीद अधिदेश: यह पाइपलाइन ऑपरेटर्स को वार्षिक सिस्टम-उपयोग गैस का ≥75% दीर्घकालिक अनुबंधों (≥3 वर्ष) के माध्यम से प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करता है। इसका उद्देश्य खरीद संबंधी जोखिमों को कम करना और लेन-देन की लागत को घटाना है।
- पाइपलाइन विकास रिज़र्व- एक सतत इन्फ्रा मॉडल: यह पाइपलाइन कंपनियों से 75% उपयोग बेंचमार्क से अधिक की कमाई का उपयोग करके एक पाइपलाइन विकास रिज़र्व गठित करता है।
- इससे प्राप्त शुद्ध-कर आय का 50% अवसंरचना के विकास में पुनर्निवेश किया जाएगा, जबकि शेष 50% टैरिफ समायोजन के माध्यम से उपभोक्ताओं को दिया जाएगा। इससे विकास के लिए प्रदर्शन-से संबद्ध, आत्मनिर्भर मॉडल तैयार होगा।
PNGRB (पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड) की भूमिका
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